सांकेतिक तस्वीर
नई दिल्ली:
खराब आर्थिक हालत से जूझ रही पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने अपनी स्थिति सुधारने के लिए अब अनधिकृत कॉलोनियों के लोगों से हाउस टैक्स मांगना शुरू कर दिया है वो भी एक दो साल का नहीं, बल्कि 11 साल का।
पूर्वी दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों के लोग पूर्वी दिल्ली नगर निगम के उस फरमान से परेशान हैं, जिसमें उनसे एक-दो नहीं बल्कि 10-11 साल का हाउस टैक्स बकाया जमा करने को कहा गया है।
पूर्वी दिल्ली के न्यू अशोक नगर में देव राज सिंह और उनका परिवार 50 गज के मकान में रहता है। कॉलोनी अनाधिकृत है, लेकिन नगर निगम ने अचानक नोटिस के जरिए आदेश दिया कि 2004 से आपका हाउस टैक्स का बकाया चुकाएं।
देवराज के मुताबिक़, 'जब कॉलोनी ही नियमित नहीं तो हाउस टैक्स कैसा? कॉलोनी पास करो, सुविधा दो और ले लो हाउस टैक्स।' असल में हाउस टैक्स का मतलब होता है वो सालाना रकम जो ज़मीन या घर का मालिक नगर निगम को चुकाता है, लेकिन जिन लोगों के पास कानूनी रूप से ज़मीन या मकान का मालिकाना हक ही नहीं, वो कानूनी रूप से हाउस टैक्स के देनदार कैसे हो सकते हैं।
कानून के जानकारों के मुताबिक न केवल इस तरह हाउस टैक्स वसूलना गलत है, बल्कि 3 साल से ज़्यादा का टैक्स तो वैसे भी नहीं लिया जा सकता। दिल्ली के कानूनों की जानकारी रखने वाले वकील आर.के. कपूर के मुताबिक, 'जो व्यक्ति किसी घर या ज़मीन पर रहने के लिए कानूनी रूप से अधिकृत ही नहीं, उससे टैक्स नहीं वसूला जा सकता। बीते तीन साल से ज़्यादा का टैक्स तो कानूनन आप वैसे भी नहीं वसूल सकते।'
लेकिन पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मुताबिक़ ये वसूली की जा सकती है और दिल्ली सरकार ने इसके लिए कहा है। पूर्वी दिल्ली के मेयर हर्ष मल्होत्रा ने कहा, 'दिल्ली सरकार के मुताबिक़ कुछ सुविधाएं सरकार और निगम इन कॉलोनियों को मुहैया करा रहे हैं। इसलिए इनसे हाउस टैक्स वसूला जाए।'
पूर्वी दिल्ली नगर निगम को उम्मीद है कि बीते साल 130 करोड़ के हाउस टैक्स के मुकाबले इस साल 200 करोड़ वसूल लेगी। वैसे ये बात कुछ हद तक ठीक है कि सरकार और निगम ने कच्ची कॉलोनियों में कुछ सुविधाएं तो दी हैं, लेकिन ये तब से नहीं जब से टैक्स मांगा जा रहा है।
पूर्वी दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों के लोग पूर्वी दिल्ली नगर निगम के उस फरमान से परेशान हैं, जिसमें उनसे एक-दो नहीं बल्कि 10-11 साल का हाउस टैक्स बकाया जमा करने को कहा गया है।
पूर्वी दिल्ली के न्यू अशोक नगर में देव राज सिंह और उनका परिवार 50 गज के मकान में रहता है। कॉलोनी अनाधिकृत है, लेकिन नगर निगम ने अचानक नोटिस के जरिए आदेश दिया कि 2004 से आपका हाउस टैक्स का बकाया चुकाएं।
देवराज के मुताबिक़, 'जब कॉलोनी ही नियमित नहीं तो हाउस टैक्स कैसा? कॉलोनी पास करो, सुविधा दो और ले लो हाउस टैक्स।' असल में हाउस टैक्स का मतलब होता है वो सालाना रकम जो ज़मीन या घर का मालिक नगर निगम को चुकाता है, लेकिन जिन लोगों के पास कानूनी रूप से ज़मीन या मकान का मालिकाना हक ही नहीं, वो कानूनी रूप से हाउस टैक्स के देनदार कैसे हो सकते हैं।
कानून के जानकारों के मुताबिक न केवल इस तरह हाउस टैक्स वसूलना गलत है, बल्कि 3 साल से ज़्यादा का टैक्स तो वैसे भी नहीं लिया जा सकता। दिल्ली के कानूनों की जानकारी रखने वाले वकील आर.के. कपूर के मुताबिक, 'जो व्यक्ति किसी घर या ज़मीन पर रहने के लिए कानूनी रूप से अधिकृत ही नहीं, उससे टैक्स नहीं वसूला जा सकता। बीते तीन साल से ज़्यादा का टैक्स तो कानूनन आप वैसे भी नहीं वसूल सकते।'
लेकिन पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मुताबिक़ ये वसूली की जा सकती है और दिल्ली सरकार ने इसके लिए कहा है। पूर्वी दिल्ली के मेयर हर्ष मल्होत्रा ने कहा, 'दिल्ली सरकार के मुताबिक़ कुछ सुविधाएं सरकार और निगम इन कॉलोनियों को मुहैया करा रहे हैं। इसलिए इनसे हाउस टैक्स वसूला जाए।'
पूर्वी दिल्ली नगर निगम को उम्मीद है कि बीते साल 130 करोड़ के हाउस टैक्स के मुकाबले इस साल 200 करोड़ वसूल लेगी। वैसे ये बात कुछ हद तक ठीक है कि सरकार और निगम ने कच्ची कॉलोनियों में कुछ सुविधाएं तो दी हैं, लेकिन ये तब से नहीं जब से टैक्स मांगा जा रहा है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
अवैध कॉलोनी, आर्थिक हालात, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, हाउस टैक्स, EDMC, House Tax, Unauthorised Colonies