प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली के एक वकील ने 125 करोड़ रुपये की अपनी बिना हिसाब की संपत्ति आयकर विभाग को सौंप दी है. आयकर विभाग द्वारा उसकी संपत्ति की तलाशी में इस रकम का पता चला था.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कर अधिकारियों ने कुछ दिन पहले उसके और उसके व्यापारिक निकाय द्वारा कर चोरी करने के बारे में सूचना मिलने पर दक्षिण दिल्ली के पॉश इलाके में रहने वाले वकील के खिलाफ छापेमारी की.
उन्होंने कहा कि मामले में सक्रियता के पीछे कुछ साल पहले वकील द्वारा बड़ी रकम का लेन-देन किया जाना शामिल है. उसने जोर बाग में लुटियंस जोन इलाके में एक कीमती बंगला खरीदा था और कथित तौर पर सौदे के बारे में कम करके जानकारी दी.
इसके बाद आयकर विभाग ने उसके खिलाफ एक मामला बनाया. अधिकारियों ने कहा कि राजस्व खाते में भुगतान नहीं किए गए करों से कुछ और करोड़ रुपये आ सकते हैं क्योंकि विभाग उसके परिसर से जब्त दस्तावेजों की जांच कर रहा है.
आयकर सूत्रों ने बताया कि विभाग ने यह भी पाया कि वकील ने एकबार के लिए खोली गई कालाधन लौटाने की खिड़की के तहत भी इस कथित अवैध आय का खुलासा नहीं किया. इस योजना का नाम इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (आईडीएस) रखा गया था. इसलिए विभाग ने मामले में आयकर कानूनों के तहत लागू होने वाले नियमित जुर्माने को लागू करने का फैसला किया है. यह योजना हाल में ही समाप्त हुई है.
विभाग के अधिकारियों के अनुसार तलाशी अभियान के बाद वह एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया में हैं, ताकि मामले को उसके तार्किक अंजाम तक ले जाया जा सके और अगर कुछ बकाया हो तो मांग की जा सके.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कर अधिकारियों ने कुछ दिन पहले उसके और उसके व्यापारिक निकाय द्वारा कर चोरी करने के बारे में सूचना मिलने पर दक्षिण दिल्ली के पॉश इलाके में रहने वाले वकील के खिलाफ छापेमारी की.
उन्होंने कहा कि मामले में सक्रियता के पीछे कुछ साल पहले वकील द्वारा बड़ी रकम का लेन-देन किया जाना शामिल है. उसने जोर बाग में लुटियंस जोन इलाके में एक कीमती बंगला खरीदा था और कथित तौर पर सौदे के बारे में कम करके जानकारी दी.
इसके बाद आयकर विभाग ने उसके खिलाफ एक मामला बनाया. अधिकारियों ने कहा कि राजस्व खाते में भुगतान नहीं किए गए करों से कुछ और करोड़ रुपये आ सकते हैं क्योंकि विभाग उसके परिसर से जब्त दस्तावेजों की जांच कर रहा है.
आयकर सूत्रों ने बताया कि विभाग ने यह भी पाया कि वकील ने एकबार के लिए खोली गई कालाधन लौटाने की खिड़की के तहत भी इस कथित अवैध आय का खुलासा नहीं किया. इस योजना का नाम इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (आईडीएस) रखा गया था. इसलिए विभाग ने मामले में आयकर कानूनों के तहत लागू होने वाले नियमित जुर्माने को लागू करने का फैसला किया है. यह योजना हाल में ही समाप्त हुई है.
विभाग के अधिकारियों के अनुसार तलाशी अभियान के बाद वह एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया में हैं, ताकि मामले को उसके तार्किक अंजाम तक ले जाया जा सके और अगर कुछ बकाया हो तो मांग की जा सके.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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