
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली में पॉल्यूशन कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने आड-ईवन पार्ट वन के बाद पार्ट टू लागू किया लेकिन बड़ी हैरानी की बात है कि इससे प्रदूषण कम होना, बेअसर होना तो दूर बल्कि बढ़ गया है। और यह बात कोई और नहीं बल्कि दिल्ली सरकार खुद भी मान रही है। दिल्ली सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में आड-ईवन 2 पर अपनी रिपोर्ट दी है उसमें यह बात साफ हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक वाहन के जरिए फैलने वाले प्रदूषण के बड़े कारक PM 2.5 की रिपोर्ट (माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर)-
PM 10 की रिपोर्ट रही (माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर)
दिल्ली सरकार ने अलग-अलग तरह से पॉल्यूशन नापने का इंतजाम किया था जिसमें से यह 6 फिक्स जगहों पर हमेशा किया जाने वाला सबसे विश्वसनीय सर्वे माना जाता है। जो कि दिल्ली 6 लोकेशन आरके पुरम, मंदिर मार्ग, पंजाबी बाग, सिविल लाइन्स, IGI एयरपोर्ट, आनंद विहार पर हर समय किया जाता है।
यही नहीं दिल्ली सरकार ने पॉल्यूशन पर आड-ईवन के असर को और व्यापकता से नापने के लिए 74 दूसरी जगहों पर भी सर्वे कराया था जिसके मुताबिक भी आड-ईवन-2 के पहले हफ्ते में प्रदूषण कम हुआ था लेकिन दूसरे हफ्ते में यह बढ़ गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण बढ़ने के लिए कई दूसरे कारक जिम्मेदार हैं जैसे आड-ईवन-2 के दौरान भलस्वा और गाजीपुर की लैंडफिल साईट में लगी आग, उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग, पंजाब और हरियाणा में खूंटी का जलाया जाना शामिल हैं।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आड-ईवन-2 के लिए पूरा तंत्र काम पर लगाया और जमकर प्रचार किया लेकिन प्रदूषण घटने की जगह बढ़ गया जिससे पता चलता है कि ऑड-ईवन को परमानेंट ही नहीं टेम्पररी लागू करना भी आसान काम नहीं है। इसलिए दिल्ली सरकार फिलहाल आड-ईवन -3 के बारे में नहीं सोच रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक वाहन के जरिए फैलने वाले प्रदूषण के बड़े कारक PM 2.5 की रिपोर्ट (माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर)-
- 6-14 अप्रैल के बीच 31-276 (ओवरआल एवरेज 89)
- 15-21 अप्रैल के बीच 43-205 (ओवरआल एवरेज 111)
- 22-30 अप्रैल के बीच 53-328 (ओवरआल 154)
- 1-6 मई के बीच 29-262 (ओवरआल एवरेज 114.4)
PM 10 की रिपोर्ट रही (माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर)
- 6-14 अप्रैल के बीच 152-376 (ओवरआल एवरेज 251)
- 15-21 अप्रैल के बीच 212-374 (ओवरआल एवरेज 323)
- 22-30 अप्रैल के बीच 176-504 (ओवरआल एवरेज 360)
- 1-6 मई के बीच 97-436 (ओवरआल एवरेज 287)
दिल्ली सरकार ने अलग-अलग तरह से पॉल्यूशन नापने का इंतजाम किया था जिसमें से यह 6 फिक्स जगहों पर हमेशा किया जाने वाला सबसे विश्वसनीय सर्वे माना जाता है। जो कि दिल्ली 6 लोकेशन आरके पुरम, मंदिर मार्ग, पंजाबी बाग, सिविल लाइन्स, IGI एयरपोर्ट, आनंद विहार पर हर समय किया जाता है।
यही नहीं दिल्ली सरकार ने पॉल्यूशन पर आड-ईवन के असर को और व्यापकता से नापने के लिए 74 दूसरी जगहों पर भी सर्वे कराया था जिसके मुताबिक भी आड-ईवन-2 के पहले हफ्ते में प्रदूषण कम हुआ था लेकिन दूसरे हफ्ते में यह बढ़ गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण बढ़ने के लिए कई दूसरे कारक जिम्मेदार हैं जैसे आड-ईवन-2 के दौरान भलस्वा और गाजीपुर की लैंडफिल साईट में लगी आग, उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग, पंजाब और हरियाणा में खूंटी का जलाया जाना शामिल हैं।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आड-ईवन-2 के लिए पूरा तंत्र काम पर लगाया और जमकर प्रचार किया लेकिन प्रदूषण घटने की जगह बढ़ गया जिससे पता चलता है कि ऑड-ईवन को परमानेंट ही नहीं टेम्पररी लागू करना भी आसान काम नहीं है। इसलिए दिल्ली सरकार फिलहाल आड-ईवन -3 के बारे में नहीं सोच रही है।
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