डीएनडी फ्लाइवे पर रविवार को खासा अफरा-तफरी का माहौल दिखा
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को पड़ोसी राज्य यूपी के नोएडा से जोड़ने वाली अहम सड़क दिल्ली-नोएडा-दिल्ली (डीएनडी) फ्लाइवे पर रविवार को खासा अफरा-तफरी का माहौल दिखा. बीजेपी नेता और यूपी के पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों के समूह ने टोल कंपनी के कर्मचारियों को जबरन बाहर निकाल दिया और सभी गाड़ियों को टोल दिए बिना ही वहां से गुजरने दिया.
दरअसल नागर के नेतृत्व वाली जनहित मोर्चा का आरोप है कि टोल ब्रिज कंपनी अनियमितता बरत रही है और लागत से कई गुना ज्यादा वसूल हो जाने के बावजूद टोल काट कर रही है. इसी के विरोध में उन्होंने रविवार से अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था और रविवार तड़के 6 बजे प्रदर्शनकारियों ने टोल नाके के पास डेरा डाल दिया.
इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस भी बेबस दिखी और प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए उन्होंने कुछ खास नहीं किया. इस पर सिटी मजिस्ट्रेट बच्चू सिंह कहते हैं कि वे 'जनहित मोर्चा के साथ समझौते की कोशिश कर रहे थे' और इस विरोध प्रदर्शन को जल्द से जल्द खत्म कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
वहीं जनहित मोर्चा के प्रमुख नवाब सिंह नागर एनडीटीवी से कहते हैं, 'यह विरोध प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित नहीं है, यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है. नोएडा टोल ब्रिज कंपनी ने इसे बनाने में 183 करोड़ रुपये खर्च किए थे. फिर उन्होंने बताया कि वे इस 400 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च चुके हैं, हालांकि वह लागत अब पूरी हो गई है. लेकिन इसके बाद वह बदस्तूर लोगों को लूट रहे हैं. यह कोई पहला मौका नहीं जब हमने इसका विरोध किया है.'
उधर डीएनडी की प्रवक्ता ने इसे लेकर समझौते की शर्तों को साझा करते हुए कहा, 'नोएडा में उस वक्त लागू धारा 144 को धता बताते हुए निजी स्वार्थ के तहत कुछ लोगों ने जबरन टोल वसूली रुकवा दिया.' उन्होंने कहा कि यह निजी स्वामित्व वाली सार्वजनिक सुविधा है और इसके 80,000 से अधिक शेयरधारक हैं, जिन्होंने इस सड़क में निवेश किया है. उन्होंने बताया, 'डीएनडी का नोएडा के साथ हुआ समझौता 30 वर्षों के लिए साल 2031 तक है. इस तरह की गतिविधियों से देश के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में पीपीपी परियोजनाओं से निवेशकों का भरोसा डिगेगा.'
गौरतलब है कि साल 2001 में शुरू हुए डीएनडी एक्सप्रेस-वे रोजाना करीब एक लाख वाहन गुजरते हैं और वर्तमान में प्रत्येक कार से 30 रुपये से टोल वसूला जाता है. हालांकि रविवार को हुए विरोध प्रदर्शन की वजह से वहां से जुगरने वाले लोगों को टोल नहीं देना पड़ा. ऐसे ही एक शख्स 44 वर्षीय संजीव कुमार कहते हैं, 'अगर यह विरोध प्रदर्शन भ्रष्टाचार के खिलाफ है, तो मैं इसका समर्थन करता हूं.'
दरअसल नागर के नेतृत्व वाली जनहित मोर्चा का आरोप है कि टोल ब्रिज कंपनी अनियमितता बरत रही है और लागत से कई गुना ज्यादा वसूल हो जाने के बावजूद टोल काट कर रही है. इसी के विरोध में उन्होंने रविवार से अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था और रविवार तड़के 6 बजे प्रदर्शनकारियों ने टोल नाके के पास डेरा डाल दिया.
इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस भी बेबस दिखी और प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए उन्होंने कुछ खास नहीं किया. इस पर सिटी मजिस्ट्रेट बच्चू सिंह कहते हैं कि वे 'जनहित मोर्चा के साथ समझौते की कोशिश कर रहे थे' और इस विरोध प्रदर्शन को जल्द से जल्द खत्म कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
वहीं जनहित मोर्चा के प्रमुख नवाब सिंह नागर एनडीटीवी से कहते हैं, 'यह विरोध प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित नहीं है, यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है. नोएडा टोल ब्रिज कंपनी ने इसे बनाने में 183 करोड़ रुपये खर्च किए थे. फिर उन्होंने बताया कि वे इस 400 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च चुके हैं, हालांकि वह लागत अब पूरी हो गई है. लेकिन इसके बाद वह बदस्तूर लोगों को लूट रहे हैं. यह कोई पहला मौका नहीं जब हमने इसका विरोध किया है.'
उधर डीएनडी की प्रवक्ता ने इसे लेकर समझौते की शर्तों को साझा करते हुए कहा, 'नोएडा में उस वक्त लागू धारा 144 को धता बताते हुए निजी स्वार्थ के तहत कुछ लोगों ने जबरन टोल वसूली रुकवा दिया.' उन्होंने कहा कि यह निजी स्वामित्व वाली सार्वजनिक सुविधा है और इसके 80,000 से अधिक शेयरधारक हैं, जिन्होंने इस सड़क में निवेश किया है. उन्होंने बताया, 'डीएनडी का नोएडा के साथ हुआ समझौता 30 वर्षों के लिए साल 2031 तक है. इस तरह की गतिविधियों से देश के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में पीपीपी परियोजनाओं से निवेशकों का भरोसा डिगेगा.'
गौरतलब है कि साल 2001 में शुरू हुए डीएनडी एक्सप्रेस-वे रोजाना करीब एक लाख वाहन गुजरते हैं और वर्तमान में प्रत्येक कार से 30 रुपये से टोल वसूला जाता है. हालांकि रविवार को हुए विरोध प्रदर्शन की वजह से वहां से जुगरने वाले लोगों को टोल नहीं देना पड़ा. ऐसे ही एक शख्स 44 वर्षीय संजीव कुमार कहते हैं, 'अगर यह विरोध प्रदर्शन भ्रष्टाचार के खिलाफ है, तो मैं इसका समर्थन करता हूं.'
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