विज्ञापन
This Article is From Oct 17, 2018

CBI ने कहा- 1984 के सिख विरोधी दंगों में पुलिस की भूमिका में खामी, नेता को लाभ पहुंचाने की कोशिश

सीबीआई ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 Anti Sikh Riots) के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की कथित भूमिका की जांच में ‘‘खामी’’ थी.

CBI ने कहा- 1984 के सिख विरोधी दंगों में पुलिस की भूमिका में खामी, नेता को लाभ पहुंचाने की कोशिश
सीबीआई ने कहा कि सिख विरोधी दंगों (1984 Anti Sikh Riots) के दौरान प्राथमिकी को ठंडे बस्ते में रखा गया.
नई दिल्ली: सीबीआई ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों  (1984 Anti Sikh Riots) के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) की कथित भूमिका की जांच में ‘‘खामी’’ थी क्योंकि इसमें नेता को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ को यह भी बताया कि पुलिस ने इस उम्मीद में दंगों के दौरान दर्ज प्राथमिकी को ठंडे बस्ते में रखा कि प्रभावित लोग सुलह कर लेंगे और मामले को हल कर लेंगे. सीबीआई की ओर से विशेष सरकारी अभियोजक वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा ने बताया कि दिल्ली पुलिस की जांच में ‘‘खामी’’ थी क्योंकि इस उम्मीद में प्राथमिकी ठंडे बस्ते में रखी कि लोग सुलह कर लेंगे और मामले को सुलझा लेंगे. उन्होंने एजेंसी की ओर से दलीलें पूरी करते हुए यह बताया.

राहुल गांधी के बचाव में उतरे अमरिंदर, कहा- 1984 दंगों के लिए कांग्रेस नहीं सिर्फ ये 5 लोग जिम्मेदार

सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, गिरधारी लाल और दो अन्यों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों के दौरान एक नवंबर 1984 को दिल्ली कैंट के राज नगर इलाके में एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या से संबंधित मामले में दोषी ठहराया गया. निचली अदालत ने इस मामले में सज्जन कुमार को बरी कर दिया. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सीबीआई और पीड़ित परिवार ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की. निचली अदालत ने भागमल, खोखर और गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा सुनाई तथा दो अन्यों को तीन साल की जेल की सजा सुनाई. वे मई 2013 में निचली अदालत द्वारा अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय पहुंचे. पीड़ितों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील एच एच फुल्का ने कहा कि कुमार हमेशा ‘‘प्रभाव के पद’’ पर रहे.

1984 दंगों को लेकर राहुल के बचाव में आए चिदंबरम: मनमोहन सिंह ने माफी मांगी थी

अदालत के समक्ष रखी अपनी लिखित दलीलों में फुल्का ने दावा किया कि कुछ आरोपपत्र थे जिसमें 1984 दंगों के कुछ मामलों में पहले कुमार को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया लेकिन पुलिस ने कभी आरोपपत्र दाखिल नहीं किया और इन्हें अपनी फाइलों में रखा. वरिष्ठ वकील ने कहा कि एक मामले में पीड़ित/शिकायतकर्ता ने कुमार को नामजद किया था लेकिन पुलिस ने उनका नाम हटा दिया और अन्य आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया. फुल्का ने कहा कि कुमार के प्रभाव का अन्य उदाहरण तब देखा गया जब सरकार ने एक आयोग की 2005 में की गई सिफारिशों को खारिज कर दिया. इसमें दंगों के संबंध में कांग्रेस नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की गई थी. सज्जन कुमार की ओर से दलीलों पर सुनवाई 22 अक्टूबर से शुरू होगी. 

पढ़ें राजीव गांधी का वह बयान जो आज भी कांग्रेस को डराता है 

VIDEO: न्यूज टाइम इंडिया : ‘क्या मुस्लिम पार्टी है कांग्रेस?’



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
दिल्ली : तिलक नगर के घर में मिला जिम ट्रेनर और उनकी दोस्त का शव, जांच जारी
CBI ने कहा- 1984 के सिख विरोधी दंगों में पुलिस की भूमिका में खामी, नेता को लाभ पहुंचाने की कोशिश
'तलवार, फरसा, डंडा से हमला, SLR और MP-5 गन लूटने की कोशिश; 40 कारतूस छीने': लाल किले की FIR 
Next Article
'तलवार, फरसा, डंडा से हमला, SLR और MP-5 गन लूटने की कोशिश; 40 कारतूस छीने': लाल किले की FIR 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com