DUSU Election: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के नतीजों पर दिल्ली हाईकोर्ट के लगाए रोक के आदेश पर रोक के आदेश को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने तत्काल हटाने की मांग की है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि पूरा चुनाव संपन्न होने के बाद कोर्ट ने नतीजे पर रोक लगाई. इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए.
5000 रुपये पर कही ये बात
याज्ञवल्क्य ने कहा कि बिना देर नतीजे को घोषित किया जाए. छात्रसंघ चुनाव को और रोचक बनाने की जरूरत है. छात्रसंघ चुनाव को कुछ शक्तियां प्रभावित करने के लिए षड्यंत्र करने का प्रयास कर रही हैं. 5000 रुपये में चुनाव प्रचार करना क्या आज के समय में संभव है? सभी छात्रों तक 5000 रुपये में पहुंचना संभव नहीं है. कई चीजें प्रासंगिक नहीं लग रही छात्रसंघ चुनाव में तो रिफॉर्म के लिए कमेटी बनाई जाए.
छात्र एक्टिविज्म को रोकने की कोशिश
एबीवीपी की ओर से याज्ञवल्क्य ने कहा कि कमेटी यह बताए कि चुनाव प्रचार में आचार संहिता किस प्रकार से लागू की जाए. छात्रसंघ चुनाव को और प्रभावी बनाया जाए. चुनाव में रिफॉर्म के नाम पर स्टूडेंट एक्शन की हत्या नहीं करनी चाहिए. किसी भी संस्था को एक पक्षी होने की जरूरत नहीं है. जिस व्यक्ति ने पीआईएल दाखिल की है, उसका ट्रैक रिकार्ड भी देखना चाहिए. हम चाहते हैं कि सभी मुद्दों पर सभी पक्ष बैठकर चर्चा करें. कुछ लोग DUSU चुनाव को रोकना चाहते हैं. कुछ ताकतें सभी कैंपस में मौजूद हैं, जो छात्र एक्टिविज्म को रोकने की कोशिश में हैं.
ये है मामला
दिल्ली उच्च न्यायालय ने डूसू चुनाव की मतगणना पर बृहस्पतिवार को तब तक के लिए रोक लगा दी जब तक कि पोस्टर, होर्डिंग, भित्तिचित्र समेत संपत्ति को विरूपित करने वाली सभी तरह की सामग्री को हटा नहीं दिया जाता. मनोनीत मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया जारी रह सकती है, लेकिन मतों की गिनती तब तक नहीं होगी जब तक अदालत संतुष्ट नहीं हो जाती कि संपत्ति को विरूपित करने वाली सामग्री को हटा दिया गया है.
डीयू को भी फटकार
अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली मेट्रो सहित अन्य एजेंसियों द्वारा बैनर, पोस्टर हटाने में किए गए खर्च का भुगतान करने का भी निर्देश दिया और कहा कि विश्वविद्यालय बाद में उम्मीदवारों से यह राशि वसूल सकता है. पीठ ने कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय को इसके लिए लागत वहन करनी होगी. इसके कारण नगर निकाय एजेंसियों को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता. आप (डीयू) कुछ नहीं कर रहे हैं, आपके पास कोई व्यवस्था नहीं है. डीयू इसे लेकर मजे से घूम रहा था. आप कभी अदालत में नहीं आए कि उम्मीदवारों द्वारा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है. लोगों ने अदालत से संपर्क किया और हमें स्थिति से अवगत कराया.”
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