
ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल सरकारों द्वारा प्रक्रियाओं की क्षमता और ट्रेसिंग को बेहतर बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
खास बातें
- Webops और Blockchain Club के स्टूडेंट्स ने करवाया इलेक्शन
- पहली बार किसी इलेक्शन में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का हुआ इस्तेमाल
- ब्लॉकचेन एक न बदला जा सकने वाला डिस्ट्रिब्यूटेड डिजिटल लैजर होता है
ब्लॉकचेन के माध्यम से भारत में पहली बार एक इलेक्शन करवाया गया है. इंडियन इंस्टिच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास (IIT-M) के स्टूडेंट्स ने पहली बार ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्टूडेंट काउंसिल इलेक्शन करवाए हैं. अधिकारी के अनुसार ऐसा पहली बार किया गया है जब इलेक्शन को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के माध्यम से कंडक्ट करवाया गया है. सेंटर फॉर इनोवेशन (CIF) से Webops और Blockchain Club के विद्यार्थियों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसके माध्यम से ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर इलेक्शन करवाया जा सके.
ब्लॉकचेन एक न बदला जा सकने वाला डिस्ट्रिब्यूटेड डिजिटल लैजर होता है. इस पर जो भी ट्रांजैक्शन होता है उसे 'ब्लॉक' के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है. ब्लॉक में जो जानकारी होती है वह पिछले ब्लॉक से जुड़ी होती है. इस तरह से समय के साथ इसमें ट्रांजैक्शन की एक चेन बन जाती है जिसे बाद में ब्लॉकचेन कह दिया जाता है.
इस तकनीक का इस्तेमाल सरकारों द्वारा प्रक्रियाओं की क्षमता और ट्रेसिंग को बेहतर बनाने के लिए भी किया जा सकता है. मई में ब्राजील की सरकार ने एक ब्लॉकचेन नेटवर्क को लॉन्च किया था ताकि पब्लिक के लिए किए जाने वाले खर्चों में घूसखोरी को कम किया जा सके. यह अभी डिवेलपमेंट स्टेज में है लेकिन यह कई सरकारी संस्थाओं द्वारा इस्तेमाल किया जाएगा.
इस इलेक्शन के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने विद्यार्थियों को 'स्टूडेंट बॉडी इलेक्शन के लिए ब्लॉकचेन सॉफ्टवेयर' का रिकॉर्ड भी प्रदान किया है. Webops और Blockchain Club में फैकल्टी इनचार्ज प्रोफेसर प्रभू राजगोपाल ने कहा कि स्टूडेंट द्वारा पूरा किया गया ये प्रोजेक्ट इलेक्शन करवाने के तरीके को सकारात्मक ढंग से बदलने की क्षमता रखता है.
अधिकारियों के अनुसार, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के माध्यम से इलेक्शन करवाने के फायदों में लागत में कमी, छेड़छाड़ रहित प्रक्रिया जैसी चीजें शामिल हैं, जिससे इलेक्शन में लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा.