मेडिकल कॉलेज में दाखिले के नाम पर ठगे थे 20 लाख, पुलिस ने एक आरोपी को दबोचा

शिकायतकर्ता का बेटा बेटा शिवम रॉय नीट परीक्षा 2019-2020 में शामिल हुआ था. लेकिन कम अंक के कारण उसे एमबीबीएस में दाखिला नहीं मिला. लेकिन दिसंबर 2020 के महीने में, वह आशीष जायसवाल, रोहन सिंह और रोहित के संपर्क में आया. जिन्होंने उसे  मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में दाखिला कराने का आश्वासन देकर बदले में उससे 20 लाख रुपये ठग लिए.

मेडिकल कॉलेज में दाखिले के नाम पर ठगे थे 20 लाख, पुलिस ने एक आरोपी को दबोचा

एमबीबीएस में दाखिले के नाम पर लगाया था चूना

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एमबीबीएस में दाखिले के नाम पर ठगी करने वाले एक हाइप्रोफाइल आरोपी को गिरफ्तार किया है. क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश देव के मुताबिक 30 मई 2022 को इंदर कुमार राय जो कि दिल्ली के एक स्कूल में साइंस के टीचर है, उनकी शिकायत पर केस दर्ज किया गया था. उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उनका बेटा शिवम रॉय नीट परीक्षा 2019-2020 में शामिल हुआ था. लेकिन कम अंक के कारण उसे एमबीबीएस में दाखिला नहीं मिला. लेकिन दिसंबर 2020 के महीने में, वह आशीष जायसवाल, रोहन सिंह और रोहित के संपर्क में आया. जिन्होंने उसे  मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में दाखिला कराने का आश्वासन दिया और बदले में उससे 20 लाख रुपये की मांग की.

ठगों ने शिवम और उसके पिता को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के लैंडलाइन नंबरों से कॉल किया ताकि शिकायतकर्ता को झांसे में लिया जा सके और उनका विश्वास जीता जा सके. उन्होंने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की आधिकारिक मेल आईडी से शिकायतकर्ता को मेल भी भेजे. इसके बाद शिकायतकर्ता ने 20 लाख रुपये दे दिए. हालांकि पैसे लेने के बाद आरोपी बहाने बनाने लगे और कुछ देर बाद फोन बंद कर लापता हो गए. इस मामले में केस दर्ज होने के बाद इंस्पेक्टर दिलीप कुमार की टीम  पेशेवर तरीके से जांच की. मामले की जांच के दौरान पता चला कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के लैंडलाइन नंबरों से की गई कॉल स्पूफिंग का नतीजा थी. ईमेल भी स्पूफिंग के जरिए भेजे गए थे.

कथित खाते का पता न केवल नकली था बल्कि पता नहीं चल रहा था. हालांकि, तकनीकी निगरानी और गुप्त सूत्रों के आधार पर टीम आरोपी विकास पारस उर्फ आशीष जायसवाल के नए ठिकाने का पता लगाने में सफल रही और आखिरकार उसे शेख सराय के इलाके से दबोच लिया गया. पूछताछ में पता चला कि उसका असली नाम विकास पारस है और वह कानपुर, यूपी का रहने वाला है और उसने अपना फर्जी आधार कार्ड बनाया और फर्जी नाम और पते पर कथित बैंक खाता खोला. 2020 में आरोपी विकास पारस ने कोलकाता निवासी एक शख्स आशीष जायसवाल से बंधन बैंक का बैंक खाता खरीदा था. उन्होंने अपनी हस्ताक्षरित चेक बुक, पैन कार्ड, आधार कार्ड और एटीएम कार्ड प्राप्त किया. उसके बाद उसने आशीष जायसवाल के मूल आधार कार्ड में एडिट कर फर्जी आधार कार्ड तैयार किया.

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इसके बाद उसने अपनी मूल तस्वीर और सावित्री नगर, मालवीय नगर, दिल्ली का एक नकली पता जोड़ा. इसी फर्जी आधार कार्ड और मूल पैन कार्ड और आशीष जायसवाल के चेक के आधार पर उसने आईसीआईसीआई बैंक में एक और फर्जी खाता खोला. इस अकाउंट का इस्तेमाल उसने ठगी के लिए किया. वह और उसका सहयोगी फारूकी, रोहन सिंह और रोहित के रूप में नकली पहचान के तहत चाणक्यपुरी में कैफे कॉफी डे में शिकायतकर्ता से मिले थे उनके दूसरे सहयोगी लव गुप्ता ने स्पूफिंग के जरिए सभी कॉल और मेल को मैनेज किया. 33 साल आरोपी विकास पारस उर्फ आशीष जायसवाल मूलरूप से कानपुर का रहने वाला है उसने हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय उत्तराखंड से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है. उसने साल 2019 में एमबीबीएस में फर्जी दाखिले का यह धंधा शुरू किया था.

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