नई दिल्ली:
कई बार हां और ना के बाद आखिरकार ज़िंबाब्वे की टीम मंगलवार की सुबह लाहौर पहुंच गई। मार्च 2009 में श्रीलंकाई टीम पर हुए आतंकी हमले के बाद ये पहला मौक़ा है जब आईसीसी की एक फुल मेंबर टीम क्रिकेट मैच के लिए पाकिस्तान आई है।
ज़िंबाब्वे की टीम पाकिस्तान में मेज़बान टीम के साथ 2 टी20, 3 वनडे मैच खेलेगी। ये सभी मैच लाहौर के गद्दाफ़ी स्टेडियम में 22 मई से 31 मई के बीच खेले जाएंगे। लेकिन 1 जून तक, जबतक ये टीम पाकिस्तान से वापस ज़िंब्बावे रवाना नहीं होती पाकिस्तान के सामने क्रिकेट को जीत दिलाने की बड़ी चुनौती होगी।
इस बार ज़िंबाब्वे टीम के साथ कुछ ऐसा हुआ जो क़रीब छह साल पहले श्रीलंकाई टीम के साथ हुआ था या फिर कोई छोटी दुर्घटना भी हुई तो पाकिस्तान में कम से कम अगले दो दशकों के लिए क्रिकेट पर ताला लग जाएगा। ज़िंबाब्वे टीम के कई खिलाड़ी आने से पहले कह चुके हैं वो इस दौरे को लेकर 'नर्वस' हैं।
लाहौर के अलामा इक़बाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ये टीम मंगलवार की सुबह 1:45 पर पहुंची। 30 सदस्यों वाली इस टीम (16 खिलाड़ी, 9 सपोर्ट स्टाफ़ और 5 बोर्ड ऑफ़िशियल) की सुरक्षा और अगुआई के लिए हज़ारों पाकिस्तानी पुलिसकर्मी मौजूद थे। एयरपोर्ट से होटल तक 14 किलोमीटर के सफ़र के दौरान भी मेहमान टीम को कड़ी सुरक्षा के बीच ही रखा गया। इन सबके बावजूद खिलाड़ियों के चेहरों पर खौफ़ का साया देखा जा सकता था।
दरअसल 3 मार्च 2009 को श्रीलंकाई टीम पर हुए आतंकी हमले में 8 लोग मारे गए थे जबकि कुछ खिलाड़ी भी घायल हो गए थे। हालांकि असोसिएट सदस्य के तौर पर अफ़गानिस्तान ने कई बार पाकिस्तान के दौरे किए। लेकिन इसे लेकर कोई बड़ा हंगामा नहीं किया गया। मीडिया में भी इसे लेकर शोर-शराबा नहीं हुआ।
इसी तरह केन्या की टीम ने भी पाकिस्तान-ए के ख़िलाफ़ पाकिस्तान जाकर पांच वनडे मैच खेले। लेकिन ज़िंबाब्वे के पाकिस्तान दौरे पर पूरी दुनिया की नज़र है। दुनिया भर के फ़ैन्स की नज़र सीरीज़ के नतीजे पर नहीं बल्कि सीरीज़ कैसे बेरोक-टोक के बिना किसी नुकसान के हो पाती है इस नतीजे पर टिकी रहेगी।
ज़िंबाब्वे की टीम पाकिस्तान में मेज़बान टीम के साथ 2 टी20, 3 वनडे मैच खेलेगी। ये सभी मैच लाहौर के गद्दाफ़ी स्टेडियम में 22 मई से 31 मई के बीच खेले जाएंगे। लेकिन 1 जून तक, जबतक ये टीम पाकिस्तान से वापस ज़िंब्बावे रवाना नहीं होती पाकिस्तान के सामने क्रिकेट को जीत दिलाने की बड़ी चुनौती होगी।
इस बार ज़िंबाब्वे टीम के साथ कुछ ऐसा हुआ जो क़रीब छह साल पहले श्रीलंकाई टीम के साथ हुआ था या फिर कोई छोटी दुर्घटना भी हुई तो पाकिस्तान में कम से कम अगले दो दशकों के लिए क्रिकेट पर ताला लग जाएगा। ज़िंबाब्वे टीम के कई खिलाड़ी आने से पहले कह चुके हैं वो इस दौरे को लेकर 'नर्वस' हैं।
लाहौर के अलामा इक़बाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ये टीम मंगलवार की सुबह 1:45 पर पहुंची। 30 सदस्यों वाली इस टीम (16 खिलाड़ी, 9 सपोर्ट स्टाफ़ और 5 बोर्ड ऑफ़िशियल) की सुरक्षा और अगुआई के लिए हज़ारों पाकिस्तानी पुलिसकर्मी मौजूद थे। एयरपोर्ट से होटल तक 14 किलोमीटर के सफ़र के दौरान भी मेहमान टीम को कड़ी सुरक्षा के बीच ही रखा गया। इन सबके बावजूद खिलाड़ियों के चेहरों पर खौफ़ का साया देखा जा सकता था।
दरअसल 3 मार्च 2009 को श्रीलंकाई टीम पर हुए आतंकी हमले में 8 लोग मारे गए थे जबकि कुछ खिलाड़ी भी घायल हो गए थे। हालांकि असोसिएट सदस्य के तौर पर अफ़गानिस्तान ने कई बार पाकिस्तान के दौरे किए। लेकिन इसे लेकर कोई बड़ा हंगामा नहीं किया गया। मीडिया में भी इसे लेकर शोर-शराबा नहीं हुआ।
इसी तरह केन्या की टीम ने भी पाकिस्तान-ए के ख़िलाफ़ पाकिस्तान जाकर पांच वनडे मैच खेले। लेकिन ज़िंबाब्वे के पाकिस्तान दौरे पर पूरी दुनिया की नज़र है। दुनिया भर के फ़ैन्स की नज़र सीरीज़ के नतीजे पर नहीं बल्कि सीरीज़ कैसे बेरोक-टोक के बिना किसी नुकसान के हो पाती है इस नतीजे पर टिकी रहेगी।
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