
Virat Kohli Test Retirement: ये हैं विराट कोहली, भारतीय क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज़ों में एक, लेकिन अब वो टेस्ट मैचों में नज़र नहीं आएंगे. उन्होंने करीब 14 साल टेस्ट क्रिकेट को देने के बाद बल्ला रख दिया है. ये फैसला उन्होंने ऐसे समय लिया है जब आइपीएल के मुक़ाबलों में वो लगातार रन बना रहे थे. हालांकि उनके संन्यास को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. अभी भारतीय टीम इंग्लैंड जाने वाली है. क्या वह टीम रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों की जगह भर सकेगी? ये भी कहा जा रहा है कि उन्हें इंग्लैंड के दौरे पर नहीं लिया जा रहा था. हालांकि बीसीसीआई का कहना है ये फैसला विराट कोहली ने खुद किया है.

भारत के क्रिकेट प्रेमियों को विराट कोहली की पहली याद एक ऐसे किशोर के रूप में है, जिसने अपने पिता को खोने के बाद भी मैच खेलने का फ़ैसला किया था. ये 2006 की बात है. कर्नाटक के ख़िलाफ़ रणजी ट्रॉफी मैच में विराट कोहली 40 रन पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे, लेकिन उसी शाम उनके पिता प्रेम कोहली के न रहने की ख़बर आई, लेकिन कोहली ने इस शोक को अपने समर्पण पर हावी नहीं होने दिया. उन्हें याद था कि उन्हें अपने पिता का सपना भी पूरा करना है. अगले दिन वो फिर मैदान में थे, उन्होंने 90 रन बनाए और दिल्ली की टीम को फॉलोऑन से बचाया.

जाहिर है, कोहली ने बता दिया था कि उनके भीतर कैसा ज़िद्दी खिलाड़ी है. इत्तिफ़ाक से वो भारतीय क्रिकेट से ऐसे समय जुड़े, जब भारतीय टीम एक झंझावात से उबरने की कोशिश कर रही थी. 2007 का साल भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ी नाकामी और एक बड़े प्रयोग का साल था. उस साल जिस वर्ल्ड कप को भारत जीतने की उम्मीद कर रहा था, वह उसके पहले दौर को भी पार नहीं कर सका. बांग्लादेश ने पहले ही मैच में भारत को हरा दिया.

आने वाले दिनों में ये बात सामने आई कि तब के कोच रहे ग्रेग चैपल ने भारतीय टीम को बिल्कुल बांट रखा था. तभी भारतीय टीम ने टी-20 वर्ल्ड कप के लिए कमान बिल्कुल युवा खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी को सौंप दी. धोनी ने अपने चुनाव की लाज रख ली और ये वर्ल्ड कप खिताब जीत लिया. टीम के स्वागत के लिए मुंबई की सड़कों पर जो भीड़ उमड़ी, वह अब इतिहास का हिस्सा है. ये वो समय था जब विराट कोहली भारतीय क्रिकेट टीम के द्वार पर दस्तक दे रहे थे. अगले ही साल 2008 में वो वनडे टीम के सदस्य बने. उसके बाद से अब तक वो भारतीय क्रिकेट के सबसे मज़बूत स्तंभ बने रहे.
2011 की वर्ल्ड कप विजेटा टीम में भी रहे शामिल
वर्ल्ड कप जीतने के बाद सचिन तेंदुलकर को कंधे पर उठा कर घूमते हुए उनकी तस्वीर वायरल हो चुकी है. इत्तिफ़ाक से इसी साल विराट कोहली टेस्ट टीम का भी हिस्सा बने. ये असल में भारतीय क्रिकेट में कोहली युग की शुरुआत है. गावास्कर, कपिलदेव, गांगुली और धोनी के बाद के उस दौर की, जिसमें आत्मविश्वास से भरा भारत दुनिया भर के किले फतह कर रहा है. विराट कोहली की बल्लेबाज़ी में एक क्लीनिकल सफाई दीखती है. उनके स्ट्रोक कई लोगों को बहुत आकर्षक नहीं लगते. वो सहवाग की तरह छक्के नहीं लगाते, वो वीवीएस लक्ष्मण की तरह के कलात्मक बल्लेबाज़ नहीं हैं, लेकिन वो अपने काम में बिल्कुल अचूक हैं. उनको बस रन बनाना आता है और हालात के अनुरूप ढालना आता है.

अपने शुरुआती वर्षों में तो वो जैसे क्रिकेट की अनिश्चितता को स्थगित कर डालते हैं. उनके रूप में भारत को वो बल्लेबाज़ मिल गया है जिसकी सचिन के बाद सबको तलाश थी. सिर्फ टेस्ट मैचों की बात करें तो उन्होंने 123 टेस्ट मैच खेले हैं, 9230 रन बनाए हैं, उनका औसत 46.85 का है, उनके हिस्से 30 शतक और 31 अर्धशतक हैं. वो भारत में सबसे ज़्यादा टेस्ट रन बनाने के मामले में चौथे नंबर पर हैं. उनसे ज़्यादा रन बस तेंदुलकर, द्रविड़ और गावास्कर ने बनाए हैं. जबकि कोहली ने सात दोहरे शतक लगाए हैं जो किसी और भारतीय खिलाड़ी के हिस्से नहीं हैं.

विराट कोहली की महानता की झलक
सच तो ये है कि ये आंकड़े विराट कोहली की महानता की झलक नहीं दिखाते. टेस्ट मैचों में गावसकर, द्रविड़, सहवाग, तेंदुलकर सहित कई ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिनका औसत 50 के पार है. लेकिन दरअसल बीते कुछ वर्षों में कोहली के आउट ऑफ फॉर्म रहने की वजह से ये आंकड़े ऐसे हो गए हैं. वरना ऐसा भी दौर रहा है जब तेंदुलकर बस शतक पर शतक लगाते दिखाई पड़ते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि वो क्रिकेट के तीनों प्रारूपों- टेस्ट मैच, वनडे और टी-20 में लगभग एक सी महारथ के साथ बल्लेबाज़ी करते हैं और एक दौर ऐसा भी आता है जब तीनों फॉर्मैट में उनका बल्लेबाज़ी औसत 50 के पार का है. वनडे मैचों में तो कभी वो 60 के औसत के पार जा रहे थे. अब भी उनका औसत 58 को छूता हुआ है जबकि टी-20 मुक़ाबलों में वो 48 पार का औसत निकाल रहे हैं जिसका कोई सानी नहीं हो सकता. अगर क्रिकेट के सभी प्रारूपों को जोड़ कर देखें को विराट कोहली अपने समय के कई खिलाड़ियों से काफ़ी आगे दिखते हैं.
क्रिकेट के विराट रिकॉर्डधारी
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वो 21 बार मैन ऑफ द सीरीज़ चुने गए हैं. सचिन तेंदुलकर 20 की संख्या के साथ इस मामले में दूसरे नंबर पर हैं. बीते वर्ल्ड कप में वो 11 मैचों में 95.62 के औसत से 765 रन बना डाले और उनकी स्कोरिंग दर 90.31 की थी. जो लोग क्रिकेट समझते हैं, वो इस आंकड़े की गहराई को बेहतर ढंग से समझेंगे. वनडे मैचों में उनके 50 शतक हैं जो किसी और खिलाड़ी के नहीं हैं. टेस्ट मैचों में उन्होंने भारत की ओर से सबसे ज़्यादा 68 टेस्टों में कप्तानी की और सबसे ज़्याादा 40 टेस्ट जीते. जीत के मामले में दुनिया के बस दो कप्तान उनसे आगे हैं. रिकी पॉन्टिंग और ग्रैम स्मिथवो लॉयड और फ्लेमिंग जैसे कप्तानों से कहीं ज़्यादा कामयाब हैं.

जादुई अंदाज से बनाए रन
दरअसल विराट कोहली को अगर नए भारत की पहचान माना जाता है तो इसकी वजह उनके खेल और उनके रिकॉर्ड्स में ही नहीं, उनकी कुल शख्सियत और उनके रवैये में है.वो भारतीय टीम के सबसे फिट खिलाड़ियों में हैं. उन्होंने फिटनेस को लगभग सबके लिए पैमाना बना दिया. उनके भीतर अपनी तरह की मुखर आक्रामकता रही. महेंद्र सिंह धोनी ने बेशक कैप्टन कूल के तौर पर नाम कमाया, लेकिन विराट कोहली ऐसे कप्तान के तौर पर जाने गए जो अपने जज़्बात को मैदान पर कभी छुपाते नहीं रहे. उनकी आक्रामकता को दूर से पहचाना जाता रहा. वो वाकई धोनी के बाद भारतीय क्रिकेट का अलग युग बनाते रहे. यही वजह है कि टेस्ट मैचों से उनके संन्यास के बाद अचानक उनको लेकर लोगों की प्रतिक्रियाओं का तांता लग गया है. सचिन तेंदुलकर ने एक बहुत निजी किस्म के प्रसंग का जिक्र करते हुए विराट कोहली को शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया है.

सचिन तेंदुलकर ने विराट को दी शुभकामनाएं
जब आप टेस्ट से रिटायर हो रहे हैं, मुझे 12 साल पहले आपकी वह सुचिंतित भंगिमा याद आती है, जब मेरे आख़िरी टेस्ट के दौरान आपने मुझे अपने दिवंगत पिता का एक धागा दिया था. ये मेरे लिए इतना निजी था कि लेना मुश्किल था, लेकिन ये भंगिमा दिल छू लेने वाली थी और मुझे हमेशा याद रह गई. दिया था. मेरे पास ऐसा कोई धागा लौटाने के लिए नहीं है, लेकिन मेरी हार्दिक प्रशंसा और शुभकामनाएं स्वीकार करें. विराट, आपकी सच्ची विरासत इस बात में है कि आपसे अनगिनत युवा क्रिकेटरों ने खेल से जुड़ने की प्रेरणा ली. क्या नायाब टेस्ट करिअर रहा है आपका. आपने भारतीय क्रिकेट को रनों से कहीं ज़्यादा काफ़ी कुछ दिया है. आपने इसे जज़्बाती मुरीदों और खिलाड़ियों की एक नई पीढ़ी दी है.
As you retire from Tests, I'm reminded of your thoughtful gesture 12 years ago, during my last Test. You offered to gift me a thread from your late father. It was something too personal for me to accept, but the gesture was heartwarming and has stayed with me ever since. While I… pic.twitter.com/JaVzVxG0mQ
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) May 12, 2025
विराट कोहली के रिटायरमेंट पर अनुष्का ने लिखा
विराट की विराटता का एक आयाम और रहा. खेल के मैदान से बाहर भी उन्होंने जो बड़प्पन दिखाया, उसका जवाब नहीं. अनुष्का शर्मा से उनकी शादी पर सबकी नज़र रही. शुरू में अनुष्का दोस्त रहीं, बीच में दूर हुईं और जब विराट के फैन्स ने उनको ट्रोल करना शुरू किया तो विराट बहुत सख़्ती से अनुष्का के बचाव के लिए सामने आए. बाद में ये जोड़ी विरुष्का कहलाई और अब भी सोशल मीडिया की सबसे कामयाब जोड़ियों में है. विराट कोहली के टेस्ट मैचों से रिटायर होने की ख़बर पर अनुष्का ने बहुत संवेदनशील ढंग से इंस्टाग्राम पर लिखा.
वे तुम्हारे कीर्तिमानों और मील के पत्थरों की बात करेंगे, लेकिन मैं तुम्हें उन आंसुओं के लिए याद रखूंगी जो तुमने कभी जाहिर नहीं किए, उन युद्धों के लिए जो किसी को नहीं दिखे, और उस निष्कंप प्यार के लिए, जो तुमने इस खेल को दिया. मुझे पता है, इन सबके लिए तुम्हें क्या चुकाना पड़ा है. हर टेस्ट सीरीज़ के बाद तुम कुछ ज़्यादा विनम्र, कुछ और विवेकशील होकर लौटते थे और तुम्हें इन सबके बीच विकसित होते देखना बेहद ख़ास था.
बधाइयों और शुभकामनाओं का ये सिलसिला बहुत लंबा है और बहुत सारी खेल शख्सियतों तक जाता है. अनिल कुंबले, शुभमन गिल और न जाने कितने खिलाडियों ने विराट कोहली को शुभकामनाएं दी हैं. लेकिन याद रखने की बात है कि विराट कोहली ने टेस्ट मैच छोड़ा है, बल्ला नहीं. वे वनडे मैचों के लिए सुलभ रहेंगे. और माना जा रहा है कि शायद 2027 का वर्ल्ड कप भी खेलें. तो इंतज़ार कीजिए, विराट का करिश्मा अभी बाक़ी है. उनमें भारतीय क्रिकेट की परंपरा भी बोलती है और उसका भविष्य भी.
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