
सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल
नई दिल्ली:
भारतीय पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने खुलासा किया है कि साल 2005 में ग्रेग चैपल की बतौर भारतीय कोच नियुक्ति से पहले कई दिग्गजों ने उन्हें चेताया था. यहां तक कि इस मामले में चैपल के भाई इयान चैपल का रवैया भी सकारात्मक नहीं था. लेकिन सौरव गांगुली ने कहा कि उन्होंने इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज करने का फैसला करके उनकी नियुक्ति को लेकर अपनी अंतररात्मा की आवाज पर विश्वास किया, लेकिन इसके बावजूद सौरव गांगुली को इस फैसले पर मलाल है.
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ग्रेग की नियुक्ति के बारे में इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि 2004 में जब जॉन राइट की जगह पर नए कोच की नियुक्ति पर चर्चा हुई तो उनके दिमाग में सबसे पहला नाम चैपल का आया, उन्होंने लिखा, ‘मुझे लगा कि ग्रेग चैपल हमें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में नंबर एक तक ले जाने के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होंगे. मैंने जगमोहन डालमिया को अपनी पसंद बता दी थी’ गांगुली ने कहा, ‘कुछ लोगों ने मुझे ऐसा कदम नहीं उठाने की सलाह दी थी. सुनील गावस्कर भी उनमें से एक थे. उन्होंने कहा था सौरव इस बारे में फिर से सोचो. उसके (ग्रेग) साथ रहते हुए तुम्हें टीम के साथ दिक्कतें हो सकती हैं. उसका कोचिंग का पिछला रिकार्ड भी बहुत अच्छा नहीं रहा है’
उन्होंने कहा कि डालमिया ने भी एक सुबह उन्हें फोन करके अनिवार्य चर्चा के लिए अपने आवास पर बुलाया था. गांगुली ने कहा, ‘उन्होंने विश्वास के साथ यह बात साझा की कि यहां तक उनके (ग्रेग के) भाई इयान का भी मानना है कि ग्रेग भारत के लिए सही पसंद नहीं हो सकते हैं. लेकिन मैंने इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज करने का फैसला किया और अपनी अंतररात्मा की आवाज सुनी ’
VIDEO : गावस्कर ने पिछले साल आर अश्विन के काउंटी क्रिकेट खेलने पर कुछ यह राय दी थी.
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद जो कुछ हुआ वह इतिहास है। लेकिन यही जिंदगी है. कुछ चीजें आपके अनुकूल होती हैं जैसे कि मेरा आस्ट्रेलिया दौरा और कुछ नहीं जैसे कि ग्रेग वाला अध्याय. सौरव ने कहा कि मलाल यह है कि मैंने उस देश पर जीत दर्ज की लेकिन उसके एक नागरिक पर नहीं’
चैपल की कोच पद पर नियुक्ति से पहले गांगुली ने उनकी मदद ली थी. यहां तक वह 2003 के ऑस्ट्रेलिया दौर से पहले वहां के मैदानों की जानकारी लेने तथा खुद की और अपने साथियों की तैयारियों के सिलसिले में गोपनीय दौरे पर भी गए थे, उन्होंने चैपल से संपर्क किया क्योंकि उनका मानना था कि उनके मिशन में मदद करने के लिए वह सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होंगे. गांगुली ने अपनी आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’में लिखा है, ‘अपनी पिछली बैठकों में उन्होंने मुझे अपने क्रिकेटिया ज्ञान से काफी प्रभावित किया था'. लेकिन गांगुली को तब पता नहीं था कि यह साथ उस दौर का सबसे विवादास्पद साथ बन जाएगा.A century is not enough” ...published and out in the market today ..not an autobiography..but a walk thru the path to success and failure ..enjoy it ..
— Sourav Ganguly (@SGanguly99) February 25, 2018
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ग्रेग की नियुक्ति के बारे में इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि 2004 में जब जॉन राइट की जगह पर नए कोच की नियुक्ति पर चर्चा हुई तो उनके दिमाग में सबसे पहला नाम चैपल का आया, उन्होंने लिखा, ‘मुझे लगा कि ग्रेग चैपल हमें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में नंबर एक तक ले जाने के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होंगे. मैंने जगमोहन डालमिया को अपनी पसंद बता दी थी’ गांगुली ने कहा, ‘कुछ लोगों ने मुझे ऐसा कदम नहीं उठाने की सलाह दी थी. सुनील गावस्कर भी उनमें से एक थे. उन्होंने कहा था सौरव इस बारे में फिर से सोचो. उसके (ग्रेग) साथ रहते हुए तुम्हें टीम के साथ दिक्कतें हो सकती हैं. उसका कोचिंग का पिछला रिकार्ड भी बहुत अच्छा नहीं रहा है’
For essilor in Coimbatore..stay sharp stay focused @essilorindia pic.twitter.com/1HlXSiPC1Q
— Sourav Ganguly (@SGanguly99) February 23, 2018
उन्होंने कहा कि डालमिया ने भी एक सुबह उन्हें फोन करके अनिवार्य चर्चा के लिए अपने आवास पर बुलाया था. गांगुली ने कहा, ‘उन्होंने विश्वास के साथ यह बात साझा की कि यहां तक उनके (ग्रेग के) भाई इयान का भी मानना है कि ग्रेग भारत के लिए सही पसंद नहीं हो सकते हैं. लेकिन मैंने इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज करने का फैसला किया और अपनी अंतररात्मा की आवाज सुनी ’
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उन्होंने कहा, ‘इसके बाद जो कुछ हुआ वह इतिहास है। लेकिन यही जिंदगी है. कुछ चीजें आपके अनुकूल होती हैं जैसे कि मेरा आस्ट्रेलिया दौरा और कुछ नहीं जैसे कि ग्रेग वाला अध्याय. सौरव ने कहा कि मलाल यह है कि मैंने उस देश पर जीत दर्ज की लेकिन उसके एक नागरिक पर नहीं’
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