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This Article is From Aug 14, 2014

भारत के सामने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट शृंखला बराबर करने की कठिन चुनौती

भारत के सामने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट शृंखला बराबर करने की कठिन चुनौती
लंदन:

पिछले दो टेस्ट में शर्मनाक हार के बाद खराब फॉर्म से जूझ रही भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड के खिलाफ शुक्रवार से शुरू हो रहे पांचवें और आखिरी टेस्ट के जरिये शृंखला में बराबरी करके खोई प्रतिष्ठा हासिल करने के इरादे से उतरेगी।

लॉर्ड्स पर ऐतिहासिक जीत के बाद भारत को साउथम्पटन और मैनचेस्टर में शर्मनाक पराजय झेलनी पड़ी। अब शृंखला में 1-2 से पिछड़ी भारतीय टीम के सामने हार को टालने की बड़ी चुनौती है।

भारत के बल्लेबाज लगातार नाकाम रहे हैं और गेंदबाजी में भी धार नहीं दिखी, जिससे इंग्लैंड को वापसी का मौका मिल गया। भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि तेज गेंदबाज इशांत शर्मा आखिरी टेस्ट के लिए फिट हो गए हैं। टीम प्रबंधन के सामने चयन की दुविधा यह है कि खराब फॉर्म से जूझ रहे रविंद्र जडेजा को चुने या बेंच स्ट्रेंथ को आजमाए।

पिछले दो टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों ने काफी निराश किया। विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर सके हैं। टेस्ट विशेषज्ञ पुजारा के पास यह आखिरी मौका है और कोहली को भी खराब फॉर्म से उबरना होगा। टीम में वापसी करने वाले गौतम गंभीर भी दबाव में हैं और उन्हें अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी।

लॉर्ड्स पर जीत के सूत्रधार रहे इशांत की वापसी से गेंदबाजी मजबूत हुई है। वह टीम में पंकज सिंह की जगह लेंगे, चूंकि वरुण आरॉन अपने प्रदर्शन से प्रभावित करने में सफल रहे हैं। मैनचेस्टर में खराब प्रदर्शन के कारण जडेजा का खेलना संदिग्ध लग रहा है। पांचवें गेंदबाज के रूप में वह भले ही उपयोगी हों, लेकिन बल्लेबाजी में वह स्टुअर्ट बिन्नी जैसे खिलाड़ियों से उन्नीस साबित हुए हैं। ऐसे संकेत हैं कि भारत अधिक बदलाव किए बिना पांच गेंदबाजों को लेकर उतर सकता है।

लॉर्ड्स पर 95 रन से जीत दर्ज करने के बाद सब कुछ भारत के अनुकूल लग रहा था, लेकिन उसके बाद इंग्लैंड ने शानदार वापसी करते हुए साउथम्पटन में 11 टेस्ट बाद पहली जीत दर्ज की। फिर मैनचेस्टर में भारत को तीन दिन के भीतर ही हराया।

चौथे टेस्ट में मिली हार के बाद ऐसा माना जा रहा था कि भारतीय टीम को आराम की जरूरत है, ताकि तरोताजा होकर आखिरी मैच खेल सके। वैसे हार का कारण थकान नहीं, बल्कि प्रतिकूल हालात में क्रीज पर टिके रहने की इच्छाशक्ति का अभाव था। खिलाड़ियों में प्रतिबद्धता की कमी दिखी।

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी शुक्रवार को जब टॉस के लिए उतरेंगे, तो विदेश में 28 टेस्ट में भारत की कप्तानी के सौरव गांगुली के रिकॉर्ड की बराबरी भी कर लेंगे। गांगुली ने उनमें से 11 टेस्ट जीते, 10 हारे और बाकी ड्रॉ रहे। वहीं धोनी ने छह जीते, आठ ड्रॉ रहे और 13 हारे।

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