नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कह दिया है कि भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) में सुधारों पर जस्टिस आरएम लोढ़ा पैनल की रिपोर्ट को लागू करना ही होगा। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि मामला खत्म और दूसरी पारी की गुंजाइश नहीं है।
चीफ जस्टिस ने चेतावनी भी दी कि अगर BCCI को दिक्कत है, तो वो लोढ़ा पैनल को ही समाधान निकालने के लिए कहेंगे। हालांकि सुनवाई के दौरान BCCI ने कोर्ट में कहा कि ये सिफारिशें लागू करने में दिक्कतें हैं। इसमें कई कानूनी परेशानियां भी हैं। 7 फरवरी को लीगल कमेटी की बैठक है।
रिपोर्ट लागू करनी ही होगी
इस पर कोर्ट ने कहा कि BCCI को रिपोर्ट लागू करनी ही होगी। उसे क्या परेशानी है, चार हफ्ते में कोर्ट को बताए। कोर्ट 3 मार्च को इस मामले की सुनवाई करेगा।
जजों ने कहा, 'पूर्ण सुधार के लिए रास्ता पूरी तरह साफ किया जाना चाहिए। इस मुद्दे पर BCCI को बिल्कुल यथार्थवादी रवैया अपनाना चाहिए। हमें कमेटी की सिफारिशों से असहमति का कोई कारण नजर नहीं आता।'
दरअसल लोढ़ा कमेटी ने BCCI में विस्तृत सुधारों की सिफारिश करते हुए मंत्रियों और सरकारी अफसरों के विभिन्न संघों के पदाधिकारी बनने पर रोक लगाए जाने, आयु सीमा और पदाधिकारियों का कार्यकाल तय करने तथा सट्टेबाजी को वैध बनाने की सलाह दी थी।
खास बात यह कि समिति ने जो सुधारवादी सुझाव दिए हैं, उनके व्यापक प्रभाव पड़ेंगे और इससे कई राज्य संघों के अध्यक्ष भी प्रभावित होंगे, जो पिछले लंबे समय से अपने पदों पर आसीन हैं। कुछ सुधार प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के अनुरूप सुझाए गए हैं।
मुख्य सिफारिशें
पहली सिफारिश में कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआई या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता। इस पर अमल हुआ तो मुंबई क्रिकेट संघ के महत्वाकांक्षी अध्यक्ष शरद पवार, तमिलनाडु क्रिकेट संघ के एन. श्रीनिवासन की बोर्ड में वापसी का रास्ता बंद हो जाएगा। सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के प्रमुख निरंजन शाह, पंजाब के शीर्ष पदाधिकारियों एमपी पांडोव और आईएस बिंद्रा के लिए भी अपने राज्य संघों में बने रहना मुश्किल हो जाएगा।
दूसरी सिफारिश में एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा। इसका मतलब है कि बीसीसीआई एजीएम के दौरान ऐसी स्थिति में अध्यक्ष शशांक मनोहर मतदान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि महाराष्ट्र का ही मान्यता प्राप्त वोटर होगा। विदर्भ और मुंबई एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट हो जाएंगे।
इसी तरह से निरंजन शाह मतदान नहीं कर पाएंगे, क्योंकि सौराष्ट्र एसोसिएट सदस्य बन जाएगा और गुजरात मुख्य सदस्य। इस तरह से बिहार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को भी स्वतंत्र राज्य होने के कारण मतदान का अधिकार मिल जाएगा। राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब (एनसीसी) अपना मतदान का अधिकार गंवा देगा।
चीफ जस्टिस ने चेतावनी भी दी कि अगर BCCI को दिक्कत है, तो वो लोढ़ा पैनल को ही समाधान निकालने के लिए कहेंगे। हालांकि सुनवाई के दौरान BCCI ने कोर्ट में कहा कि ये सिफारिशें लागू करने में दिक्कतें हैं। इसमें कई कानूनी परेशानियां भी हैं। 7 फरवरी को लीगल कमेटी की बैठक है।
रिपोर्ट लागू करनी ही होगी
इस पर कोर्ट ने कहा कि BCCI को रिपोर्ट लागू करनी ही होगी। उसे क्या परेशानी है, चार हफ्ते में कोर्ट को बताए। कोर्ट 3 मार्च को इस मामले की सुनवाई करेगा।
जजों ने कहा, 'पूर्ण सुधार के लिए रास्ता पूरी तरह साफ किया जाना चाहिए। इस मुद्दे पर BCCI को बिल्कुल यथार्थवादी रवैया अपनाना चाहिए। हमें कमेटी की सिफारिशों से असहमति का कोई कारण नजर नहीं आता।'
दरअसल लोढ़ा कमेटी ने BCCI में विस्तृत सुधारों की सिफारिश करते हुए मंत्रियों और सरकारी अफसरों के विभिन्न संघों के पदाधिकारी बनने पर रोक लगाए जाने, आयु सीमा और पदाधिकारियों का कार्यकाल तय करने तथा सट्टेबाजी को वैध बनाने की सलाह दी थी।
खास बात यह कि समिति ने जो सुधारवादी सुझाव दिए हैं, उनके व्यापक प्रभाव पड़ेंगे और इससे कई राज्य संघों के अध्यक्ष भी प्रभावित होंगे, जो पिछले लंबे समय से अपने पदों पर आसीन हैं। कुछ सुधार प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के अनुरूप सुझाए गए हैं।
मुख्य सिफारिशें
पहली सिफारिश में कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआई या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता। इस पर अमल हुआ तो मुंबई क्रिकेट संघ के महत्वाकांक्षी अध्यक्ष शरद पवार, तमिलनाडु क्रिकेट संघ के एन. श्रीनिवासन की बोर्ड में वापसी का रास्ता बंद हो जाएगा। सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के प्रमुख निरंजन शाह, पंजाब के शीर्ष पदाधिकारियों एमपी पांडोव और आईएस बिंद्रा के लिए भी अपने राज्य संघों में बने रहना मुश्किल हो जाएगा।
दूसरी सिफारिश में एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा। इसका मतलब है कि बीसीसीआई एजीएम के दौरान ऐसी स्थिति में अध्यक्ष शशांक मनोहर मतदान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि महाराष्ट्र का ही मान्यता प्राप्त वोटर होगा। विदर्भ और मुंबई एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट हो जाएंगे।
इसी तरह से निरंजन शाह मतदान नहीं कर पाएंगे, क्योंकि सौराष्ट्र एसोसिएट सदस्य बन जाएगा और गुजरात मुख्य सदस्य। इस तरह से बिहार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को भी स्वतंत्र राज्य होने के कारण मतदान का अधिकार मिल जाएगा। राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब (एनसीसी) अपना मतदान का अधिकार गंवा देगा।
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