गावस्कर ने बिल्कुल सही समय पर लिया था संन्यास, कपिल की देरी ने इस सीमर का किया नुकसान

तेंदुलकर ने अपने के दम पर ‘भगवान’ का तमगा हासिल किया। करियर के आखिरी दौर में उनमें वह दमखम नहीं था जिसके लिए उन्हें जाना जाता है. उन्होंने बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) को संन्यास की योजना के बारे में पहले ही बता दिया और बोर्ड ने भी उन्हें निराश नहीं किया.

गावस्कर ने बिल्कुल सही समय पर लिया था संन्यास, कपिल की देरी ने इस सीमर का किया  नुकसान

सुनील गावस्कर की फाइल फोटो

खास बातें

  • भारतीय दिग्गजों के संन्यास की टाइमिंग
  • इस वजह से टीम पर बोझ बन गए थे कपिल
  • सचिन ने भी करियर को लंबा खींचा
नई दिल्ली:

संन्यास को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों में काफी असमंजस की स्थिति रही है. और एमएस धोनी (MS Dhoni) के संन्यास के साथ एक चर्चा यह भी शुरू हो गयी है कि किस भारतीय दिग्गज ने सही समय पर संन्यास लिया, तो किसने इस मामले में देरी की. इस कड़ी में महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कार ने शानदार लय में रहते हुए खेल को अलविदा कहा जबकि सचिन तेंदुलकर ने भी ऐसा करने में थोड़ा समय लिया तो वही कपिल देव ने इसमें दो साल की देरी की. गावस्कर ने 1986 में घोषणा कर दी थी 1987 की शुरूआत में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला उनके करियर की आखिरी टेस्ट श्रृंखला होगी जबकि रिलायंस विश्व कप (1987) के बाद वह खेल के सभी प्रारूपों को अलविदा कह देंगे. गावस्कर के उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेंदुलकर का करियर उस समय परवान चढ़ा जब भारत में सेटेलाइट टेलीविजन का चलन बढ़ रहा था. यह ऐसा समय था जब जगमोहन डालमिया के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट ने अपने वास्तविक मूल्य को पहचाना.

यह भी पढ़ें: यारों के यार हैं एमएस धोनी, अपने इन दोस्तों को फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया माही ने

तेंदुलकर ने अपने के दम पर ‘भगवान' का तमगा हासिल किया. करियर के आखिरी दौर में उनमें वह दमखम नहीं था जिसके लिए उन्हें जाना जाता है. उन्होंने बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) को संन्यास की योजना के बारे में पहले ही बता दिया और बोर्ड ने भी उन्हें निराश नहीं किया. भारत के सबसे महान हरफनमौला खिलाड़ी माने जाने वाले कपिल देव करियर के आखिरी दौर में बिल्कुल बेरंग हो गये थे. वेस्टइंडीज के खिलाफ घुटने पर गेंद लगने के बाद वह लंगड़ाते हुए फरीदाबाद के नाहर सिंह स्टेडियम के मैदान से बाहर निकले. इसके कुछ दिन बाद दिवाली के दिन उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी. हर किसी को हालांकि लगता था कि उन्होंने ऐसा करने में दो-तीन साल देर कर दी.


यह भी पढ़ें: विज्ञापनों की संख्या के मामले में धोनी अभी भी विराट पर भारी, लॉकडाउन में अपनायी यह नयी रणनीति

जवागल श्रीनाथ अपने सर्वश्रेष्ठ दिनों में 1991 ये 1994 तक टेस्ट मैच नहीं खेल सकें क्योंकि कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और मैनेजर अजित वाडेकर इंतजार कर रहे थे कि कपिल कब रिचर्ड हेडली के टेस्ट विकेट का रिकॉर्ड तोड़ेंगे. करियर के दौरान कई शानदार पारी खेलने वाले वाडेकर भी संन्यास के समय खलनायक बन गये थे. भारतीय टीम को 1971 में वेस्टइंडीज और इंग्लैड में जीत दिलाने वाले वाडेकर 1974 में इंग्लैंड से 0-3 से श्रृंखला गंवाने के बाद खलनायक बन गये थे.

भारतीय टीम के इस कप्तान को चयनकर्ताओं ने इसके बाद राष्ट्रीय टीम को छोडिये पश्चिमी क्षेत्र की टीम में भी शामिल नहीं किया. हाल के वर्षों में सौरव गांगुली का संन्यास भी विवादित रहा. इसके बाद टेस्ट टीम के कप्तान अनिल कुंबले ने भी कहा कि वह अपना शत प्रतिशत नहीं दे पा रहे और उन्होंने भी संन्यास की घोषणा कर दी. राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच एडिलेड में 2011-12 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान एक साथ खेला था. द्रविड़ ने इस दौरे के बाद संन्यास की घोषणा कर दी, जबकि लक्ष्मण ने थोड़ा इंतजार किया. न्यूजीलैंड श्रृंखला से पहले तत्कालीन कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी पर फोन कॉल नहीं लेने का आरोप लगाते हुए खेल को अलविदा कह दिया.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

VIDEO: कुछ दिन पहले विराट ने करियर को लेकर बड़ी बात कही थी.