
नई दिल्ली:
टीम इंडिया के सफलतम कप्तानों में गिने जाने वाले सौरव गांगुली को इस बात का अफसोस है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का फैसला गुस्से और जल्दबाजी में लिया।
कोलकाता में एक अखबार को दिए साक्षात्कार में सौरव ने कहा कि उन्हें वर्ष 2008 में लिए गए संन्यास के अपने फैसले पर अफसोस होता है, क्योंकि उस वक्त उन्होंने गुस्से में आकर संन्यास का फैसला ले लिया था, जबकि वह दो-तीन साल और खेल सकते थे। गांगुली ने कहा, "दरअसल, मुझे रेस्ट ऑफ इंडिया की टीम में जगह नहीं दी गई थी, जिसके कारण मैं निराश हो गया था।"
सौरव ने कहा कि अगर उस समय उन्होंने शांति और सब्र से काम लिया होता तो वह कहीं ज्यादा टेस्ट मैच खेल सकते थे, और अपने रिकॉर्ड को बेहतर कर सकते थे। 12 साल तक भारतीय क्रिकेट का हिस्सा रहे पूर्व कप्तान ने अपनी भावनाओं को जाहिर किया, और बोले, "मुझे क्रिकेट को इस तरह अलविदा नहीं कहना चाहिए था। यदि मैंने धैर्य रखा होता तो मैं दो साल और खेलता, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।"
क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर शानदार शतक के साथ वर्ष 1996 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले सौरव ने नवंबर, 2008 में क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया था। वन-डे इंटरनेशनल क्रिकेट में 11,363 रन और टेस्ट क्रिकेट में 7,212 रन बनाने वाले सौरव ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला था। वर्ष 2008 के श्रीलंका दौरे पर उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा था, और इसके बाद लगातार उनकी आलोचना होती रही। इसी बात से गांगुली गुस्से में आए, और उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
कोलकाता में एक अखबार को दिए साक्षात्कार में सौरव ने कहा कि उन्हें वर्ष 2008 में लिए गए संन्यास के अपने फैसले पर अफसोस होता है, क्योंकि उस वक्त उन्होंने गुस्से में आकर संन्यास का फैसला ले लिया था, जबकि वह दो-तीन साल और खेल सकते थे। गांगुली ने कहा, "दरअसल, मुझे रेस्ट ऑफ इंडिया की टीम में जगह नहीं दी गई थी, जिसके कारण मैं निराश हो गया था।"
सौरव ने कहा कि अगर उस समय उन्होंने शांति और सब्र से काम लिया होता तो वह कहीं ज्यादा टेस्ट मैच खेल सकते थे, और अपने रिकॉर्ड को बेहतर कर सकते थे। 12 साल तक भारतीय क्रिकेट का हिस्सा रहे पूर्व कप्तान ने अपनी भावनाओं को जाहिर किया, और बोले, "मुझे क्रिकेट को इस तरह अलविदा नहीं कहना चाहिए था। यदि मैंने धैर्य रखा होता तो मैं दो साल और खेलता, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।"
क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर शानदार शतक के साथ वर्ष 1996 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले सौरव ने नवंबर, 2008 में क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया था। वन-डे इंटरनेशनल क्रिकेट में 11,363 रन और टेस्ट क्रिकेट में 7,212 रन बनाने वाले सौरव ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला था। वर्ष 2008 के श्रीलंका दौरे पर उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा था, और इसके बाद लगातार उनकी आलोचना होती रही। इसी बात से गांगुली गुस्से में आए, और उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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