शशांक मनोहर (फाइल फोटो)
मुंबई:
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बोर्ड के आला अधिकारियों को इस बाबत उन्होंने मंगलवार शाम 4.02 पर ईमेल किया जिसकी एक्सक्लूसिव कॉपी एनडीटीवी के पास है।
अपने इस्तीफे में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के साथ एशियन क्रिकेट काउंसिल में बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष अपनी नुमाइंदगी छोड़ने का ऐलान किया है। शशांक मनोहर अक्टूबर 2015 में जगमोहन डालमिया की मौत के बाद बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे।
शशांक मनोहर जून में आईसीसी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकते हैं और मौजूदा गणित के मुताबिक इस पद पर चुने जाने में उन्हें कोई मुश्किल भी नहीं आएगी। बीसीसीआई में ये मनोहर की दूसरी पारी थी, 2008-2011 के बीच शशांक मनोहर की साफ सुथरी छवि के सब कायल रहे। हालांकि लोढ़ा कमेटी की सिफारिश के बाद कई एसोसिएशन शशांक से नाराज़ चल रहे थे, सूत्रों के मुताबिक लगभग 21 असोसिएशन तख्ता पलट के लिए पूरी तरह तैयार बैठे थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट लागू होने के हालात में एक राज्य एक पद का प्रावधान अमल में आ जाएगा, जिसके बाद महाराष्ट्र से सिर्फ महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के पास वोट की ताकत बचती, मनोहर के विदर्भ क्रिकेट संघ का वोट हट जाता। सुधार की बयार आईसीसी में भी चल पड़ी है, वहां भी 'एक व्यक्ति एक पद' का नियम लागू है। ऐसे में शशांक क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था में 5 साल तक अपने पद पर बने रह सकते हैं।
ईमानदार छवि वाले शशांक मनोहर 2008 से 2011 के बीच पहली बार बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे। पेशे से वकील मनोहर पिछले साल अक्टूबर में जगमोहन डालमिया के निधन के बाद दोबारा बोर्ड अध्यक्ष बने। मनोहर ने अध्यक्ष बनने के बाद दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में बदलाव की मुहिम शुरू की। बीसीसीआई पर जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफ़ारिशों को लागू करने का दबाव है। सुप्रीम कोर्ट चाहती है कि बीसीसीआई में एक राज्य, एक वोट का सिद्धांत लागू हो। अभी महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में 3-3 क्रिकेट संघ हैं जबकि बिहार और पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों की बीसीसीआई में नुमाइंदगी ही नहीं है।
अपने इस्तीफे में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के साथ एशियन क्रिकेट काउंसिल में बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष अपनी नुमाइंदगी छोड़ने का ऐलान किया है। शशांक मनोहर अक्टूबर 2015 में जगमोहन डालमिया की मौत के बाद बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे।
शशांक मनोहर जून में आईसीसी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकते हैं और मौजूदा गणित के मुताबिक इस पद पर चुने जाने में उन्हें कोई मुश्किल भी नहीं आएगी। बीसीसीआई में ये मनोहर की दूसरी पारी थी, 2008-2011 के बीच शशांक मनोहर की साफ सुथरी छवि के सब कायल रहे। हालांकि लोढ़ा कमेटी की सिफारिश के बाद कई एसोसिएशन शशांक से नाराज़ चल रहे थे, सूत्रों के मुताबिक लगभग 21 असोसिएशन तख्ता पलट के लिए पूरी तरह तैयार बैठे थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट लागू होने के हालात में एक राज्य एक पद का प्रावधान अमल में आ जाएगा, जिसके बाद महाराष्ट्र से सिर्फ महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के पास वोट की ताकत बचती, मनोहर के विदर्भ क्रिकेट संघ का वोट हट जाता। सुधार की बयार आईसीसी में भी चल पड़ी है, वहां भी 'एक व्यक्ति एक पद' का नियम लागू है। ऐसे में शशांक क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था में 5 साल तक अपने पद पर बने रह सकते हैं।
ईमानदार छवि वाले शशांक मनोहर 2008 से 2011 के बीच पहली बार बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे। पेशे से वकील मनोहर पिछले साल अक्टूबर में जगमोहन डालमिया के निधन के बाद दोबारा बोर्ड अध्यक्ष बने। मनोहर ने अध्यक्ष बनने के बाद दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में बदलाव की मुहिम शुरू की। बीसीसीआई पर जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफ़ारिशों को लागू करने का दबाव है। सुप्रीम कोर्ट चाहती है कि बीसीसीआई में एक राज्य, एक वोट का सिद्धांत लागू हो। अभी महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में 3-3 क्रिकेट संघ हैं जबकि बिहार और पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों की बीसीसीआई में नुमाइंदगी ही नहीं है।
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