पाकिस्तान के महान तेज गेंदबाज और पूर्व कप्तान वसीम अकरम का मानना है कि भारतीय दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का दो दशक से भी अधिक लंबा सुनहरा करियर अधूरा रह जाता, अगर वह वर्ष 2011 के क्रिकेट विश्वकप की विजेता भारतीय टीम का हिस्सा न होते।
वर्ष 2015 का वन-डे विश्वकप शुरू होने से 100 दिन पहले आईसीसी के लिए अपने कॉलम में वसीम अकरम ने लिखा है, निजी तौर पर मेरा मानना है कि विश्वकप की जीत से पेशेवर क्रिकेटरों का करियर संपूर्ण होता है। इसकी मिसाल सचिन तेंदुलकर की प्रतिक्रिया है, जो उन्होंने मुंबई में वर्ष 2011 का विश्वकप जीतने पर व्यक्त की थी। छह प्रयासों में यह उनकी पहली सफलता थी।
वसीम अकरम ने कहा, यह एक विनम्र और शालीन क्रिकेटर के पूर्ण संतोष पा लेने की अभिव्यक्ति थी, जो विश्वकप जीतने को लालायित था। 2 अप्रैल, 2011 को तेंदुलकर ने अपना नाम महानतम और सबसे मुकम्मल क्रिकेटर के रूप में इतिहास में दर्ज करा लिया।
उल्लेखनीय है कि वसीम अकरम खुद भी वर्ष 1992 का विश्वकप जीतने वाली पाकिस्तानी टीम के सदस्य थे और वर्ष 1999 के विश्वकप के दौरान वह टीम के कप्तान थे। वैसे, वह वर्ष 1987 में सेमीफाइनल और वर्ष 1996 में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने वाली पाकिस्तानी टीम का हिस्सा भी रहे थे।
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