ट्विटर पर सचिन तेंदुलकर द्वारा पोस्ट की गई तस्वीर
आज गुरु पूर्णिमा है। इस दिन शिष्य खास तौर पर अपने गुरु को याद करते हैं और उनके प्रति अपना अभार जताते हैं। पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर अपने गुरु रमाकांत आचरेकर से मिले और उनके चरण स्पर्श किए। बाद में सचिन ने फ़ोटो भी ट्वीट किया। रमाकांत सर 83 साल के हो चुके हैं, लेकिन अपने सबसे चहेते और प्रसिद्ध शागिर्द को देखते ही वे खिल उठते हैं।
रमाकांत आचरेकर सचिन के बचपन के कोच रहे हैं। 11 साल के सचिन के भाई अजित तेंदुलकर उन्हें आचरेकर के पास ले गए थे। तब आचरेकर श्रद्धाश्रम बालविद्या मंदिर के कोच थे। सचिन को उन्होंने उसी स्कूल में दाखिला दिला दिया। आचरेकर सचिन की प्रतिभा को पहचान गए और उन्हें दूसरे क्लब के साथ खेलाने अपने साथ लेकर जाते थे। सचिन को उन्होंने बड़े बच्चों के साथ खेलाया। इससे सचिन की तकनीक और उनका आत्मविश्वास निखरता गया।
1990 में रमाकांत आचरेकर को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें पद्मभूषण भी मिल चुका है।
रमाकांत आचरेकर सचिन के बचपन के कोच रहे हैं। 11 साल के सचिन के भाई अजित तेंदुलकर उन्हें आचरेकर के पास ले गए थे। तब आचरेकर श्रद्धाश्रम बालविद्या मंदिर के कोच थे। सचिन को उन्होंने उसी स्कूल में दाखिला दिला दिया। आचरेकर सचिन की प्रतिभा को पहचान गए और उन्हें दूसरे क्लब के साथ खेलाने अपने साथ लेकर जाते थे। सचिन को उन्होंने बड़े बच्चों के साथ खेलाया। इससे सचिन की तकनीक और उनका आत्मविश्वास निखरता गया।
Sought blessings of my Guru on this auspicious day - A happy #GuruPurnima to all pic.twitter.com/iR9b5zfCjw
— sachin tendulkar (@sachin_rt) July 31, 2015
सचिन को परिपक्व बनाने के लिए आचरेकर ने एक और अनोखी तरकीब निकाली। वे स्टंप पर एक रुपये का सिक्का रख देते। ये सिक्का सचिन को आउट करने वाले गेंदबाज़ के लिए होते। अगर गेंदबाज़ सचिन को आउट नहीं कर पाते तो, सिक्का सचिन को दे दिया जाता। इसका परिणाम ये हुआ कि सचिन थके होने के बावज़ूद सिक्का हासिल करने के लिए लगातार विकेट पर टिके रहते। सचिन कहते हैं कि वो 13 सिक्के उनके लिए आज भी बेशकीमती हैं।1990 में रमाकांत आचरेकर को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें पद्मभूषण भी मिल चुका है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं