दुनिया का हर बल्लेबाज भारतीय मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्डों के करीब पहुंचना चाहता है, लेकिन इस स्टार बल्लेबाज के नाम पर एक ऐसा रिकॉर्ड भी दर्ज है, जिसके आसपास भी शायद ही कोई क्रिकेटर पहुंचना चाहेगा। यह रिकॉर्ड है, 90 रन बना लेने के बाद शतक पूरा करने से पहले पैवेलियन लौट जाने का रिकॉर्ड, जो 'नर्वस नाइंटीज़' कहलाता है।
सचिन तेंदुलकर टेस्ट और एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक बार 'नर्वस नाइंटीज़' का शिकार होने वालों की सूची में शीर्ष पर हैं। टेस्ट मैचों में वह 10 बार, एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 18 बार (एक बार नाबाद सहित) नर्वस नाइंटीज़ का शिकार बने। सो, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का शतक ठोकने का विश्वरिकॉर्ड बनाने वाले सचिन तेंदुलकर के करियर में 28 मौके ऐसे आए, जब वह शतक के करीब पहुंचने के बावजूद उसे हासिल नहीं कर पाए।
वैसे भी सचिन तेंदुलकर के इस रिकॉर्ड तक शायद ही कोई बल्लेबाज पहुंच पाए, क्योंकि उनके बाद 'नर्वस नाइंटीज़' का शिकार होने वालों की लिस्ट में भारत के ही राहुल द्रविड़ (14 बार) दूसरे नंबर पर काबिज हैं, और वह पहले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं। सूची में शामिल जो खिलाड़ी अब भी खेल रहे हैं, उनमें दक्षिण अफ्रीका के जैक कैलिस 13 बार 'नर्वस नाइंटीज़' का शिकार बने। जहां तक सिर्फ टेस्ट मैचों के रिकॉर्ड का सवाल है, सचिन तेंदुलकर के अलावा राहुल द्रविड़ और ऑस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ भी 10-10 बार 90 और 99 रन के बीच पैवेलियन लौटे।
सचिन तेंदुलकर एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की एक पारी में 90 रन बना लेने के बाद 18 बार शतक से चूके हैं, और सूची में उनके बाद ग्रीम फ्लॉवर, नाथन एस्टल और अरविंद डिसिल्वा का नंबर आता है, जो नौ अवसरों पर शतक बनाने से वंचित रह गए। इन 18 पारियों में एक मौका ऐसा था, जब सचिन तेंदुलकर 96 रन बनाकर नाबाद लौटे थे।
सचिन तेंदुलकर सबसे ज़्यादा बार वर्ष 2007 में 'नर्वस नाइंटीज़' का शिकार बने। इस साल वह छह बार वन-डे इंटरनेशनल क्रिकेट में और एक बार टेस्ट मैच में 90 से 99 के बीच आउट हुए। एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में तो उस वर्ष वह तीन बार 99 रन बनाकर पैवेलियन लौटे, जो एक अलग रिकॉर्ड है। इसके अलावा सचिन तेंदुलकर वर्ष 2000 में चार बार, वर्ष 1997, 2003, 2005 और 2011 में दो-दो बार कुछ रनों से शतक बनाने से चूके।
पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में उनका अपनी पारियों को शतक में तब्दील करने का रिकॉर्ड अच्छा रहा है। मोहम्मद अजहरुद्दीन के कप्तान रहते हुए वह केवल तीन बार 'नर्वस नाइंटीज़' का शिकार बने, जबकि सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की कप्तानी में उनके ऐसे स्कोर की संख्या सात-सात रही, और महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाले मैचों में वह छह 'नर्वस नाइंटीज़' में आउट हुए।
सचिन तेंदुलकर जब स्वयं कप्तान थे, तब भी वह चार अवसरों पर 90 रन के पार पहुंचने के बावजूद शतक पूरा नहीं कर पाए थे। इसके अलावा तेंदुलकर को रिकॉर्ड 30 बार 80 से लेकर 89 रन के बीच पैवेलियन लौटना पड़ा है। इस सूची में उनके बाद जैक कैलिस (26 बार), ब्रायन लारा (22 बार), सौरव गांगुली (21 बार) और राहुल द्रविड़ (20 बार) का नंबर आता है। टेस्ट मैचों में वह 12 बार 80 और 89 रन के बीच पैवेलियन लौटे हैं।
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