आरपी सिंह ने टी20 वर्ल्डकप 2007 में भारत की ओर से सर्वाधिक 12 विकेट लिए थे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
वर्ष 2007 के टी 20 वर्ल्डकप में टीम इंडिया को चैंयिपन बनाने में इस तेज गेंदबाज की अहम भूमिका रही. बेशक, पाकिस्तान के खिलाफ इस टूर्नामेंट के फाइनल मैच में जोगिंदर शर्मा के आखिरी ओवर की सबसे ज्यादा चर्चा होती है, लेकिन जोगिंदर शर्मा के अलावा एक तेज गेंदबाज ऐसा भी था जिसने लगभग हर मैच में विकेट लिए. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को जब भी विकेट की जरूरत हुए, उन्होंने पूरे विश्वास के साथ आरपी सिंह को गेंद थमा दी और ऐसे मौके कम ही आए जब बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने कप्तान को निराश किया हो.
टूर्नामेंट के सात मैचों में आरपी सिंह ने 12 विकेट हासिल किए. पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले में ही विपक्षी टीम की शुरुआत बिगाड़ने में उनकी अहम भूमिका रही. पहले मोहम्मद हफीज और उसके बाद कामरान अकमल को आउट कर आरपी ने पाकिस्तान को संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया था. इस मैच में भी आरपी यानी रुद्रप्रताप सिंह ने तीन विकेट हासिल किए थे. यह आरपी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि टी20 वर्ल्डकप के सात मैचों के बाद उन्हें महज तीन टी20 मैच और खेलने का मौका मिल पाया. इंटरनेशनल क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में नाकामी के कारण आरपी सिंह को जल्द ही टीम इंडिया से बाहर रहना पड़ा.
आरपी सिंह को ऐसा गेंदबाज माना जाता था जो अपने 'स्मूद' एक्शन के कारण अपनी गेंदों को गति देने में कामयाब रहता था. गेंदों को विकेट के दोनों ओर स्विंग कराने में भी उन्हें महारत हासिल थी. गेंदबाजी में अपनी इस महारत की झलक उन्होंने 2007 में इंग्लैंड में हुई टेस्ट सीरीज में दिखाई. इस सीरीज में जहीर खान और एस.श्रीसंथ के साथ आरपी ने मेजबान टीम के बल्लेबाजों को खासा परेशान किया और भारत को सीरीज जीत दिलाने में अहम योगदान दिया था.
मंगलवार, 6 दिसंबर को ही 31 साल पूरे करने वाले आरपी को जूनियर लेबल से ही देश के प्रतिभावान खब्बू तेज गेंदबाजों में आंका जाता था, बांग्लादेश में 2004 में हुए जूनियर वर्ल्डकप में भी वे खेले. दुर्भाग्य से सीनियर स्तर पर वे अपनी प्रतिभा के साथ समुचित न्याय नहीं पर सके और थोड़ी देर चमक बिखेरने के बाद टीम इंडिया से बाहर हो गए. घरेलू क्रिकेट में विकेटों का अंबार लगाने वाले आरपी ने 14 टेस्ट, 58 वनडे और 10 टी20 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. टेस्ट मैच में 40, वनडे में 69 और टी20 में 15 विकेट उनके नाम पर हैं.
टूर्नामेंट के सात मैचों में आरपी सिंह ने 12 विकेट हासिल किए. पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले में ही विपक्षी टीम की शुरुआत बिगाड़ने में उनकी अहम भूमिका रही. पहले मोहम्मद हफीज और उसके बाद कामरान अकमल को आउट कर आरपी ने पाकिस्तान को संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया था. इस मैच में भी आरपी यानी रुद्रप्रताप सिंह ने तीन विकेट हासिल किए थे. यह आरपी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि टी20 वर्ल्डकप के सात मैचों के बाद उन्हें महज तीन टी20 मैच और खेलने का मौका मिल पाया. इंटरनेशनल क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में नाकामी के कारण आरपी सिंह को जल्द ही टीम इंडिया से बाहर रहना पड़ा.
आरपी सिंह को ऐसा गेंदबाज माना जाता था जो अपने 'स्मूद' एक्शन के कारण अपनी गेंदों को गति देने में कामयाब रहता था. गेंदों को विकेट के दोनों ओर स्विंग कराने में भी उन्हें महारत हासिल थी. गेंदबाजी में अपनी इस महारत की झलक उन्होंने 2007 में इंग्लैंड में हुई टेस्ट सीरीज में दिखाई. इस सीरीज में जहीर खान और एस.श्रीसंथ के साथ आरपी ने मेजबान टीम के बल्लेबाजों को खासा परेशान किया और भारत को सीरीज जीत दिलाने में अहम योगदान दिया था.
मंगलवार, 6 दिसंबर को ही 31 साल पूरे करने वाले आरपी को जूनियर लेबल से ही देश के प्रतिभावान खब्बू तेज गेंदबाजों में आंका जाता था, बांग्लादेश में 2004 में हुए जूनियर वर्ल्डकप में भी वे खेले. दुर्भाग्य से सीनियर स्तर पर वे अपनी प्रतिभा के साथ समुचित न्याय नहीं पर सके और थोड़ी देर चमक बिखेरने के बाद टीम इंडिया से बाहर हो गए. घरेलू क्रिकेट में विकेटों का अंबार लगाने वाले आरपी ने 14 टेस्ट, 58 वनडे और 10 टी20 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. टेस्ट मैच में 40, वनडे में 69 और टी20 में 15 विकेट उनके नाम पर हैं.
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