एडिलेड में टीम इंडिया जी जान से लड़ते हुए हारे, ब्रिसबेन में भी कहानी कुछ अलग नहीं रही, लेकिन बड़ी बात ये है कि टीम इंडिया जीत नहीं रही है। एक साथ टीम इंडिया के बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ क्लिक नहीं करते और ये परेशानी साल दर साल, सीरीज़ दर सीरीज़, टेस्ट दर टेस्ट दोहराई जाती है। भारतीय खिलाड़ी जीत का पंच नहीं लगा पाते।
ब्रिसबेन में भारतीय टीम की हार के कई कारण रहे। पहला कारण ऑस्ट्रेलिया के आखिरी चार बल्लेबाज़ों को 258 रन देना। दूसरा कारण विराट कोहली और पुजारा का ब्रिसबेन में ना चल पाना। तीसरा कारण शिखर धवन का चोटिल होना और चौथा कारण रोहित शर्मा का बेअसर साबित होना।
टीम इंडिया के कप्तान एमएस धोनी का कहना है, 'टेस्ट मैच हारकर हम निराश ज़रूर है, लेकिन उससे ज्यादा महत्वपूर्व है हार के कारण ढूंढ़ना ताकि आगे गलती ना हो। पहले सेशन में हमने बहुत विकेट गवाएं, कुछ और रन बनते, खेल पांचवे दिन जाता तो हम कुछ और नतीजे की उम्मीद कर सकते थे।'
खैर नतीजा नहीं बदला है और टीम इंडिया सीरीज़ में 0-2 से पीछे हो गई है। सीरीज़ अब टीम इंडिया नहीं जीत सकती। ऑस्ट्रेलिया में ये भारतीय टीम की लगातार छठी टेस्ट हार है और विदेशी ज़मीन पर भी ये लगातार छठी हार है।
दरअसल 2011 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद से टीम इंडिया का रिकॉर्ड विदेश में खराब ही नहीं शर्मनाक रहा है। भारतीय टीम ने जून 2011 से लेकर अब तक 22 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्हें सिर्फ़ 2 में जीत मिली, जबकि 15 में हार, 5 मैच ड्रॉ रहे।
गेंद दर गेंद, ओवर दर ओवर, सेशन दर सेशन खेलना टेस्ट में पास होने की कूंजी है और शायद ये प्रतिभाशाली खिलाड़ी सब कुछ होते हुए भी यही नहीं कर पा रहे।
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