कप्तान विराट कोहली के साथ रवींद्र जडेजा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टीम इंडिया के लेग स्पिनर रवींद्र जडेजा के नाम के आगे भले ही ऑलराउंडर का 'टैग' लगा हो लेकिन अपनी बल्लेबाजी प्रतिभा के साथ अब तक न्याय नहीं कर सके हैं. एक स्पिनर के तौर पर जडेजा को बेहद 'शातिर' माना जाता है. जब विपक्षी बल्लेबाज टीम के स्ट्राइक बॉलर आर.अश्विन की गेंदबाजी का कामयाबी से सामना करने में उलझे होते हैं तब जडेजा हौले से आकर उसका विकेट ले उड़ते हैं. गुजरात क इस गेंदबाज का लाइन-लेंथ पर गजब का नियंत्रण है. यही कारण है कि जब बल्लेबाज उनके खिलाफ जरा भी चांस लेने की कोशिश करता है, जडेजा उसकी 'डिफेंस' को तोड़ने में कामयाब हो जाते हैं.
6 दिसंबर, 1988 को गुजरात में जन्मे रवींद्र जडेजा अपने प्रशंसकों के बीच 'सर जडेजा' के नाम से लोकप्रिय हैं. रवींद्र जडेजा के देश में काफी प्रशंसक हैं, लेकिन उनके आलोचकों की संख्या भी कम नहीं है. प्रशंसकों और आलोचकों के मन में में रवींद्र जडेजा की छवि अलग-अलग है.
जहां प्रशंसक उन्हें बेहद प्रतिभावान ऐसे बॉलिंग ऑलराउंडर के रूप में जानते हैं जो गेंदबाजी में कमाल के बावजूद इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी प्रतिभा से अब तक न्याय नहीं कर पाया है, वहीं आलोचक उन्हें औसत दर्जे का ऐसा खिलाड़ी मानते हैं जिसे मीडिया ने बड़ा दर्जा दे दिया है. सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट सामने आ चुके हैं जिसमें जडेजा को वनडे टीम के कप्तान धोनी की पसंद बताया जाता रहा. यहां तक कहा गया कि धोनी के कारण ही वे औसत प्रदर्शन के बाद टीम इंडिया में जगह बनाने में कामयाब हो जाते हैं.
जडेजा की बल्लेबाजी को लेकर की गई यह आलोचना गलत नहीं है. सौराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाला यह खिलाड़ी अब तक घरेलू क्रिकेट में तीन तिहरे शतक बना चुका है लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में एक अदद शतक के लिए तरस रहा है. जडेजा ने अब तक 23 टेस्ट में 25.73 के औसत से 772 रन बनाए हैं जिसमें 90 उनका सर्वोच्च स्कोर है. यह स्कोर भी उन्होंने मोहाली में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में बनाया था. जडेजा को घुड़सवारी का भी शौक है और वह इसका मौका नहीं छोड़ते (फाइल फोटो)
गेंदबाजी में जडेजा का रिकॉर्ड बेशक गजब का माना जा सकता है, 23 टेस्ट में उन्होंने 95 विकेट अपने नाम किए हैं और वे इस समय जितनी शानदार गेंदबाजी कर रहे हैं, उसे देखते हुए लगता है कि मुंबई में 8 दिसंबर से होने वाले चौथे टेस्ट में 100 विकेट पूरे कर लेंगे. 126 वनडे मैचों में 34.55 के औसत से 147 विकेट उनके नाम पर हैं. टेस्ट मैचों में जडेजा ने तीन और वनडे मैचों में दस अर्धशतक लगाए हैं.
अपनी गति से उछाल पाने में कामयाब होते हैं
दरसल, टेस्ट क्रिकेट में जडेजा को गेंदबाज के रूप में हमेशा बेहद कम आंका जाता रहा. जडेजा की खासियत यह है कि वे बेहद सटीक हैं. आम लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजों की तुलना में उनकी गेंदें कुछ ज्यादा गति लिए होती हैं और इसी कारण वे विकेट से भरपूर उछाल पाने में सफल होते हैं. जडेजा ने दिसंबर, 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में टेस्ट में डेब्यू किया था लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान 2013 के ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे में मिली. जडेजा अपने बिंदास अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं (फाइल फोटो)
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज के 4 टेस्ट मैचों में उन्होंने 17.45 की औसत से 24 विकेट झटके. हालांकि इसके बाद जडेजा के प्रदर्शन में गिरावट आई. उन्हें 2014 में टेस्ट टीम से ड्रॉप भी किया गया, लेकिन इसे चुनौती के रूप में लेते हुए उन्होंने घरेलू क्रिकेट में विकेटों की झड़ी लगा दी. फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय मैदान पर होने वाली सीरीज के लिए उन्हें चुन लिया गया. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की 3-0 से एकतरफा जीत में अश्विन और रवींद्र जडेजा की जोड़ी का बड़ा योगदान रहा. उन्होंने 4 मैचों में 23 विकेट लेकर मेहमान टीम की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी. न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में भी उन्होंने टीम इंडिया की जीत में अहम भूमिका निभाई, वहीं इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज के तीन मैचों में अब तक 10 विकेट अपने नाम कर चुके हैं.
चेतेश्वर पुजारा तो कुंबले की तरह सटीक मानते हैं
सौराष्ट्र टीम से ही खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा गेंदबाज के रूप में जडेजा के काफी ऊंचा 'रेट' करते हैं. पुजारा तो जडेजा को अनिल कुंबले के स्तर का गेंदबाज मानते हैं. पुजारा ने एक बार कहा था, जडेजा को आप अनिल कुंबले की 'परछाई' कह सकते हैं. वे भी कुंबले की तरह गेंद को ज्यादा टर्न नहीं कराते, लेकिन यह तय है कि अगर आप उनका सामना कर रहे हैं तो हर गेंद को सावधानी से खेलना होगा. जडेजा लाइन-लेंथ को बेहद सटीक रखते हैं और इसी कारण विकेट लेने में सफल रहते हैं. बकौल पुजारा, जडेजा का सामना करना विपक्षी बल्लेबाजों के लिए कठिन परीक्षा होती है. फर्क केवल इतना है कि कुंबले दाएं हाथ से लेग स्पिन गेंदबाजी करते थे... रवींद्र जडेजा मौका देख अपनी शादी में भी तलवारबाजी का प्रदर्शन करने से नहीं चूके (फाइल फोटो)
लगातार अच्छा स्कोर करें तो लोग अच्छा बल्लेबाज मानें
बहरहाल, अब भारतीय स्पिन आक्रमण के प्रमुख स्तंभ बन चुके जडेजा के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. बल्लेबाजी की अपनी क्षमता के साथ न्याय करते हुए उन्हें आलोचकों का मुंह बंद करना होगा. इसके लिए उन्हें लगातार अच्छा स्कोर करना होगा. एक बात और, भारतीय स्पिनरों के बारे में आमतौर पर कहा जाता है कि वे भारत और भारतीय उपमहाद्वीप के मददगार विकेट पर ही सफलताएं ले पाते हैं. जडेजा को दिखाना होगा कि विदेशी मैदानों पर भी बल्लेबाजों को आउट करके टीम इंडिया की जीत में योगदान कर सकते हैं..
6 दिसंबर, 1988 को गुजरात में जन्मे रवींद्र जडेजा अपने प्रशंसकों के बीच 'सर जडेजा' के नाम से लोकप्रिय हैं. रवींद्र जडेजा के देश में काफी प्रशंसक हैं, लेकिन उनके आलोचकों की संख्या भी कम नहीं है. प्रशंसकों और आलोचकों के मन में में रवींद्र जडेजा की छवि अलग-अलग है.
रवींद्र जडेजा ने मोहाली टेस्ट में एक बार फिर बल्ले से तलवारबाजी का प्रदर्शन किया (फोटो : BCCI)
जहां प्रशंसक उन्हें बेहद प्रतिभावान ऐसे बॉलिंग ऑलराउंडर के रूप में जानते हैं जो गेंदबाजी में कमाल के बावजूद इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी प्रतिभा से अब तक न्याय नहीं कर पाया है, वहीं आलोचक उन्हें औसत दर्जे का ऐसा खिलाड़ी मानते हैं जिसे मीडिया ने बड़ा दर्जा दे दिया है. सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट सामने आ चुके हैं जिसमें जडेजा को वनडे टीम के कप्तान धोनी की पसंद बताया जाता रहा. यहां तक कहा गया कि धोनी के कारण ही वे औसत प्रदर्शन के बाद टीम इंडिया में जगह बनाने में कामयाब हो जाते हैं.
जडेजा की बल्लेबाजी को लेकर की गई यह आलोचना गलत नहीं है. सौराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाला यह खिलाड़ी अब तक घरेलू क्रिकेट में तीन तिहरे शतक बना चुका है लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में एक अदद शतक के लिए तरस रहा है. जडेजा ने अब तक 23 टेस्ट में 25.73 के औसत से 772 रन बनाए हैं जिसमें 90 उनका सर्वोच्च स्कोर है. यह स्कोर भी उन्होंने मोहाली में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में बनाया था.
गेंदबाजी में जडेजा का रिकॉर्ड बेशक गजब का माना जा सकता है, 23 टेस्ट में उन्होंने 95 विकेट अपने नाम किए हैं और वे इस समय जितनी शानदार गेंदबाजी कर रहे हैं, उसे देखते हुए लगता है कि मुंबई में 8 दिसंबर से होने वाले चौथे टेस्ट में 100 विकेट पूरे कर लेंगे. 126 वनडे मैचों में 34.55 के औसत से 147 विकेट उनके नाम पर हैं. टेस्ट मैचों में जडेजा ने तीन और वनडे मैचों में दस अर्धशतक लगाए हैं.
अपनी गति से उछाल पाने में कामयाब होते हैं
दरसल, टेस्ट क्रिकेट में जडेजा को गेंदबाज के रूप में हमेशा बेहद कम आंका जाता रहा. जडेजा की खासियत यह है कि वे बेहद सटीक हैं. आम लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजों की तुलना में उनकी गेंदें कुछ ज्यादा गति लिए होती हैं और इसी कारण वे विकेट से भरपूर उछाल पाने में सफल होते हैं. जडेजा ने दिसंबर, 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में टेस्ट में डेब्यू किया था लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान 2013 के ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे में मिली.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज के 4 टेस्ट मैचों में उन्होंने 17.45 की औसत से 24 विकेट झटके. हालांकि इसके बाद जडेजा के प्रदर्शन में गिरावट आई. उन्हें 2014 में टेस्ट टीम से ड्रॉप भी किया गया, लेकिन इसे चुनौती के रूप में लेते हुए उन्होंने घरेलू क्रिकेट में विकेटों की झड़ी लगा दी. फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय मैदान पर होने वाली सीरीज के लिए उन्हें चुन लिया गया. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की 3-0 से एकतरफा जीत में अश्विन और रवींद्र जडेजा की जोड़ी का बड़ा योगदान रहा. उन्होंने 4 मैचों में 23 विकेट लेकर मेहमान टीम की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी. न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में भी उन्होंने टीम इंडिया की जीत में अहम भूमिका निभाई, वहीं इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज के तीन मैचों में अब तक 10 विकेट अपने नाम कर चुके हैं.
चेतेश्वर पुजारा तो कुंबले की तरह सटीक मानते हैं
सौराष्ट्र टीम से ही खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा गेंदबाज के रूप में जडेजा के काफी ऊंचा 'रेट' करते हैं. पुजारा तो जडेजा को अनिल कुंबले के स्तर का गेंदबाज मानते हैं. पुजारा ने एक बार कहा था, जडेजा को आप अनिल कुंबले की 'परछाई' कह सकते हैं. वे भी कुंबले की तरह गेंद को ज्यादा टर्न नहीं कराते, लेकिन यह तय है कि अगर आप उनका सामना कर रहे हैं तो हर गेंद को सावधानी से खेलना होगा. जडेजा लाइन-लेंथ को बेहद सटीक रखते हैं और इसी कारण विकेट लेने में सफल रहते हैं. बकौल पुजारा, जडेजा का सामना करना विपक्षी बल्लेबाजों के लिए कठिन परीक्षा होती है. फर्क केवल इतना है कि कुंबले दाएं हाथ से लेग स्पिन गेंदबाजी करते थे...
लगातार अच्छा स्कोर करें तो लोग अच्छा बल्लेबाज मानें
बहरहाल, अब भारतीय स्पिन आक्रमण के प्रमुख स्तंभ बन चुके जडेजा के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. बल्लेबाजी की अपनी क्षमता के साथ न्याय करते हुए उन्हें आलोचकों का मुंह बंद करना होगा. इसके लिए उन्हें लगातार अच्छा स्कोर करना होगा. एक बात और, भारतीय स्पिनरों के बारे में आमतौर पर कहा जाता है कि वे भारत और भारतीय उपमहाद्वीप के मददगार विकेट पर ही सफलताएं ले पाते हैं. जडेजा को दिखाना होगा कि विदेशी मैदानों पर भी बल्लेबाजों को आउट करके टीम इंडिया की जीत में योगदान कर सकते हैं..
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