तेंदुलकर का खुलासा, कैसे परखा धोनी की कप्तानी का दिमाग और क्यों की उनके नाम की सिफारिश

तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने हाल ही में संन्यास लेने वाले पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी (MS Dhoni) के बारे में कहा, ‘‘मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊंगा कि यह कैसे हुआ हां लेकिन जब मुझसे (बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों ने) पूछा गया तो मैंने बताया कि मैं क्या सोचता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि मैं दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नहीं जाऊंगा क्योंकि मैं तब कुछ चोटों से परेशान था,

तेंदुलकर का खुलासा, कैसे परखा धोनी की कप्तानी का दिमाग और क्यों की  उनके नाम की सिफारिश

सचिन तेंदुलकर का धोनी को कप्तानी मिलने बड़ा योगदान रहा था

खास बातें

  • बंगल से तेंदुलकर ने की माही की ब्रेन मैपिंग !
  • बीसीसीआई को सुझाया था एमएस का नाम
  • सचिन की सिफारिश पर खरे उतरे माही
नई दिल्ली:

अब यह तो आप जानते ही हैं कि सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) के कप्तानी छोड़ने के बाद बीसीसीआई (BCCI) ने सचिन (Sachin Tendulkar) के सामने फिर से कप्तान बनने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन तेंदुलकर ने इसे ठुकराते हुए एमएस धोनी (MS Dhoni) के नाम की सिफारिश की थी और बोर्ड ने सचिन की बात मानते हुए एमएस को कप्तान नियुक्त किया था. सचिन ने अब खुलासा करते हुए बताया कि उन्हें स्लिप में खड़े रहकर महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) के क्रिकेटिया कौशल को अच्छी तरह से परखने क मौका मिला जिससे उन्हें लगा कि वह भारतीय कप्तानी के लिये तैयार हैं और 2007 में जब भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने उनसे सलाह मांगी तो इस स्टार बल्लेबाज ने इस विकेटकीपर का नाम सुझाया था. तेंदुलकर (Sachin Tendulkar), सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) ने उस साल पहले आईसीसी टी20 विश्व कप में जूनियर खिलाड़ियों को मौका देने का निर्णय किया और बीसीसीआई ने तब मास्टर ब्लास्टर से कप्तानी के लिये अपनी पसंद बताने के लिये कहा था. ऐसे आड़े समय सचिन (Sachin Tendulkar) ने जब तत्कालीन बीसीसीआई (BCCI) अध्यक्ष शरद पवार को एमएस धोनी (MS Dhoni) का नाम सुझाया था. इस पर पवार हैरान रह गए थे. तब पवार ने तत्कालीन चयन समिति के अध्यक्ष वेंगसरकर को बुलाकर अपनी बात कही थी. और फिर वही हुआ, जो सलाह सचिन तेंदुलकर ने दी थी.

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तेंदुलकर ने हाल ही में संन्यास लेने वाले पूर्व भारतीय कप्तान के बारे में कहा, ‘‘मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊंगा कि यह कैसे हुआ हां लेकिन जब मुझसे (बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों ने) पूछा गया तो मैंने बताया कि मैं क्या सोचता हूं.' उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि मैं दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नहीं जाऊंगा क्योंकि मैं तब कुछ चोटों से परेशान था, लेकिन तब मैं स्लिप कॉर्डन में क्षेत्ररक्षण करता था और धोनी से बात करता रहता था और मैंने तब समझा कि वह क्या सोच रहा है, क्षेत्ररक्षण कैसे होना चाहिए और तमाम पहलुओं पर मैं बात करता था.'


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तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैंने उसकी मैच की परिस्थितियों के आकलन करने की क्षमता देखी और इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके पास बहुत अच्छा क्रिकेटिया दिमाग है इसलिए मैंने बोर्ड को बताया कि मुझे क्या लगता है. धोनी को अगला कप्तान बनाया जाना चाहिए,' तेंदुलकर ने कहा कि वह धोनी की हर किसी को अपने फैसले के लिये मना देने की क्षमता से वह प्रभावित थे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं जो कुछ सोच रहा था और उसकी जो सोच थी, वह काफी हद तक मिलती-जुलती थी. अगर मैं आपको किसी बात के लिये मना लेता हूं तो हमारी राय एक जैसी हो जाएगी और धोनी के साथ यह बात थी. हम दोनों एक तरह से सोचते थे और इसलिए मैंने उनके नाम का सुझाव दिया.'

धोनी को 2008 में तब टेस्ट कप्तानी सौंपी गयी जबकि भारतीय टीम में तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान जैसे सीनियर क्रिकेटर शामिल थे. तेंदुलकर से पूछा गया कि धोनी सीनियर खिलाड़ियों को कैसे साथ लेकर चलते थे, उन्होंने कहा, ‘‘मैं केवल अपनी बात कर सकता हूं कि मेरी कप्तान बनने की कोई इच्छा नहीं थी. मैं आपसे यह कह सकता हूं कि मैं कप्तानी नहीं चाहता था और मैं टीम के लिये हर मैच जीतना चाहता था.' उन्होंने कहा, ‘‘कप्तान कोई भी हो मैं हमेशा अपना शत-प्रतिशत देना चाहता था. मुझे जो भी अच्छा लगता था मैं कप्तान के सामने उसे रखता था. फैसला कप्तान का होता था, लेकिन उसके कार्यभार को कम करना हमारा कर्तव्य होता है.'

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘अगर प्रत्येक खिलाड़ी अपनी भिन्न क्षमताओं से योगदान देता है तो कप्तान का भार कम हो जाता है. मुख्य विचार एक दूसरे की मदद करना था. जब 2008 में धोनी कप्तान बना तब मैं लगभग 19 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बिता चुका था. इतने लंबे समय तक खेलने के बाद मैं अपनी जिम्मेदारी को समझता था.'
 

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