
आईपीएल 2013 (IPL) मैच फिक्सिंग प्रकरण को अपने जीवन का सबसे कठिन और निराशाजनक दौर बताते हुए महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने सवाल दागा कि खिलाड़ियों का क्या कसूर था. दो बार के विश्व कप विजेता कप्तान ने ‘रोर ऑफ द लायन' डाक्यूड्रामा में इस मसले पर अपनी चुप्पी तोड़ी. भारतीय क्रिकेट को झकझोर देने वाले इस प्रकरण में प्रबंधन की भूमिका के कारण चेन्नई सुपर किंग्स को दो साल का प्रतिबंध झेलना पड़ा.
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धोनी ने कहा कि 2013 मेरे जीवन का सबसे कठिन दौर था. मैं कभी इतना निराश नहीं हुआ जितना उस समय था. इससे पहले विश्व कप 2007 में निराशा हुई थी जब हम ग्रुप चरण में ही हार गए थे. लेकिन उसमें हम खराब क्रिकेट खेले थे. बहरहाल, मैच फिक्सिंग पर हाल ही में दो तीन बार बोलने के बावजूद धोनी ने वास्तविक मुद्दों पर कभी मुंह नहीं खोला है. वैसे सवाल यह भी है कि जब जांच एजेंसियों श्रीसंत और अजित चंडेला जैसे खिलाड़ियों पर आजीवन प्रतिबंध लगाया है, तो धोनी कैसे यह कह सकते हैं कि खिलाड़ियों की क्या गलती थी.
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उन्होंने कहा कि लेकिन 2013 में तस्वीर बिल्कुल अलग थी. लोग मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग की बात करते थे. उस समय देश भर में यही बात हो रही थी. धोनी ने हाटस्टार पर प्रसारित पहले एपिसोड ‘वॉट डिड वी डू रांग ' में कहा कि खिलाड़ियों को पता था कि कड़ी सजा मिलने जा रही हे. उन्होंने कहा हमें सजा मिलने जा रही थी बस यह जानना था कि सजा कितनी होगी. चेन्नई सुपर किंग्स पर दो साल का प्रतिबंध लगा. उस समय मिली जुली भावनायें थी क्योंकि आप बहुत सी बातों को खुद पर ले लेते हैं. कप्तान के तौर पर यही सवाल था कि टीम की क्या गलती थी. उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने गलती की लेकिन क्या खिलाड़ी इसमें शामिल थे. खिलाड़ियों की क्या गलती थी कि उन्हें यह सब झेलना पड़ा.
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उन्होंने कहा कि फिक्सिंग से जुड़ी बातों में मेरा नाम भी उछला. मीडिया और सोशल मीडिया में ऐसे दिखाया जाने लगा मानो टीम भी शामिल हो. मैं भी शामिल हूं. क्या यह संभव है. हां, स्पाट फिक्सिंग कोई भी कर सकता है. अंपायर, बल्लेबाज, गेंदबाज लेकिन मैच फिक्सिंग में खिलाड़ी शामिल होते हैं. उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में दूसरों से बात नहीं करना चाहता था लेकिन अंदर से यह मुझे कुरेद रहा था. मैं नहीं चाहता कि किसी भी चीज का असर मेरे खेल पर पड़े. मेरे लिए क्रिकेट सबसे अहम है. धोनी ने डाक्यूमेंट्री में कहा कि मैच फिक्सिंग कत्ल से भी बड़ा गुनाह है. उन्होंने कहा कि मैं आज जो कुछ भी हूं, क्रिकेट की वजह से हूं.
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वैसे पिछले कुछ समय में धोनी ने स्पॉट फिक्सिंग को लेकर काफी सफाई दी है, लेकिन पूर्व कप्तान ने कभी जस्टिस मुदगल कमेटी के बारे में कभी मुंह नहीं खोला. जस्टिस मुदगल कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में 2013 स्पॉट फिक्सिंग कांड की जांच के बाद सील बंद लिफाफे में 11 लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट में जमा कराए थे. और देश के करोड़ों क्रिकेटप्रेमी इसी बात का इंतजार कर रहे हैं कि क्या कभी ये 11 नाम सुप्रीम कोर्ट सार्वजनिक करेगी. क्या कभी फैंस को सच्चाई का पता चल पाएगा.
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