आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने अपने साथी दिवंगत खिलाड़ी फिलिप ह्यूज को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने कहा कि उन्होंने जिस समय संन्यास लिया था उससे एक साल पहले क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए था क्योंकि अपने दोस्त और टीम के साथी फिलिप ह्यूज की मौत के बाद वह जूझते रहे. बता दें कि क्लार्क ने 2015 में एशेज श्रृंखला के आखिरी और अंतिम मैच में अपना 115वां टेस्ट खेलकर संन्यास ले लिया था.
आस्ट्रेलिया की तरफ से 26 टेस्ट मैच खेलने वाले ह्यूज की नवंबर 2014 में घरेलू मैच के दौरान गर्दन पर गेंद लगने के कारण मौत हो गयी थी.
यह भी पढ़ें : भज्जी ने क्लार्क से कहा : आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी में कोई अच्छा नहीं, संन्यास से वापसी कर लो
क्लार्क ने 'वीकली रिव्यू' से कहा, 'मुझे अगला मैच नहीं खेलना चाहिए था. मेरा करियर वहीं पर थम जाना चाहिए था. मैं तब टूट चुका था. मैं लंबे समय तक उसकी मौत के गम में डूबा रहा. मैंने तब शोक नहीं जताया क्योंकि मुझे उसके परिवार को देखना और इसके अलावा मैं आस्ट्रेलियाई टीम का कप्तान भी था.'
VIDEO : संगाकारा और माइकल क्लार्क को गावस्कर ने कहा 'अलविदा'
क्लार्क ने कहा कि जून 2015 में वेस्टइंडीज दौरे पर जाना गलती थी. उन्होंने कहा, 'वेस्टइंडीज का दौरा मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दौरा था. मैं तब काफी भावुक था. मैं छह महीने वेस्टइंडीज में रहा. दिन में एक टीम के रूप में हम जो कुछ भी करते लेकिन रात को जब मैं अपने कमरे में जाता तो रो पड़ता था. आज भी मुझे उसकी कमी खलती है.
(इनपुट भाषा से)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
आस्ट्रेलिया की तरफ से 26 टेस्ट मैच खेलने वाले ह्यूज की नवंबर 2014 में घरेलू मैच के दौरान गर्दन पर गेंद लगने के कारण मौत हो गयी थी.
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क्लार्क ने 'वीकली रिव्यू' से कहा, 'मुझे अगला मैच नहीं खेलना चाहिए था. मेरा करियर वहीं पर थम जाना चाहिए था. मैं तब टूट चुका था. मैं लंबे समय तक उसकी मौत के गम में डूबा रहा. मैंने तब शोक नहीं जताया क्योंकि मुझे उसके परिवार को देखना और इसके अलावा मैं आस्ट्रेलियाई टीम का कप्तान भी था.'
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क्लार्क ने कहा कि जून 2015 में वेस्टइंडीज दौरे पर जाना गलती थी. उन्होंने कहा, 'वेस्टइंडीज का दौरा मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दौरा था. मैं तब काफी भावुक था. मैं छह महीने वेस्टइंडीज में रहा. दिन में एक टीम के रूप में हम जो कुछ भी करते लेकिन रात को जब मैं अपने कमरे में जाता तो रो पड़ता था. आज भी मुझे उसकी कमी खलती है.
(इनपुट भाषा से)
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