एन श्रीनिवासन के बीसीसीआई के चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी लगा दी है। इसको इस बात से जोड़कर नहीं देखना चाहिए कि श्रीनिवासन अगर चेन्नई सुपर किंग्स छोड़ देते हैं, तो कुर्सी बचा लेगें।
अब यह श्रीनिवासन को तय करना है कि उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स चाहिए या फिर बीसीसीआई की कुर्सी। अब सब की निगाहें बीसीसीआई के चुनाव पर होगी कि श्रीनिवासन चुनाव लड़ते हैं या नहीं।
अब इस बात की चर्चा हो रही है कि अगला बीसीसीआई अध्यक्ष कौन होगा? कई नामों की चर्चा है। एक बड़ा नाम है शरद पवार का, जो मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। पवार आईसीसी के भी अध्यक्ष भी रह चुके हैं, मगर दिल्ली में सत्ता बदलने के साथ ही बीसीसीआई में भी सत्ता का समीकरण बदल गया है।
एक वक्त था जब भारतीय क्रिकेट के लिए शरद पवार 'बिग डैडी' थे और उनकी तूती बोलती थी। मगर अब यह रुतबा मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास है। उनके पास अभी सबसे अधिक वोट हैं। हालात ये हैं कि जेटली को एन श्रीनिवासन के दोबारा अध्यक्ष बने रहने पर कोई आपत्ति नहीं थी, बशर्ते उन्हें सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल जाती। मगर ऐसा हुआ नहीं।
सूत्रों की मानें तो जेटली, पवार को अपना समर्थन देने के लिए तैयार नहीं हैं और श्रीनिवासन के समर्थक क्रिकेट एसोसिएशन, जिसमें अधिकतर दक्षिण के संघ हैं, पवार का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं हैं। यदि पवार को जेटली के समर्थन वाले संघों का साथ नहीं मिलता है, तो पवार के लिए जीतना मुश्किल होगा।
वैसे इस बार अध्यक्ष बनने की बारी जेटली ही की थी। मगर वित्त मंत्री बनने के बाद यह संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में जेटली खेमा कलकत्ता एसोसिएशन के जगमोहन डालमिया को अपना समर्थन दे सकते हैं। डालमिया को दक्षिण के श्रीनिवासन समर्थक एसोसिएशन का भी सहयोग मिल सकता है।
एक और नाम जो चर्चा में है, वह है राजीव शुक्ला का। इनको जेटली जी का समर्थन तो हासिल है और शायद पवार गुट का भी, मगर इनके नाम का विरोध भी हो रहा है। ऐसे में जगमोहन डालमिया का नाम दौड़ में सबसे आगे है। मगर सब कुछ इस पर निर्भर करेगा कि श्रीनिवासन क्या करेंगे...इतनी फजीहत के बाद भी चुनाव लड़ेंगे या नहीं।
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