सुप्रीम कोर्ट में स्पॉट फिक्सिंग मामले की सुनवाई के दौरान आईपीएल के सीओओ सुंदररमन को तीखे सवालों का सामना करना पड़ा, और सुप्रीम कोर्ट ने उनसे सीधा सवाल किया कि उनकी नाक के नीचे सट्टेबाज़ी हो कैसे रही थी।
मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुंदररमन से पूछा कि उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। अदालत ने कड़ी फटकार के लहजे में सुंदररमन से कहा, 'लगता है, अपने पद पर रहते हुए आप सिर्फ वीवीआईपी की देखभाल करने में ही व्यस्त थे... चूंकि आप सेलिब्रिटीज़ का ध्यान रखने में मशगूल थे, इसलिए आपने इसके खिलाफ कोई शिकायत तक दर्ज नहीं कराई...'
अदालत ने यह भी पूछा कि उनका विंदू दारा सिंह से क्या संबंध था। इस पर सुंदररमन का कहना था कि आईसीसी के एंटी करप्शन यूनिट के चीफ वाईपी सिंह को पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए थे। इस बीच, याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा का कहना था कि अदालत में बीसीसीआई के क्लॉज 6.2.4 के वैधता की भी जांच होगी, क्योंकि इसी क्लॉज़ का हवाला देकर एन श्रीनिवासन ने चेन्नई सुपरकिंग्स टीम खरीदी थी। इस मामले पर मंगलवार को भी बहस होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में बोर्ड की एजीएम, यानि सालाना आम बैठक पर रोक लगा दी थी। बीसीसीआई का दोबारा अध्यक्ष बनने की कोशिश कर रहे एन श्रीनिवासन को अपनी किस्मत का फैसला जानने के लिए अब 31 जनवरी तक का इंतज़ार करना होगा। अदालत ने अब तक हितों के टकराव के मामले को काफी गंभीरता से लिया है। श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद या चेन्नई सुपरकिंग्स टीम में से किसी एक को चुनना पड़ सकता है।
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