आईपीएल प्रकरण से जूझ रहे उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव बुधवार को जनवरी के अंत तक स्थगित कर दिया। इस बीच, बोर्ड ने मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित दंड के लिए उच्चाधिकार समिति गठित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है।
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह भी सवाल किया कि क्या गुरुनाथ मय्यपन और राज कुन्द्रा के खिलाफ कार्रवाई से चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स की टीमें रद्द नहीं हो जानी चाहिए।
न्यायाधीशों ने दिनभर की सुनवाई के अंत में कहा, ‘‘हम अब भी सुनवाई की प्रक्रिया में है जिसे पूरा होने में कुछ वक्त लगेगा।’’ इसके साथ ही न्यायालय ने बीसीसीआई के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए 17 दिसंबर को बोर्ड की वार्षिक आम सभा की बैठक 31 जनवरी, 2015 तक के लिए स्थगित करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा कि आईपीएल-6 में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग के मामले में बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के हितों के टकराव सहित कई मुद्दों का फैसला करने में वक्त लगेगा।
श्रीनिवासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि चूंकि इस मामले की सुनवाई 17 दिसंबर तक पूरी होने की उम्मीद नहीं हैं, इसलिए बोर्ड के पदाधिकारियों का चुनाव स्थगित करना होगा। न्यायालय ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुए चुनाव स्थगित करने का निर्देश दिया।
बीसीसीआई के वकील ने कहा कि चुनाव कराने के लिए बोर्ड को तीन सप्ताह का नोटिस देना होता है। अभी तक वार्षिक आम सभा की बैठक तीन बार स्थगित हो चुकी है। पहले यह बैठक 26 सितंबर से 20 नवंबर और फिर 17 दिसंबर के लिए स्थगित की गई थी।
मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर श्रीनिवासन के हितों के टकराव के मुद्दे पर गौर करने के लिए उच्चाधिकार समिति गठित करने के प्रस्ताव का बीसीसीआई के वकील सीए सुन्दरम ने विरोध किया। उनका कहना था कि इससे बोर्ड की स्वायत्ता प्रभावित होगी और इस संबंध में कोई भी निर्णय, यदि आवश्यक हो, बोर्ड के संचालक मंडल को ही लेना चाहिए। आज की सुनवाई के दौरान पहली बार श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मय्यपन आए जिन्हें इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने का मौका मिला। मय्यपन को मुद्गल समिति ने आईपीएल में सट्टेबाजी के लिए दोषी पाया है। मय्यपन ने कहा कि वह इस बात का खुलासा नहीं करना चाहेंगे कि क्या वह सीएसके टीम के अधिकारी हैं या नहीं क्योंकि इस तरह का खुलासा निचली अदालत में उनके मुकदमे को प्रभावित कर सकता है।
मय्यपन के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ‘‘मुझे खामोश रहने का अधिकार है।’’ उन्होंने कहा कि मय्यपन पर मुकदमा चल रहा है और यह सवाल वहां भी उठेगा।
इस मुद्दे पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायालय ने टिप्पणी की कि आपने बीसीसीआई और सीएसके की मालिक इंडिया सीमेन्ट्स लि द्वारा आपको टीम का अधिकारी स्वीकार किए जाने के बाद यह दृष्टिकोण अपनाया है। अभी भी आप कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
लूथरा ने कहा कि मुद्गल समिति ने मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी और जांच के दौरान सीआरपीसी की धारा 161 के तहत गवाहों के दर्ज बयानों पर भरोसा किया है। उनका कहना था कि समिति द्वारा अप्रमाणित सामग्री पर भरोसा करने से उनका मामला प्रभावित होगा।
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