फाइल फोटो
नई दिल्ली:
अपने घर में खेलते हुए किंग्स 11 पंजाब का प्रदर्शन इतना फीका रहा कि लोग मैदान पर लाउड स्पीकर पर बज रहे हनी सिंह के गानों पर ज़्यादा जश्न मनाते नज़र आए क्योंकि मैदान पर उनकी अपनी टीम किंग्स 11 पंजाब का प्रदर्शन इतना फीका था कि लोगों के पास तालियां बजाने के ज़्यादा मौके नहीं थे।
किंग्स 11 पंजाब पहली बार अपने घर मोहाली में क्रिकेट मैच खेलने पहुंचे और उम्मीद थी कि कम से कम यहां कि उछाल भरी पिच से टीम को कुछ फायदा पहुंचेगा।
लेकिन हुआ कुछ नहीं पंजाब की टीम 20 रनों से हार गई। टीम ने पहले ग्लैन मैक्सवेल को बाहर कर सबको चौंकाया था, तो कल के मैच में वीरेन्द्र सहवाग भी बेंच पर बैठे मुस्कुराते ही नज़र आए। पंजाब ने जो भी बदलाव किए वो किसी काम के नहीं थे।
वैसे ही शहर से काफी दूर होने की वजह से कम ही लोग मोहाली के स्टेडियम में आईपीएल का मैच देखने पहुंचते हैं। पर टीम पहली बार यहां इस सीज़न में खेल रही थी। लोगों को लगा था कि शायद टीम को अपने फैंस की हौसला अफज़ाई की ज़रुरत थी लेकिन हुआ कुछ भी नहीं।
टीम की असली समस्या उसकी बल्लेबाज़ी है जो बिलकुल फीकी नज़र आती है। सात मैचों में टीम की ओर से सिर्फ़ चार अर्द्धशतक बने हैं।
खासकर भारतीय बल्लेबाज़ों का प्रदर्शन निराश कर देने वाला रहा है। न तो अभी तक सहवाग का बल्ला चला, न ही मुरली विजय किसी काम आ रहे हैं।
टीम विदेशी खिलाड़ियों पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर कर रही है लेकिन घरेलू खिला़ड़ियों की नाकामी को भला वो कब तक छुपा पाएंगे।
साल 2014 में टीम फ़ाइनल में पहुंची थी और इस बार अंक तालिका में फिसड्डी है। शायद कोच और कप्तान का पैनिक-बटन दबाने का समय आ गया है।
किंग्स 11 पंजाब पहली बार अपने घर मोहाली में क्रिकेट मैच खेलने पहुंचे और उम्मीद थी कि कम से कम यहां कि उछाल भरी पिच से टीम को कुछ फायदा पहुंचेगा।
लेकिन हुआ कुछ नहीं पंजाब की टीम 20 रनों से हार गई। टीम ने पहले ग्लैन मैक्सवेल को बाहर कर सबको चौंकाया था, तो कल के मैच में वीरेन्द्र सहवाग भी बेंच पर बैठे मुस्कुराते ही नज़र आए। पंजाब ने जो भी बदलाव किए वो किसी काम के नहीं थे।
वैसे ही शहर से काफी दूर होने की वजह से कम ही लोग मोहाली के स्टेडियम में आईपीएल का मैच देखने पहुंचते हैं। पर टीम पहली बार यहां इस सीज़न में खेल रही थी। लोगों को लगा था कि शायद टीम को अपने फैंस की हौसला अफज़ाई की ज़रुरत थी लेकिन हुआ कुछ भी नहीं।
टीम की असली समस्या उसकी बल्लेबाज़ी है जो बिलकुल फीकी नज़र आती है। सात मैचों में टीम की ओर से सिर्फ़ चार अर्द्धशतक बने हैं।
खासकर भारतीय बल्लेबाज़ों का प्रदर्शन निराश कर देने वाला रहा है। न तो अभी तक सहवाग का बल्ला चला, न ही मुरली विजय किसी काम आ रहे हैं।
टीम विदेशी खिलाड़ियों पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर कर रही है लेकिन घरेलू खिला़ड़ियों की नाकामी को भला वो कब तक छुपा पाएंगे।
साल 2014 में टीम फ़ाइनल में पहुंची थी और इस बार अंक तालिका में फिसड्डी है। शायद कोच और कप्तान का पैनिक-बटन दबाने का समय आ गया है।
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