अगले साल खेले जाने वाली इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के लिए साफ हो चला है कि फ्रेंचाइजी टीमें कितने खिलाड़ी मेगा नीलामी से हले रिटेन कर सकेंगी. खिलाड़ियों के रिटेन करने को लेकर अलग-अलग चर्चा चल रही थी. यह भी चर्चा थी बीसीसीआई दो से ज्यादा खिलाड़ियों को रिटेन करने की इजाजत नहीं देगा, लेकिन ऐसा लगता है कि फ्रेंचाइजी टीमों के दबाव के आगे बोर्ड का यह दांव नहीं चल पाया है. अब बीसीसीआई ने रिटेन के लिए ज्यादा खिलाड़ियों की इजाजत दे दी है, लेकिन पुरानी टीमों के लिए यह संख्या अलग होगी और अहमदाबाद और लखनऊ के लिए अलग. वहीं, खबरों के अनुसार खरीददारी के लिए एक बड़े नियम को खत्म करने का फैसला लिया गया है. चलिए अगले आईपीएल की नीलामी और नियमों से जुड़ी 4 बहुत ही खास बातें जान लीजिए:
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पुरानी टीमें कर पाएंगी इतने खिलाड़ी रिटेन
एक अग्रणी वेबसाइट की मानें, तो अगले साल की शुरुआत में मेगा नीलामी से पहले आईपीएल की पुरानी टीमें से अधिकतम चार खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती हैं. इसके तहत फ्रेंचाइजी दो भारतीय और दो विदेशी या फिर तीन भारतीय और एक विदेशी खिलाड़ी को रिटेन कर सकती हैं. ये तीन खिलाड़ी इंटरनेशनल (देश के लिए खेले), अनकैप्ड (देश के लिए न खेले) या मिक्स (मिश्रित) भी हो सकते हैं.
दोनों नई टीमों को भी रिटेन करने का मौका
अगले साल से दस टीमें होने जा रही हैं. और बीसीसीआई ने नई टीमों को भी खिलाड़ियों को रिटेन करने का मौका दिया है. मतलब पिछली 8 टीमों के रिटेन करने के बाद जो खिलाड़ी बचेंगे, उसमें से अहमदाबाद और लखनऊ की टीमें खिलाड़ियों को रिटेन कर सकेंगी. लेकिन सिर्फ तीन. पिछली टीमों से एक खिलाड़ी कम.
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राइट-टू-मैच की छुट्टी! जानें क्या है यह नियम
दरअसल इस नियम का इस्तेमाल पिछली नीलामी में किया गया था. राइट-टू-मैच कार्ड के अनुसार यदि किसी टीम ने तीन खिलाड़ियों को रिटेन कर दिया है तो वह दो खिलाड़ियों को राइट टू मैच के तहत यदि चाहे तो अपनी टीम में वापस ले सकती है. राइट-टू-मैच के नियमों के अनुसार जो खिलाड़ी नीलामी में खरीदा जा चुका है, तो नीलामी करने वाला व्यक्ति उस खिलाड़ी की पुरानी टीम से पूछताछ करता है कि उन्हें राइट-टू-मैच कार्ड के तहत वह खिलाड़ी अपनी टीम में वापस चाहिए या नहीं. यदि टीम उस खिलाड़ी को अपनी टीम में वापस चाहती है तो उस खिलाड़ी को उसी दाम पर वापस पुरानी टीम में भेज दिया जाता है. यदि वह टीम उस खिलाड़ी को अपनी टीम में नहीं लेना चाहती है तो उस खिलाड़ी की दोबारा से बोली लगवा कर उसे उस टीम में भेज दिया जाता है जो टीम उसके अच्छे दाम देती है, लेकिन इस बार यह नियम नहीं होगा.
100 करोड़ के भीतर ही खरीदने होंगे खिलाड़ी
पर्स मतलब वह रकम है, जो फ्रेंचाइजी एक तय रकम से ज्यादा नीलामी पर नहीं खर्च कर सकते. और यह राशि इस बार 90 करोड़ होने की संभावना है. हालांकि, यह राशि खिलाड़ियों को खरीदने के लिए काफी है, लेकिन फिर भी सभी टीमों को सोच-समझकर बोली लगानी होगी. खासकर नयी टीमों को क्योंकि पुरानी टीमों को तो पिछला खासा अनुभव हो चला है गुणा-भाग करने का.
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