सचिन तेंदुलकर के साथ सौरव गांगुली की ओपनिंग जोड़ी लंबे समय तक रही (फाइल फोटो)
नब्बे के दशक और 21वीं सदी की शुरुआत में टीम इंडिया की इमेज 'घर में शेर और बाहर मेमना' की थी। दरअसल टीम घरेलू जमीन पर तो शानदार खेल रही थी, लेकिन विदेश के तेज और बाउंसी विकेट पर आसानी से हथियार डाल देती थी। टीम इंडिया को इस इमेज से बाहर निकालने का श्रेय अगर किसी को जाता है, तो वह हैं 'दादा' सौरव गांगुली।
प्रिंस ऑफ कोलकाता के नाम से भी पहचान रखने वाले गांगुली न केवल टीम को प्रेरित करते थे, बल्कि अपने प्रदर्शन से उनके सामने उदाहरण रखते थे। उनके नाम जहां बैटिंग में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, वहीं बॉलिंग में भी वह पीछे नहीं थे। साफ है टीम में वह ऑलराउंडर की भूमिका निभाते थे। इसकी बानगी रही 1997 में टोरंटो में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई सीरीज, जिसके बाद कहा गया था कि पाकिस्तान टीम इंडिया से नहीं बल्कि अकेले सौरव गांगुली से ही हार गया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपने प्रदर्शन से लगातार 4 'मैन ऑफ द मैच' का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया था, जो 19 साल बाद भी कायम है। हम आपको बता रहे हैं कि उस दौरे में गांगुली का प्रदर्शन कैसा रहा और लगातार 'मैन ऑफ द मैच' के मामले में विश्व क्रिकेट के अव्वल खिलाड़ी कौन-कौन से हैं-
विश्व में सर्वाधिक लगातार मैन ऑफ द मैच पाने वाले खिलाड़ी
विश्व क्रिकेट में लगातार मैन ऑफ द मैच जीतने के मामले में सौरव गांगुली 19 साल से नंबर वन पर हैं। उनके बाद टीम इंडिया के ही मोहिंदर अमरनाथ का नाम आता है। अमरनाथ ने 1983 में इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के खिलाफ लगातार तीन मैचों में 3 प्लेयर ऑफ द मैच खिताब जीते थे। इंग्लैंड के ग्राहम गूच (1987 में वेस्टइंडीज, भारत, श्रीलंका के खिलाफ), श्रीलंका के अरविंद डिसिल्वा (1996 में ऑस्ट्रेलिया, जिम्बाब्वे के खिलाफ) और दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन (1996 में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, भारत के खिलाफ) को लगातार 3-3 मैन ऑफ द मैच मिले थे।
जानिए कैसे पाक टीम अकेले गांगुली से हार गई थी सीरीज-
टोरंटो सीरीज : दूसरा मैच- दादा का पहला खिताब
भारत-पाकिस्तान की इस सीरीज में पहला मैच टीम इंडिया ने जीता था, लेकिन उसमें मैन ऑफ द मैच का खिताब अजय जडेजा (49) को मिला था। हालांकि इस मैच में गांगुली 17 रन ही बना पाए थे, लेकिन बॉलिंग में उन्होंने 2 विकेट झटके थे। मतलब साफ है कि उन्होंने पहले मैच से इरादे जाहिर कर दिए थे। फिर दूसरे मैच में तो उनका कोई जवाब नहीं रहा। 14 सितंबर, 1997 को खेले गए इस मैच में दादा ने पहले बैटिंग कर रही पाकिस्तान टीम को धीमे विकेट पर खूब परेशान किया और 9 ओवर में 16 रन देकर 2 विकेट अपने करते हुए पाक को 116 रन में ही समेट देने में अहम भूमिका निभाई, फिर बैटिंग में जमकर खेलते हुए टीम की ओर से सर्वाधिक 32 रनों का योगदान देते हुए जीत दिला दी। ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए उन्हें सीरीज का पहला मैन ऑफ द मैच मिला।
तीसरे मैच में लगाया 'पंजा'
टूर्नामेंट के तीसरे मैच में भी गांगुली छाए रहे और बैटिंग से तो नहीं लेकिन बॉलिंग से 'पंजा' मार दिया। एक बार फिर धीमे विकेट पर टीम इंडिया ने 50 ओवर में 182 रन का लक्ष्य रखा। विकेट को देखते हुए पाकिस्तान के लिए लक्ष्य आसान नहीं, तो असंभव भी नहीं था, लेकिन दादा ने अपनी गेंदों से पाक बल्लेबाजों को एक के बाद एक पैवेलियन लौटा दिया। उन्होंने 10 ओवर में से 3 मैडन रखते हुए महज 16 रन खर्च करके 5 विकेट झटके और फिर मैन ऑफ द मैच बन गए।
चौथे मैच में बल्ला-गेंद दोनों चले
सीरीज में पाक के खिलाफ बारिश से प्रभावित 28 ओवर वाले चौथे मैच में फिर दादा का ही सिक्का चला। इस बार उन्होंने पहले बॉलिंग से दम दिखाया और 6 ओवर के कोटे में 29 रन देकर 2 विकेट अपने नाम किए। फिर बैटिंग में 159 रन का पीछा करते हुए नाबाद 75 रन बनाए। 54 रन पर टीम के 3 विकेट गिर गए थे। फिर उन्होंने अजय जडेजा के साथ 108 रन की साझेदारी करते हुए टीम को जीत तक पहुंचा दिया। उन्होंने 8 चौके और एक छक्का लगाया। उन्हें लगातार तीसरी बार मैन ऑफ द मैच मिला , जो ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए था।
पांचवां मैच- लगातार चौथा मैन ऑफ द मैच, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
टीम इंडिया ने अब तक पूरी सीरीज में पाकिस्तान को हावी नहीं होने दिया तो इसमें गांगुली का अहम रोल था। हालांकि आखिरी मैच पाक ने जीता, लेकिन मैन ऑफ द मैच गांगुली ही रहे। टूर्नामेंट के आखिरी मैच में टीम इंडिया ने पहले खेलते हुए 5 विकेट पर 250 रन बनाए थे, जिसमें गांगुली के बल्ले ने एक बार फिर चमक बिखेरी और 96 रन बनाए। उन्होंने 5 चौके और 2 छक्के लगाए। छक्के तो उनके दर्शनीय होते ही थे। पूरी सीरीज की तरह उन्होंने गेंद से भी कमाल किया और 2 विकेट झटके, लेकिन टीम को हार से नहीं बचा पाए।
प्रिंस ऑफ कोलकाता के नाम से भी पहचान रखने वाले गांगुली न केवल टीम को प्रेरित करते थे, बल्कि अपने प्रदर्शन से उनके सामने उदाहरण रखते थे। उनके नाम जहां बैटिंग में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, वहीं बॉलिंग में भी वह पीछे नहीं थे। साफ है टीम में वह ऑलराउंडर की भूमिका निभाते थे। इसकी बानगी रही 1997 में टोरंटो में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई सीरीज, जिसके बाद कहा गया था कि पाकिस्तान टीम इंडिया से नहीं बल्कि अकेले सौरव गांगुली से ही हार गया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपने प्रदर्शन से लगातार 4 'मैन ऑफ द मैच' का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया था, जो 19 साल बाद भी कायम है। हम आपको बता रहे हैं कि उस दौरे में गांगुली का प्रदर्शन कैसा रहा और लगातार 'मैन ऑफ द मैच' के मामले में विश्व क्रिकेट के अव्वल खिलाड़ी कौन-कौन से हैं-
विश्व में सर्वाधिक लगातार मैन ऑफ द मैच पाने वाले खिलाड़ी
विश्व क्रिकेट में लगातार मैन ऑफ द मैच जीतने के मामले में सौरव गांगुली 19 साल से नंबर वन पर हैं। उनके बाद टीम इंडिया के ही मोहिंदर अमरनाथ का नाम आता है। अमरनाथ ने 1983 में इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के खिलाफ लगातार तीन मैचों में 3 प्लेयर ऑफ द मैच खिताब जीते थे। इंग्लैंड के ग्राहम गूच (1987 में वेस्टइंडीज, भारत, श्रीलंका के खिलाफ), श्रीलंका के अरविंद डिसिल्वा (1996 में ऑस्ट्रेलिया, जिम्बाब्वे के खिलाफ) और दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन (1996 में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, भारत के खिलाफ) को लगातार 3-3 मैन ऑफ द मैच मिले थे।
जानिए कैसे पाक टीम अकेले गांगुली से हार गई थी सीरीज-
टोरंटो सीरीज : दूसरा मैच- दादा का पहला खिताब
भारत-पाकिस्तान की इस सीरीज में पहला मैच टीम इंडिया ने जीता था, लेकिन उसमें मैन ऑफ द मैच का खिताब अजय जडेजा (49) को मिला था। हालांकि इस मैच में गांगुली 17 रन ही बना पाए थे, लेकिन बॉलिंग में उन्होंने 2 विकेट झटके थे। मतलब साफ है कि उन्होंने पहले मैच से इरादे जाहिर कर दिए थे। फिर दूसरे मैच में तो उनका कोई जवाब नहीं रहा। 14 सितंबर, 1997 को खेले गए इस मैच में दादा ने पहले बैटिंग कर रही पाकिस्तान टीम को धीमे विकेट पर खूब परेशान किया और 9 ओवर में 16 रन देकर 2 विकेट अपने करते हुए पाक को 116 रन में ही समेट देने में अहम भूमिका निभाई, फिर बैटिंग में जमकर खेलते हुए टीम की ओर से सर्वाधिक 32 रनों का योगदान देते हुए जीत दिला दी। ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए उन्हें सीरीज का पहला मैन ऑफ द मैच मिला।
तीसरे मैच में लगाया 'पंजा'
टूर्नामेंट के तीसरे मैच में भी गांगुली छाए रहे और बैटिंग से तो नहीं लेकिन बॉलिंग से 'पंजा' मार दिया। एक बार फिर धीमे विकेट पर टीम इंडिया ने 50 ओवर में 182 रन का लक्ष्य रखा। विकेट को देखते हुए पाकिस्तान के लिए लक्ष्य आसान नहीं, तो असंभव भी नहीं था, लेकिन दादा ने अपनी गेंदों से पाक बल्लेबाजों को एक के बाद एक पैवेलियन लौटा दिया। उन्होंने 10 ओवर में से 3 मैडन रखते हुए महज 16 रन खर्च करके 5 विकेट झटके और फिर मैन ऑफ द मैच बन गए।
चौथे मैच में बल्ला-गेंद दोनों चले
सीरीज में पाक के खिलाफ बारिश से प्रभावित 28 ओवर वाले चौथे मैच में फिर दादा का ही सिक्का चला। इस बार उन्होंने पहले बॉलिंग से दम दिखाया और 6 ओवर के कोटे में 29 रन देकर 2 विकेट अपने नाम किए। फिर बैटिंग में 159 रन का पीछा करते हुए नाबाद 75 रन बनाए। 54 रन पर टीम के 3 विकेट गिर गए थे। फिर उन्होंने अजय जडेजा के साथ 108 रन की साझेदारी करते हुए टीम को जीत तक पहुंचा दिया। उन्होंने 8 चौके और एक छक्का लगाया। उन्हें लगातार तीसरी बार मैन ऑफ द मैच मिला , जो ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए था।
पांचवां मैच- लगातार चौथा मैन ऑफ द मैच, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
टीम इंडिया ने अब तक पूरी सीरीज में पाकिस्तान को हावी नहीं होने दिया तो इसमें गांगुली का अहम रोल था। हालांकि आखिरी मैच पाक ने जीता, लेकिन मैन ऑफ द मैच गांगुली ही रहे। टूर्नामेंट के आखिरी मैच में टीम इंडिया ने पहले खेलते हुए 5 विकेट पर 250 रन बनाए थे, जिसमें गांगुली के बल्ले ने एक बार फिर चमक बिखेरी और 96 रन बनाए। उन्होंने 5 चौके और 2 छक्के लगाए। छक्के तो उनके दर्शनीय होते ही थे। पूरी सीरीज की तरह उन्होंने गेंद से भी कमाल किया और 2 विकेट झटके, लेकिन टीम को हार से नहीं बचा पाए।
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