इंग्लैंड के कप्तान इयोन मॉर्गन ने 38 गेंदों में 51 रन की पारी खेली...
नई दिल्ली:
टेस्ट और वनडे सीरीज में मिली हार के बाद इंग्लैंड टीम ने टी20 सीरीज में विराट कोहली ब्रिगेड पर शुरुआती 'पंच' जमाकर मनोवैज्ञानिक बढ़त की स्थिति हासिल कर ली है. कानपुर के ग्रीन पार्क पर शुरुआती टी20 मुकाबला सात विकेट से जीतकर इंग्लैंड तीन मैचों की सीरीज में 1-0 से आगे हो गया है. स्वाभाविक है दबाव अब टीम इंडिया पर है और उसे नागपुर में 29 जनवरी को होने वाला दूसरा मैच हर हाल में जीतना होगा, वरना बेंगलुरू के तीसरे टी20 मैच के पहले ही सीरीज इंग्लैंड के नाम हो जाएगी.
एक तरह से इंग्लैंड की गुरुवार की जीत को कोलकाता के तीसरे वनडे मैच में उसे मिली जीत से बढ़े मनोबल का परिणाम माना जा सकता है. कोलकाता वनडे के पहले ही शुरुआती दोनों मैच जीतकर टीम इंडिया ने भले ही सीरीज में अजेय बढ़त हासिल कर ली थी, लेकिन ईडन गार्डंस पर पांच रन से मिली इस जीत ने इंग्लिश खेमे में यह विश्वास भरा कि वह भारत को उसके मैदान पर हरा सकती है. आज के मैच में इंग्लैंड के शुरुआत से ही विजेता जैसा प्रदर्शन किया. लगातार विकेट झटकते हुए पहले उसने टीम इंडिया को 147 के स्कोर पर सीमित किया और उसके बाद पेशेवर रुख दिखाते हुए जीत अपने नाम कर ली. नजर डालते हैं, उन खास बातों पर जो टीम इंडिया के लिए हार का कारण बनीं...
विराट कोहली का ओपनिंग करने का फैसला
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने बुधवार को ही संकेत दे दिया था कि वे पारी की शुरुआत कर सकते हैं. भारतीय कप्तान ने अच्छी बल्लेबाजी करते हुए इस फैसले को एक हद तक सही भी साबित किया, लेकिन दूसरे विकेट के रूप में 55 रन के स्कोर पर उनके आउट होते ही मध्य क्रम पर दबाव बढ़ गया. यह विराट ही हैं जो अभी तक शॉर्टर फॉर्मट में भारतीय मध्यक्रम का काफी बोझ उठाते आए हैं. टी20 के लिहाज से युवराज सिंह और सुरेश रैना करीब 10 माह बाद टीम इंडिया में वापसी कर रहे थे. इन दोनों ने अपना पिछला टी20 मैच, मार्च 2016 में खेला था. विराट ने अपने 46 टी20 मैच के करियर में कानपुर टी20 को मिलाकर तीसरी बार ओपनिंग की है. बेहतर होता कि प्लेइंग इलेवन में मनीष पांडे के स्थान पर ऋषभ पंत या मनदीप सिंह जैसे नियमित ओपनर को मौका दिया जाता. बाएं हाथ के बल्लेबाज पंत इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ अभ्यास मैच में भी आक्रामक बल्लेबाजी का प्रदर्शन कर चुके हैं.
टीम का 147 के स्कोर पर सीमित होना
टीम इंडिया निर्धारित 20 ओवर्स में 147 के स्कोर पर ही सीमित रह गई. भारत के रनों से भरपूर विकेट के लिहाज से यह स्कोर काफी कम रहा. 150 रन से कम के स्कोर को डिफेंड करने के लिए टीम इंडिया को जरूरत थी लगातार विकेट हासिल कर मेहमान टीम को दबाव में लाने की, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
10 से 15 ओवर के बीच में तीन अहम विकेट गिरना
10 ओवर तक टीम इंडिया का स्कोर दो विकेट पर 75 रन था और वह 7.50 के औसत से आगे बढ़ रही थी. इस लिहाज से 11 से 15 ओवर के बीच का खेल इंग्लैंड के लिए दिशा बदलने वाला साबित हुआ. इन पांच ओवर्स में टीम इंडिया के खाते में महज 31 रन जुड़ पाए और उसे तीन विकेट गंवाने पड़े. यह समय रन गति को ऊंचाई देने के लिहाज से आदर्श होता है. टीम इंडिया के विकेट नहीं गिरते तो यह संभव भी हो सकता था, लेकिन इस दौरान युवराज, रैना और मनीष पांडे के आउट होने से रन गति पर ब्रेक लगा. यही कारण रहा कि 15 ओवर के बाद टीम इंडिया का स्कोर था पांच विकेट पर 106 रन और रन गति थी 7.06 रन प्रति ओवर.
तीसरे विकेट के लिए इंग्लैंड की 83 रन की साझेदारी
147 रन के स्कोर को देखते हुए टीम इंडिया को लगातार विकेट हासिल करने की जरूरत थी, लेकिन जेसन रॉय और सैम बिलिंग्स की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए बेहद तेज गति से 42 रन जोड़ दिए. लेग स्पिनर यजुवेंद्र चहल ने एक ही ओवर में इन दोनों को आउट कर भारत की कुछ वापसी कराई लेकिन कप्तान इयोन मोर्गन और जो रूट ने हार नहीं मानी. इन दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 83 रन की साझेदारी की. आखिरकार मोर्गन (51) तीसरे विकेट के रूप में 126 के स्कोर पर आउट हुए, लेकिन तब तक बाजी हाथ से निकल चुकी थी.
भारतीय तेज गेंदबाजों का मैच में न चलना
भारतीय तेज गेंदबाजों की तिकड़ी इस मैच में नहीं चल पाई. वैसे भी चोट से उबरने के बाद आशीष नेहरा करीब 10 माह बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी कर रहे थे. उन्होंने अपना पिछला टी20 मैच मार्च 2016 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था. जसप्रीत बुमराह के पहले ही ओवर में रॉय-बिलिंग्स ने 20 रन ठोक डाले. हार्दिक पांड्या भी टीम को विकेट नहीं दिला सके. आखिरी क्षणों में बुमराह ने जो रूट को बोल्ड कर दिया था, लेकिन यह गेंद नो बॉल घोषित की गई.
एक तरह से इंग्लैंड की गुरुवार की जीत को कोलकाता के तीसरे वनडे मैच में उसे मिली जीत से बढ़े मनोबल का परिणाम माना जा सकता है. कोलकाता वनडे के पहले ही शुरुआती दोनों मैच जीतकर टीम इंडिया ने भले ही सीरीज में अजेय बढ़त हासिल कर ली थी, लेकिन ईडन गार्डंस पर पांच रन से मिली इस जीत ने इंग्लिश खेमे में यह विश्वास भरा कि वह भारत को उसके मैदान पर हरा सकती है. आज के मैच में इंग्लैंड के शुरुआत से ही विजेता जैसा प्रदर्शन किया. लगातार विकेट झटकते हुए पहले उसने टीम इंडिया को 147 के स्कोर पर सीमित किया और उसके बाद पेशेवर रुख दिखाते हुए जीत अपने नाम कर ली. नजर डालते हैं, उन खास बातों पर जो टीम इंडिया के लिए हार का कारण बनीं...
विराट कोहली का ओपनिंग करने का फैसला
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने बुधवार को ही संकेत दे दिया था कि वे पारी की शुरुआत कर सकते हैं. भारतीय कप्तान ने अच्छी बल्लेबाजी करते हुए इस फैसले को एक हद तक सही भी साबित किया, लेकिन दूसरे विकेट के रूप में 55 रन के स्कोर पर उनके आउट होते ही मध्य क्रम पर दबाव बढ़ गया. यह विराट ही हैं जो अभी तक शॉर्टर फॉर्मट में भारतीय मध्यक्रम का काफी बोझ उठाते आए हैं. टी20 के लिहाज से युवराज सिंह और सुरेश रैना करीब 10 माह बाद टीम इंडिया में वापसी कर रहे थे. इन दोनों ने अपना पिछला टी20 मैच, मार्च 2016 में खेला था. विराट ने अपने 46 टी20 मैच के करियर में कानपुर टी20 को मिलाकर तीसरी बार ओपनिंग की है. बेहतर होता कि प्लेइंग इलेवन में मनीष पांडे के स्थान पर ऋषभ पंत या मनदीप सिंह जैसे नियमित ओपनर को मौका दिया जाता. बाएं हाथ के बल्लेबाज पंत इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ अभ्यास मैच में भी आक्रामक बल्लेबाजी का प्रदर्शन कर चुके हैं.
टीम का 147 के स्कोर पर सीमित होना
टीम इंडिया निर्धारित 20 ओवर्स में 147 के स्कोर पर ही सीमित रह गई. भारत के रनों से भरपूर विकेट के लिहाज से यह स्कोर काफी कम रहा. 150 रन से कम के स्कोर को डिफेंड करने के लिए टीम इंडिया को जरूरत थी लगातार विकेट हासिल कर मेहमान टीम को दबाव में लाने की, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
10 से 15 ओवर के बीच में तीन अहम विकेट गिरना
10 ओवर तक टीम इंडिया का स्कोर दो विकेट पर 75 रन था और वह 7.50 के औसत से आगे बढ़ रही थी. इस लिहाज से 11 से 15 ओवर के बीच का खेल इंग्लैंड के लिए दिशा बदलने वाला साबित हुआ. इन पांच ओवर्स में टीम इंडिया के खाते में महज 31 रन जुड़ पाए और उसे तीन विकेट गंवाने पड़े. यह समय रन गति को ऊंचाई देने के लिहाज से आदर्श होता है. टीम इंडिया के विकेट नहीं गिरते तो यह संभव भी हो सकता था, लेकिन इस दौरान युवराज, रैना और मनीष पांडे के आउट होने से रन गति पर ब्रेक लगा. यही कारण रहा कि 15 ओवर के बाद टीम इंडिया का स्कोर था पांच विकेट पर 106 रन और रन गति थी 7.06 रन प्रति ओवर.
तीसरे विकेट के लिए इंग्लैंड की 83 रन की साझेदारी
147 रन के स्कोर को देखते हुए टीम इंडिया को लगातार विकेट हासिल करने की जरूरत थी, लेकिन जेसन रॉय और सैम बिलिंग्स की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए बेहद तेज गति से 42 रन जोड़ दिए. लेग स्पिनर यजुवेंद्र चहल ने एक ही ओवर में इन दोनों को आउट कर भारत की कुछ वापसी कराई लेकिन कप्तान इयोन मोर्गन और जो रूट ने हार नहीं मानी. इन दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 83 रन की साझेदारी की. आखिरकार मोर्गन (51) तीसरे विकेट के रूप में 126 के स्कोर पर आउट हुए, लेकिन तब तक बाजी हाथ से निकल चुकी थी.
भारतीय तेज गेंदबाजों का मैच में न चलना
भारतीय तेज गेंदबाजों की तिकड़ी इस मैच में नहीं चल पाई. वैसे भी चोट से उबरने के बाद आशीष नेहरा करीब 10 माह बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी कर रहे थे. उन्होंने अपना पिछला टी20 मैच मार्च 2016 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था. जसप्रीत बुमराह के पहले ही ओवर में रॉय-बिलिंग्स ने 20 रन ठोक डाले. हार्दिक पांड्या भी टीम को विकेट नहीं दिला सके. आखिरी क्षणों में बुमराह ने जो रूट को बोल्ड कर दिया था, लेकिन यह गेंद नो बॉल घोषित की गई.
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