रवींद्र जडेजा ने पहली पारी में तीन और दूसरी पारी में सात विकेट हासिल किए (फाइल फोटो)
इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में टीम इंडिया के दो सितारा खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन और विराट कोहली पर हर किसी की नजरें टिकी हुई थीं. इसके पीछे खास वजह थी. जहां अश्विन इस टेस्ट में तीन विकेट लेते ही सबसे तेज गति से 250 विकेट लेने के ऑस्ट्रेलिया के महान तेज गेंदबाज डेनिस लिली के रिकॉर्ड को तोड़ देते, वही विराट कोहली के रडार पर महान ओपनर सुनील गावस्कर का 774 रन का रिकॉर्ड था. दुर्भाग्य से ये दोनों ही रिकॉर्ड नहीं टूट सके. बहरहाल, टीम इंडिया ने चेन्नई टेस्ट एक पारी और 75 से जीतकर सीरीज 4-0 से अपने नाम कर ली. इस जीत में गेंदबाजी के लिहाज से रवींद्र जडेजा और बल्लेबाजी में तिहरा शतक लगाने वाले करुण नायर व केएल राहुल 'हीरो' साबित हुए.
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बेशक करुण नायर और केएल राहुल ने यादगार पारियां खेलीं लेकिन वह जडेजा ही थे जिन्होंने निश्चित रूप से ड्रॉ माने जा रहे मैच का रुख अपनी गेंदबाजी से भारत के पक्ष में मोड़ा. चेन्नई के अपने घरेलू मैदान पर अश्विन से काफी विकेट लेने की उम्मीद थीं, लेकिन प्रशंसकों की यह आस पूरी नहीं हो पाई. पहली पारी में वे केवल एक विकेट हासिल कर पाए. मुंबई के तीसरे टेस्ट के बाद अश्विन के खाते में 43 टेस्ट में 247 विकेट थे. चेन्नई टेस्ट में सभी को उम्मीद थी कि घरेलू मैदान पर तीन विकेट लेकर अश्विन, ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज लिली को पीछे छोड़ देंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो चेन्नई में स्वागत 'प्लेटफॉर्म' रविचंद्रन अश्विन के लिए सजा था लेकिन सारी वाहवाही लेग स्पिनर रवींद्र जडेजा बटोर ले गए. लोगों को अंतिम टेस्ट में टीम इंडिया की जीत के साथ अश्विन से गेंदबाजी में बढ़-चढ़कर प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई.
जडेजा ने मंगलवार को इंग्लैंड के बल्लेबाजों की कठिन परीक्षा ली. सुबह इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक को आउट कर उन्होंने मेहमान टीम को झटके देने का जो सिलसिला शुरू किया, वह लगातार जारी रहा. कुक को जडेजा ने सीरीज में छठी बार अपना शिकार बनाया . दूसरी पारी में टीम इंडिया की गेंदबाजी जडेजा के इर्द-गिर्द ही केंद्रित रही. चेन्नई में अश्विन के गृहमैदान में केंद्रीय भूमिका में 'जड्डू' ही रहे.
दरअसल, टेस्ट क्रिकेट में जडेजा को गेंदबाज के रूप में इससे पहले बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी लेकिन वे अकसर 'छुपे रुस्तम' साबित होते रहे हैं. जब विपक्षी टीम का पूरा ध्यान रविचंद्रन को सावधानी से खेलने पर केंद्रित होता है तब जडेजा हौले से आकर विपक्षी बल्लेबाजों की 'डिफेंस को भेद' जाते हैं. गेंदबाजों के तौर पर जडेजा की खासियत यह है कि वे बेहद सटीक हैं. आम लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजों की तुलना में उनकी गेंदें कुछ ज्यादा गति लिए होती हैं और इसी कारण वे विकेट से भरपूर उछाल पाने में सफल होते हैं. गुजरात के इस क्रिकेटर की एक और खासियत यह है कि वे जल्दी ही विकेट का मिजाज पढ़ लेते हैं और उसके मुताबिक अपने 'बॉलिंग प्लान' को कामयाबी के साथ अंजाम देते हैं.
जडेजा को कुंबले की ही तरह सटीक मानते हैं पुजारा
सौराष्ट्र टीम से ही खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा गेंदबाज के रूप में जडेजा के काफी ऊंचा 'रेट' करते हैं. पुजारा तो जडेजा को अनिल कुंबले के स्तर का गेंदबाज मानते हैं. पुजारा ने एक बार कहा था, जडेजा को आप अनिल कुंबले की 'परछाई' कह सकते हैं. वे भी कुंबले की तरह गेंद को ज्यादा टर्न नहीं कराते, लेकिन यह तय है कि अगर आप उनका सामना कर रहे हैं तो हर गेंद को सावधानी से खेलना होगा. जडेजा लाइन-लेंथ को बेहद सटीक रखते हैं और इसी कारण विकेट लेने में सफल रहते हैं. बकौल पुजारा, जडेजा का सामना करना विपक्षी बल्लेबाजों के लिए कठिन परीक्षा होती है.
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बेशक करुण नायर और केएल राहुल ने यादगार पारियां खेलीं लेकिन वह जडेजा ही थे जिन्होंने निश्चित रूप से ड्रॉ माने जा रहे मैच का रुख अपनी गेंदबाजी से भारत के पक्ष में मोड़ा. चेन्नई के अपने घरेलू मैदान पर अश्विन से काफी विकेट लेने की उम्मीद थीं, लेकिन प्रशंसकों की यह आस पूरी नहीं हो पाई. पहली पारी में वे केवल एक विकेट हासिल कर पाए. मुंबई के तीसरे टेस्ट के बाद अश्विन के खाते में 43 टेस्ट में 247 विकेट थे. चेन्नई टेस्ट में सभी को उम्मीद थी कि घरेलू मैदान पर तीन विकेट लेकर अश्विन, ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज लिली को पीछे छोड़ देंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो चेन्नई में स्वागत 'प्लेटफॉर्म' रविचंद्रन अश्विन के लिए सजा था लेकिन सारी वाहवाही लेग स्पिनर रवींद्र जडेजा बटोर ले गए. लोगों को अंतिम टेस्ट में टीम इंडिया की जीत के साथ अश्विन से गेंदबाजी में बढ़-चढ़कर प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई.
जडेजा ने मंगलवार को इंग्लैंड के बल्लेबाजों की कठिन परीक्षा ली. सुबह इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक को आउट कर उन्होंने मेहमान टीम को झटके देने का जो सिलसिला शुरू किया, वह लगातार जारी रहा. कुक को जडेजा ने सीरीज में छठी बार अपना शिकार बनाया . दूसरी पारी में टीम इंडिया की गेंदबाजी जडेजा के इर्द-गिर्द ही केंद्रित रही. चेन्नई में अश्विन के गृहमैदान में केंद्रीय भूमिका में 'जड्डू' ही रहे.
दरअसल, टेस्ट क्रिकेट में जडेजा को गेंदबाज के रूप में इससे पहले बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी लेकिन वे अकसर 'छुपे रुस्तम' साबित होते रहे हैं. जब विपक्षी टीम का पूरा ध्यान रविचंद्रन को सावधानी से खेलने पर केंद्रित होता है तब जडेजा हौले से आकर विपक्षी बल्लेबाजों की 'डिफेंस को भेद' जाते हैं. गेंदबाजों के तौर पर जडेजा की खासियत यह है कि वे बेहद सटीक हैं. आम लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजों की तुलना में उनकी गेंदें कुछ ज्यादा गति लिए होती हैं और इसी कारण वे विकेट से भरपूर उछाल पाने में सफल होते हैं. गुजरात के इस क्रिकेटर की एक और खासियत यह है कि वे जल्दी ही विकेट का मिजाज पढ़ लेते हैं और उसके मुताबिक अपने 'बॉलिंग प्लान' को कामयाबी के साथ अंजाम देते हैं.
जडेजा को कुंबले की ही तरह सटीक मानते हैं पुजारा
सौराष्ट्र टीम से ही खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा गेंदबाज के रूप में जडेजा के काफी ऊंचा 'रेट' करते हैं. पुजारा तो जडेजा को अनिल कुंबले के स्तर का गेंदबाज मानते हैं. पुजारा ने एक बार कहा था, जडेजा को आप अनिल कुंबले की 'परछाई' कह सकते हैं. वे भी कुंबले की तरह गेंद को ज्यादा टर्न नहीं कराते, लेकिन यह तय है कि अगर आप उनका सामना कर रहे हैं तो हर गेंद को सावधानी से खेलना होगा. जडेजा लाइन-लेंथ को बेहद सटीक रखते हैं और इसी कारण विकेट लेने में सफल रहते हैं. बकौल पुजारा, जडेजा का सामना करना विपक्षी बल्लेबाजों के लिए कठिन परीक्षा होती है.
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