
मैच के तीसरे और चौथे दिन टीम इंडिया के कमाल का प्रदर्शन करते हुए बाजी पलट दी (फाइल फोटो)
बेंगलुरू टेस्ट में टीम इंडिया ने 75 रन से जीत हासिल कर कमाल कर दिया. मैच के पहले दो दिन बैकफुट पर रहने के बाद टीम इंडिया ने यह सफलता हासिल की है. मैच के तीसरे दिन के अंतिम सेशन में पुजारा और अजिंक्य रहाणे की बल्लेबाजी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाया और चौथे दिन गेंदबाजों ने कमाल करते हुए टीम को जीत तक पहुंचा दिया. मैच में ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी महज 112 रन पर सिमट गई. नजर डालते हैं टीम की जीत के कर्णधार बने छह प्रमुख खिलाड़ियों पर...
रवींद्र जडेजा: कम ओवर में ज्यादा रिजल्ट
पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई पारी अगर 276 रन पर सिमट पाई तो इसका बहुत कुछ योगदान बाएं हाथ के लेग स्पिनर रवींद्र जडेजा को जाता है. जडेजा ने पारी में महज 63 रन देकर छह विकेट लिया जो कि उनका दूसरा सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी विश्लेषण रहा. खासबात यह है कि इस दौरान जड्डू ने पारी के चारों रेगुलर बॉलर्स में सबसे कम ओवर फेंके. उन्होंने 21.4 ओर में यह सफलताएं हासिल कीं. यहां तक कि तेज गेंदबाजों ईशांत शर्मा और उमेश यादव ने भी पहली पारी में उनसे ज्यादा ओवर फेंके थे. पहली पारी में टीम इंडिया के सबसे कामयाब बॉलर जडेजा को कम ओवर दिए जाने को लेकर सवाल भी उठे थे. आश्चर्यजनक रूप से ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में भी कप्तान विराट कोहली ने उन्हें 13वें ओवर में ही आक्रमण पर लगाया. जडेजा ने दूसरी पारी में भी एक विकेट ले लिया.
लोकेश राहुल: दोनों पारियों में अर्धशतक
ऑस्ट्रेलियाई टीम के ओपनर डेविड वॉर्नर से हाल ही में विराट कोहली को छोड़कर टीम इंडिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के बारे में पूछा गया था तो उनका जवाब था-केएल (लोकेश) राहुल. बेंगलुरू टेस्ट में अपने प्रदर्शन से राहुल ने वॉर्नर को सही साबित कर दिया. दोनों पारियों में उन्होंने अर्धशतक जमाए. पहली पारी में तो टीम इंडिया के 189 रन से से लगभग आधे (90) रन उन्होंने अकेले बनाए. दूसरी पारी में भी राहुल ने 51 रनों का योगदान दिया. राहुल के खेल में अभी खटकने वाली बात यही लगती है कि वे जोखिम भरे शॉट्स खेलते हैं. इस कमी को दूर करके कर्नाटक का यह क्रिकेटर और बेहतर बल्लेबाज बनकर उभर सकता है. राहुल मैन ऑफ द मैच चुने गए.
चेतेश्वर पुजारा: टीम इंडिया की बने 'दीवार'
दूसरी पारी में टीम इंडिया को 274 रन तक पहुंचाकर मुकाबले में लाने में चेतेश्वर पुजारा की सबसे अहम भूमिका रही. सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज ने अजिंक्य रहाणे के साथ तीसरे दिन खेल के आखिरी सेशन ने कंगारू गेंदबाजों को सफलता से वंचित करके रखा. शुरुआती की मुश्किलों से उबरते हुए उन्होंने अपनी पारी को अच्छी तरह संवारा. पुजारा शतक पूरा नहीं कर सके लेकिन उन्होंने 92 रन बनाकर बेंगलुरू के मुश्किल विकेट पर अपनी 'क्लास' दिखाई. पुजारा ने रहाणे के साथ पांचवें विकेट के लिए 118 रन की साझेदारी निभाई जो गेंदबाजों के वर्चस्व वाली मौजूदा सीरीज की एकमात्र शतकीय साझेदारी है.
अजिंक्य रहाणे : कुंबले और कोहली का विश्वास काम आया
मुंबई के अजिंक्य रहाणे इस समय बल्ले से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में तिहरा शतक बनाने वाले करुण नायर को जगह देने के लिए उनके स्थान पर खतरा लगातार मंडरा रहा था, लेकिन कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले ने अजिंक्य पर भरोसा बरकरार रखा. इन दोनों का तर्क था कि करुण के तिहरे शतक के कारण अजिंक्य की दो साल की मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बांग्लादेश के खिलाफ एकमात्र टेस्ट और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अब तक के दोनों टेस्ट में उन्हें प्लेइंग इलेवन में मौका मिला. टीम इंडिया की दूसरी पारी में रहाणे ने 52 रन की जुझारू पारी खेली.
आर. अश्विन : दूसरी पारी में बने 'अबूझ पहेली'
पहली पारी में अगर रवींद्र जडेजा ने छह विकेट लिए थे तो दूसरी पारी में ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने 'छक्का' लगाया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में 41 रन देकर छह विकेट लिए. पहली पारी में भी अश्विन दो विकेट लेने में कामयाब रहे थे. सबसे खास बात यह है कि अश्विन ने ऐसे समय अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन दिया जब टीम इंडिया को सीरीज में बराबरी करने के लिए इसकी सख्त जरूरत थी.
उमेश यादव : जीतते जा रहे कप्तान कोहली का भरोसा
तेज गेंदबाज उमेश यादव को कुछ समय पहले तक ऐसा गेंदबाज माना जा सकता था जो गति और स्विंग के बावजूद अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पाया, लेकिन न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे कप्तान कोहली के लिए नंबर वन तेज गेंदबाज साबित हो रहे हैं. बेंगलुरू टेस्ट में उमेश की शानदार गेंदबाजी का अंदाज उनके विकेट की संख्या से नहीं लगाया जा सकता. उमेश ने भले ही पहली पारी में एक और दूसरी पारी में दो विकेट लिए लेकिन अपनी गेंदों की गति और स्विंग से वे विपक्षी बल्लेबाजों के लिए परेशानी का कारण बने रहे. दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ का विकेट उन्होंने ही लिया
रवींद्र जडेजा: कम ओवर में ज्यादा रिजल्ट
पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई पारी अगर 276 रन पर सिमट पाई तो इसका बहुत कुछ योगदान बाएं हाथ के लेग स्पिनर रवींद्र जडेजा को जाता है. जडेजा ने पारी में महज 63 रन देकर छह विकेट लिया जो कि उनका दूसरा सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी विश्लेषण रहा. खासबात यह है कि इस दौरान जड्डू ने पारी के चारों रेगुलर बॉलर्स में सबसे कम ओवर फेंके. उन्होंने 21.4 ओर में यह सफलताएं हासिल कीं. यहां तक कि तेज गेंदबाजों ईशांत शर्मा और उमेश यादव ने भी पहली पारी में उनसे ज्यादा ओवर फेंके थे. पहली पारी में टीम इंडिया के सबसे कामयाब बॉलर जडेजा को कम ओवर दिए जाने को लेकर सवाल भी उठे थे. आश्चर्यजनक रूप से ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में भी कप्तान विराट कोहली ने उन्हें 13वें ओवर में ही आक्रमण पर लगाया. जडेजा ने दूसरी पारी में भी एक विकेट ले लिया.
लोकेश राहुल: दोनों पारियों में अर्धशतक
ऑस्ट्रेलियाई टीम के ओपनर डेविड वॉर्नर से हाल ही में विराट कोहली को छोड़कर टीम इंडिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के बारे में पूछा गया था तो उनका जवाब था-केएल (लोकेश) राहुल. बेंगलुरू टेस्ट में अपने प्रदर्शन से राहुल ने वॉर्नर को सही साबित कर दिया. दोनों पारियों में उन्होंने अर्धशतक जमाए. पहली पारी में तो टीम इंडिया के 189 रन से से लगभग आधे (90) रन उन्होंने अकेले बनाए. दूसरी पारी में भी राहुल ने 51 रनों का योगदान दिया. राहुल के खेल में अभी खटकने वाली बात यही लगती है कि वे जोखिम भरे शॉट्स खेलते हैं. इस कमी को दूर करके कर्नाटक का यह क्रिकेटर और बेहतर बल्लेबाज बनकर उभर सकता है. राहुल मैन ऑफ द मैच चुने गए.
चेतेश्वर पुजारा: टीम इंडिया की बने 'दीवार'
दूसरी पारी में टीम इंडिया को 274 रन तक पहुंचाकर मुकाबले में लाने में चेतेश्वर पुजारा की सबसे अहम भूमिका रही. सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज ने अजिंक्य रहाणे के साथ तीसरे दिन खेल के आखिरी सेशन ने कंगारू गेंदबाजों को सफलता से वंचित करके रखा. शुरुआती की मुश्किलों से उबरते हुए उन्होंने अपनी पारी को अच्छी तरह संवारा. पुजारा शतक पूरा नहीं कर सके लेकिन उन्होंने 92 रन बनाकर बेंगलुरू के मुश्किल विकेट पर अपनी 'क्लास' दिखाई. पुजारा ने रहाणे के साथ पांचवें विकेट के लिए 118 रन की साझेदारी निभाई जो गेंदबाजों के वर्चस्व वाली मौजूदा सीरीज की एकमात्र शतकीय साझेदारी है.
अजिंक्य रहाणे : कुंबले और कोहली का विश्वास काम आया
मुंबई के अजिंक्य रहाणे इस समय बल्ले से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में तिहरा शतक बनाने वाले करुण नायर को जगह देने के लिए उनके स्थान पर खतरा लगातार मंडरा रहा था, लेकिन कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले ने अजिंक्य पर भरोसा बरकरार रखा. इन दोनों का तर्क था कि करुण के तिहरे शतक के कारण अजिंक्य की दो साल की मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बांग्लादेश के खिलाफ एकमात्र टेस्ट और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अब तक के दोनों टेस्ट में उन्हें प्लेइंग इलेवन में मौका मिला. टीम इंडिया की दूसरी पारी में रहाणे ने 52 रन की जुझारू पारी खेली.
आर. अश्विन : दूसरी पारी में बने 'अबूझ पहेली'
पहली पारी में अगर रवींद्र जडेजा ने छह विकेट लिए थे तो दूसरी पारी में ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने 'छक्का' लगाया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में 41 रन देकर छह विकेट लिए. पहली पारी में भी अश्विन दो विकेट लेने में कामयाब रहे थे. सबसे खास बात यह है कि अश्विन ने ऐसे समय अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन दिया जब टीम इंडिया को सीरीज में बराबरी करने के लिए इसकी सख्त जरूरत थी.
उमेश यादव : जीतते जा रहे कप्तान कोहली का भरोसा
तेज गेंदबाज उमेश यादव को कुछ समय पहले तक ऐसा गेंदबाज माना जा सकता था जो गति और स्विंग के बावजूद अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पाया, लेकिन न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे कप्तान कोहली के लिए नंबर वन तेज गेंदबाज साबित हो रहे हैं. बेंगलुरू टेस्ट में उमेश की शानदार गेंदबाजी का अंदाज उनके विकेट की संख्या से नहीं लगाया जा सकता. उमेश ने भले ही पहली पारी में एक और दूसरी पारी में दो विकेट लिए लेकिन अपनी गेंदों की गति और स्विंग से वे विपक्षी बल्लेबाजों के लिए परेशानी का कारण बने रहे. दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ का विकेट उन्होंने ही लिया
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