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Ind vs Nz Final: टीम इंडिया को जीतनी है चैंपियंस ट्रॉफी, तो पाना होगा न्यूजीलैंड के इन 4 चैलेंजों से पार

Champions Trophy Final: टीम इंडिया ने सहजता से फाइनल में जगह तो बना ली है, लेकिन कीवियों के इन चैलेंजों से पार पाकर ही खिताब जीता जा सकता है

Ind vs Nz Final: टीम इंडिया को जीतनी है चैंपियंस ट्रॉफी, तो पाना होगा न्यूजीलैंड के इन 4 चैलेंजों से पार
ICC Champions Trophy Final: फाइनल मुकाबला बहुत ही कांटे की टक्कर होने जा रहा है
नई दिल्ली:

India vs New Zealand Final: चैंपियंस ट्रॉफी में बुधवार को न्यूजीलैंड ने दक्षिण अफ्रीका को 50 से हराकर मेगा इवेंट के फाइनल में टीम इंडिया से भिड़ने का टिकट हासिल कर लिया. खिताबी मुकाबला 9 मार्च को खेला जाएगा. निश्चित रूप से अभी तक टीम इंडिया का सफर बहुत ही यादगार रहा है. इसके तहत उसने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को मात देते देते हुए सभी मैचों में जीत दर्ज करते हुए फाइनल में जगह बनाई. इसमें फाइनल में पहुंचे कीवियों के खिलाफ भी जीत शामिल है. जाहिर है कि मनोवैज्ञानिक लाभ भारत के पास है, लेकिन खिताबी मुकाबला खिताबी ही होता है. और अगर भारत को टाइटल जितना है, तो उसे न्यूजीलैंड की कई चुनौतियों से पार पाना होगा होगा. चलिए आप उन  4 बड़े चैलेंजों के बारे में जान लीजिए, जिनसे पार पाए बिना भारतीयों का खिताब जीतना बहुत ही मुश्किल होगा.

1. रवींद्र रचिन से निपट पाएंगे?

स्पिनरों की मददगार पिच पर भारतीय स्पिनर कहर ढहा रहे हैं, तो अनुभवी मोहम्मद शमी ने भी अभी तक काम को बखूबी अंजाम  दिया है. लेकिन फाइनल मुकाबला कुछ ऐसा होता है कि फाइनल मैच एक तरफ, बाकी मैच एक तरफ. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक बनाने वाले रवींद्र रचिन भारतीय बॉलरों के लिए बड़ा चैलेंज हो चले हैं. भारतीय मूल का यह लेफ्टी अभी तक दो शतक मेगा इवेंट में जड़ चुका है. और उन्होंने कुल खेले 3 मैचों में दो शतकों से 75.33 के औसत से 226 रन बनाए हैं. रचिन बेन डकेट (227) के बाद दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं. 

2. मैट हेनरी का जवाब दे पाएगा टॉप ऑर्डर

लंबे कद का कीवी दाएं हत्था पेसर लीग मुकाबले में भारतीय टॉप ऑर्डर के होश उड़ा दिए ते. गिल ौर कोहली के पास हेनरी का कोई जवाब नहीं था, तो पुछल्ले भी औंधे मुंह गिरे और मैट हेनरी ने 8 ओवर में 5 विकेट चटकाए. फिलहाल हेनरी फाइनल से पहले तक 4 मैचों से 9 विकेट चटकाकर चैंपियंस ट्रॉफी के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज बने हुए हैं. और खिताबी जंग में वह भारत के लिए एक तरह से रवींद्र रचिन जितना बड़ा ही चैलैंज हैं, जिससे भारत को निपटने का रास्ता ढूंढना होगा


3. सैंटनर-ब्रेसवेल का कोटा 

यह सही है कि भारत के पास स्पिनरों की भरमार है. और वह इस मामले में कीवियों के मुकाबले एडवांटेज की स्थिति में हैं, लेकिन मिचेल सैंटनर हालिया महीनों में भारत के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द साबित हुए हैं. सैंटनर के खिलाफ रन बनाना खासा मुश्किल है, तो उनके खिलाफ विकेट न देना भी बड़ा चैलेंज है. यह लेफ्टी चार मैचों में 7 विकेट चटका चुका है, तो ऑफ स्पिनर ब्रेसवेल भी इतने ही मैचों में 6 विकेट लेकर सैंटनर का कंधे से कंधा मिलाकर पूरा-पूरा साथ दे रहे हैं. ऐसे में भारतीय बल्लेबाजों के लिए इनके 20 ओवरों के कोटे से पार पाना तीसरा बड़ा चैलेंज होने जा  रहा है. 

4. विलियमसन ने समय पर पकड़ ली फॉर्म

पूर्व कप्तान विलियमसन लीग मैचों में ज्यादा नहीं चले थे, लेकिन खिताबी जंग से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेमीफाइनल में शतक बनाकर उन्होंने एकदम सटीक समय पर फॉर्म हासिल कर ली. और यहां से दिन विशेष पर या खिताबी जंग में विलियमसन कितने खतरनाक हो सकते हैं,  ये बच्चा-बच्चा जानता है. निश्चित तौर पर भारतीय बॉलिंग स्टाफ को इस चैलेंज से पार पाने के लिए "प्लान विशेष" तैयार करना होगा. 

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