पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल का मानना है कि भारी बल्लों के उपयोग का चलन और सीमित ओवरों में सीमा रेखा छोटी होने के कारण यह खेल फिर से बल्लेबाजों के अनुकूल बन गया है और गेंदबाज 'विलुप्त प्रजाति' बन सकते हैं।
चैपल ने कहा कि चौके और छक्के मनोरंजन के लिए अधिक डॉलर ला सकते हैं, लेकिन यह खेल के लिए अच्छा नहीं है, क्योंकि गेंदबाज अपनी हदों को पार कर सकते हैं तथा बॉडीलाइन और चकिंग जैसे तरीके अपना सकते हैं।
चैपल ने ईएसपीएनक्रिकइन्फो में अपने कॉलम में लिखा है, यदि भारी और बेहतर बल्ले तथा छोटी बाउंड्रीज का चलन जारी रहा, तो हो सकता है कि छोटे प्रारूपों में गेंदबाज विलुप्त प्रजाति बन जाए। इस चलन के कारण चौकों और विशेषकर छक्कों की तादाद में वृद्धि हो रही है। इसे भले ही डॉलर के लिए खेले जा रहे मैच के अनुकूल माना जा सकता है, लेकिन लंबी अवधि में इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
उन्होंने कहा, गेंदबाजों को छोटे प्रारूपों में सहारे की जरूरत है और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वे विद्रोह पर उतर जाएंगे जैसे कि पहले भी हो चुका है। वे बॉडीलाइन और चकिंग जैसे तरीके अपना सकते हैं। यदि यही चलन रहा तो आज नहीं तो कल गेंदबाज जंग का ऐलान कर देंगे।
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