नई दिल्ली : वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के गेंदबाज़ धमाल कर रहे हैं टीम इंडिया कमाल कर रही है और कप्तान एमएस धोनी इन दिनों सातवें आसमान की सैर कर रहे हैं। शेन वॉर्न जैसे दिग्गज कह चुके हैं कि वर्ल्ड कप में ब्रेंडन मैक्कुलम और एमएस धोनी के अलावा बाक़ी कप्तान फीके नज़र आ रहे हैं। वर्ल्ड कप विजेता कप्तान कपिल देव भी खुलकर कहते हैं कि पहले उन्हें धोनी की कप्तानी कुछ ख़ास पसंद नहीं थी। लेकिन अब उन्हें धोनी का जोश और अंदाज़ खूब भा रहा है।
धोनी अपनी इस कामयाबी का श्रेय एक तरह से गेंदबाज़ों को देते हैं। प्रेस कांफ़्रेंस में उनसे पूछा जाता है कि क्या ये उनकी बेहतरीन कप्तानी का दौर है जब वो गेंदबाज़ी के विकल्प का बेहतरीन इस्तेमाल कर रहे हैं। धोनी कहते हैं, 'नहीं मैं तब बेहतरीन हूं जब गेंदबाज़ अच्छी गेंदबाज़ी करते हैं।'
टीम इंडिया के गेंदबाज़ मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई दौरे से पहले टीम की कमज़ोर कड़ी के तौर पर देखे जा रहे थे। टेस्ट में बुरे प्रदर्शन के बाद उनकी जमकर आलोचना हुई। यही नहीं गेंदबाज़ों के प्रदर्शन की वजह से टूर्नामेंट से पहले बहुत काम जानकार डिफेंडिंग चैंपियन टीम इंडिया को टूर्नामेंट का मज़बूत दावेदार मान रहे थे।
लेकिन मो. शमी (मैच-4, विकेट-12, औसत-11.75, इकॉनमी-4.14), आर अश्विन (मैच-5, विकेट-11, औसत-16.63, इकॉनमी-3.89), उमेश यादव (मैच-5, विकेट-7, औसत-25, इकॉनमी-4.79), मोहित शर्मा (मैच-5, विकेट-7, औसत-22.14, इकॉनमी-4.30) और (रविन्द्र जडेजा: मैच-5, विकेट-7, औसत-26.85, इकॉनमी-4.86) ने अपने प्रदर्शन से टीम की काया बदल दी है। सुरेश रैना और भुवनेश्वर के ख़ाते में एक-एक विकेट हैं लेकिन ये भी वक्त पर अहम साबित हैं।
वो कहते हैं कि उनके पास योजना तो है लेकिन अगर गेंदबाज़ योजना के मुताबिक सटीक गेंदबाज़ी करते हैं तभी टीम अच्छा प्रदर्शन करती है। वो ये भी कहते हैं कि अब अगर टीम उप महाद्वीप के बाहर टेस्ट सीरीज़ के लिए जाएगी तो गेंदबाज़ों को याद रखना होगा कि उन्हें सटीक लाइन और लेंथ पर ही गेंद डालनी है। ऐसा करके ही वो दबाव बना सकते हैं। इससे टीम की मुश्किलें बहुत हद तक कम हो जाएगी। इस टूर्नामेंट में टीम जितना ऊपर जाएगी धोनी के आलोचक उतना ही उनके फ़ैन्स बनते नज़र आएंगे।
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