
चोट किसी भी खिलाड़ी को लग सकती है लेकिन पिछले कुछ समय से भारतीय क्रिकेट टीम (Team India) इससे ज्यादा प्रभावित होती दिख रही है. बांग्लादेश के खिलाफ बुधवार से शुरू हुई टेस्ट सीरीज में रोहित शर्मा (Rohit Sharma) अंगूठे की चोट के कारण पहला टेस्ट (IND vs BAN) से बाहर हो गए. तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) और ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) भी इस सीरीज से बाहर हैं क्योंकि वे अभी तक अपने कंधे और घुटने की चोट से पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं. ये तीन खिलाड़ियों की चोटें कोई अपवाद नहीं हैं. हाल ही में जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumah) चोट के कारण टी20 वर्ल्ड कप से चूक गए थे, जिसका असर भारतीय गेंदबाजी पर साफ दिखा.
कई विशेषज्ञों ने कहा है कि इतने सारे खिलाड़ियों के चोटिल होने के पीछे भारत का व्यस्त कार्यक्रम एक कारण है. जबकि कुछ ने कहा है कि वर्कलोड को मैनेज करने के लिए प्रत्येक फॉर्मेट में विशेषज्ञ खिलाड़ियों का उपयोग किया जाना चाहिए. अब भारतीय टीम (Team India) के पूर्व स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच रामजी श्रीनिवासन, जो 2011 वर्ल्ड कप विजेता अभियान के दौरान एम एस धोनी (MS Dhoni) की टीम के साथ थे, ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की है.
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श्रीनिवासन ने इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखा, "प्रत्येक फॉर्मेट के लिए विशेषज्ञों को चुनना एक निर्णय है जिसे चयनकर्ताओं और कोचिंग स्टाफ द्वारा लिया जाना है. लेकिन अगर चयनकर्ता यह तय करते हैं कि एक खिलाड़ी तीनों फॉर्मेट में खेलने जा रहा है, तो यह स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच का कर्तव्य है कि वह खिलाड़ी को फिट रखें. खिलाड़ियों का तीनों फॉर्मेट में खेलने में कुछ भी गलत नहीं है. मत भूलो, 10 साल पहले, आपके पास एमएस धोनी, युवराज सिंह, इरफान पठान, हरभजन सिंह, जहीर खान तीनों फॉर्मेट में थे. खिलाड़ी समझ गए उनका शरीर और वे यह जानने के लिए काफी स्मार्ट थे कि उनके लिए क्या काम करता है. और उन्हें S&C (स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग) का आँख बंद करके पालन नहीं करना चाहिए. उन्हें सवाल पूछना चाहिए”.
उन्होंने कहा, "तीन फॉर्मेट को खेलना खेल का विकास है और जहां तक फिटनेस की बात है तो सब कुछ संभव है. लेकिन उसके लिए टेस्टिंग, स्क्रीनिंग, ट्रेनिंग, योजना और यात्रा और डाइट शेड्यूल को उसी के अनुसार अंतिम रूप देना होगा. ऐसे खिलाड़ी होंगे जो तीनों प्रारूपों को खेलने के लिए तैयार होंगे और केवल कौशल ही इसे निर्धारित करना चाहिए, फिटनेस नहीं. यदि कोई ऑल-फॉर्मेट खिलाड़ी है, तो उसे उसी के अनुसार ट्रेन किया जाना चाहिए. और जैसे की एक खिलाड़ी की उम्र बढ़ती, उसे उस बात का भी ख्याल रखना होगा. विराट कोहली अब उस प्रक्रिया का पालन नहीं कर सकते जो वह चार साल पहले कर रहे थे."
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