बॉल टैम्परिंग मामले में स्टीव स्मिथ को ऑस्ट्रेलिया टीम की कप्तानी गंवानी पड़ी है (फाइल फोटो)
क्रिकेट के खेल में बॉल टेम्परिंग (गेंद के साथ छेड़छाड़) का मामला इस समय सुर्खियों में है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में 'सामूहिक' तरीके से बॉल टैम्परिंग के मामले में ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम की हर कहीं आलोचना हो रही है. इस टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम की ओर से बॉल टैम्परिंग की कोशिश कैमरे में कैद होने और मामले को लेकर स्टीव स्मिथ की स्वीकारोक्ति के बाद ऑस्ट्रेलिया के इस कद्दावर बल्लेबाज को न केवल कप्तानी गंवानी पड़ी है बल्कि आईसीसी ने उन्हें एक मैच के लिए बैन कर दिया है. बॉल टैम्परिंग को लेकर स्मिथ पर लाइफ बैन की तलवार भी लटक रही है. बॉल टैम्परिंग की बात करें तो 70 के दशक से इस बारे में शिकायत मिलनी शुरू की. गेंद के एक हिस्से को किसी खुरदुरी चीज से खराब करके गेंदबाज यह काम करते हैं. इस अनैतिक तरीके से गेंद की शक्ल बिगाड़ने से गेंद अधिक स्विंग होने लगती है और गेंदबाजों को अतिरिक्त फायदा मिलता है. इन तरीकों से होती रही है बॉल टैम्परिंग
जेंटलमैन गेम कहे जाने वाले क्रिकेट में कई दशकों से खिलाड़ियों पर गेंद से छेडखानी के आरोप लगते रहे हैं.केपटाउन टेस्ट के दौरान शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के कैमरन बैनक्रॉफ्ट को पीले रंग की पट्टी से गेंद को रगड़ने का दोषी पाया गया. हालांकि उनकी यह हरकत मैदान में मौजूद कैमरामैन ऑस्कर की नजरों से नहीं बच पाई. कैमरे ने उन्हें गेंद से छेड़खानी की कोशिश करते पकड़ लिया और इस मामले ने तूल पकड़ लिया. इस घटना से पूर्व भी मैदान पर खिलाड़ियों को अपने दांत, पैंट की जिप, मिट्टी और कोल्ड ड्रिंक की बॉटल्स के ढक्कन जैसी चीजों से बॉल टैम्परिंग करते हुए पकड़ा जा चुका है. नियमों के मुताबिक खिलाड़ी गेंद में चमक लाने के लिए पसीना या लार जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर सकते है लेकिन कोई कृत्रिम पदार्थ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इन खिलाड़ियों पर लग चुका बॉल टैम्परिंग का आरोप
गेंद से छेड़छाड़ का पहला आरोप 70 के दशक के मध्य में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जॉन लीवर पर लगा था. भारतीय टीम के उस समय के कप्तान कप्तान बिशन सिंह बेदी ने लीवर पर 1976 के भारतीय दौरे के दौरान गेंद पर वैसलीन लगाने का आरोप लगाया था. जिसके बाद बेदी ब्रिटिश मीडिया के निशाने पर आ गए थे. वैसे, बॉल टैम्परिंग के मामले में सबसे पहले 2000 में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज वकार यूनुस को निलंबित किया गया था. यूनुस और पाकिस्तान के एक अन्य दिग्गज तेज गेंदबाज वसीम अकरम पर 1992 के दौरे पर पर रिवर्स स्विंग के लिए गेंद से छेड़छाड़ का आरोप लग चुका है. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल एथरटन भी जेब में रखी मिट्टी की मदद से गेंद से छेड़छाड़ के मामले में फंस वुके हैं. एथरटन ने उस समय अपने बचाव में कहा था कि उन्होंने हाथ सुखाने के लिए मिट्टी रखी थी लेकिन फिर भी उन पर 2000 पाउंड का जुर्माना लगा था. कुछ ऐसे भी खिलाड़ी है जिन्होंने करियर खत्म होने के बाद गेंद से छेड़छाड़ की बात स्वीकार की. इसमें इंग्लैंड के मार्क्स ट्रेस्कोटिक शामिल हैं, जिन्होंने अपनी किताब में 2005 में एशेज सीरीज में मिंट से गेंद चमकाने की बात स्वीकार की थी. पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी भी कैमरे की नजर से गेंद से छेड़छाड करते पकड़े गए जिसमें उन्हें गेंद को दांत से काटते हुए देखा गया. इसके बाद उनपर दो मैचों का प्रतिबंध लगा था. दक्षिण अफ्रीका के मौजूदा कप्तान फाफ डु प्लेसिस भी दो बार बॉल टैम्परिंग की कोशिश में जुर्माना झेल चुके हैं. वर्ष 2006 में ओवल में इंग्लैंड के साथ खेले जा रहे मैच में पाकिस्तान की टीम पर बॉल टेंपरिंग के आरोप लगे थे, जिसके विरोध में पाकिस्तान टीम ने अपने कप्तान इंजमाम उल हक की अगुवाई में मैच छोड़ दिया था.
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भारतीय खिलाड़ियों के लिहाज से बात करें तो देश के दो दिग्गज खिलाड़ियों सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ पर भी बॉल टैम्परिंग का आरोप लग चुका है. इसके लिए सचिन को एक मैच से सस्पेंड कर दिया गया था. यह बात 2001 की है, जब भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच टेस्ट सीरीज चल रही थी. हालांकि बाद में तेंदुलकर पर लगा प्रतिबंध रद्द कर दिया गया था. वर्ष 2004 में भारतीय टीम के जिम्बाब्वे दौरे में द्रविड़ पर मिंट (एक तरह की टॉफी) से गेंद को चमकाने का आरोप लगा था. द्रविड़ पर इसके लिए जुर्माना लगाया गया था. (इनपुट: एजेंसी)
जेंटलमैन गेम कहे जाने वाले क्रिकेट में कई दशकों से खिलाड़ियों पर गेंद से छेडखानी के आरोप लगते रहे हैं.केपटाउन टेस्ट के दौरान शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के कैमरन बैनक्रॉफ्ट को पीले रंग की पट्टी से गेंद को रगड़ने का दोषी पाया गया. हालांकि उनकी यह हरकत मैदान में मौजूद कैमरामैन ऑस्कर की नजरों से नहीं बच पाई. कैमरे ने उन्हें गेंद से छेड़खानी की कोशिश करते पकड़ लिया और इस मामले ने तूल पकड़ लिया. इस घटना से पूर्व भी मैदान पर खिलाड़ियों को अपने दांत, पैंट की जिप, मिट्टी और कोल्ड ड्रिंक की बॉटल्स के ढक्कन जैसी चीजों से बॉल टैम्परिंग करते हुए पकड़ा जा चुका है. नियमों के मुताबिक खिलाड़ी गेंद में चमक लाने के लिए पसीना या लार जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर सकते है लेकिन कोई कृत्रिम पदार्थ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
गेंद से छेड़छाड़ का पहला आरोप 70 के दशक के मध्य में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जॉन लीवर पर लगा था. भारतीय टीम के उस समय के कप्तान कप्तान बिशन सिंह बेदी ने लीवर पर 1976 के भारतीय दौरे के दौरान गेंद पर वैसलीन लगाने का आरोप लगाया था. जिसके बाद बेदी ब्रिटिश मीडिया के निशाने पर आ गए थे. वैसे, बॉल टैम्परिंग के मामले में सबसे पहले 2000 में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज वकार यूनुस को निलंबित किया गया था. यूनुस और पाकिस्तान के एक अन्य दिग्गज तेज गेंदबाज वसीम अकरम पर 1992 के दौरे पर पर रिवर्स स्विंग के लिए गेंद से छेड़छाड़ का आरोप लग चुका है.
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भारतीय खिलाड़ियों के लिहाज से बात करें तो देश के दो दिग्गज खिलाड़ियों सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ पर भी बॉल टैम्परिंग का आरोप लग चुका है. इसके लिए सचिन को एक मैच से सस्पेंड कर दिया गया था. यह बात 2001 की है, जब भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच टेस्ट सीरीज चल रही थी. हालांकि बाद में तेंदुलकर पर लगा प्रतिबंध रद्द कर दिया गया था. वर्ष 2004 में भारतीय टीम के जिम्बाब्वे दौरे में द्रविड़ पर मिंट (एक तरह की टॉफी) से गेंद को चमकाने का आरोप लगा था. द्रविड़ पर इसके लिए जुर्माना लगाया गया था. (इनपुट: एजेंसी)
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