अब यह बात को देश के तमाम क्रिकेट फैंस जानते हैं कि टीम इंडिया के ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) और उनके बड़े भाई क्रुणाल पांड्या के बचपन के दिन कितने ज्यादा संघर्ष से भरे रहे हैं. कैसे उनके पिता ने दोनों को क्रिकेटर बनाने के लिए अपना मूल शहर छोड़कर बड़ौदा में बसे, कैसे दोनों भाई संघर्ष के दिनों में मैगी खाकर गुजारा किया करते थे. दोनों के संघर्ष के दिनों अनगिनत कहानियां गाहे-बेगाहे सामने आती रही हैं. इन संघर्षों को प्रमाणित करता हुए हार्दिक सोशल मीडिया पर जोर-शोर से वायरल हो रहा है, जिसमें पांड्या इन दिनों एक टेनिस बॉल सेलेक्टर का शुक्रिया अदा कर रहे है. वीडियो में पांड्या बता रहे हैं कि कैसे उन दिनों उन्हें मैच फीस के रूप में चार सौ रुपये मिलते थे.
अपने युवा दिनों में पांड्या बंधु गुजरात के दूर-दराज के गांवों में लेदर और टेनिस बॉल टूर्नामेंट खेलने जाया करते थे. इन मैचों में पांड्या को प्रति मैच चार सौ से लेकर पांच सौ रुपये मिलते थे. और हार्दिक ने इस बात को स्वीकार किया कि इन मैचों की फीस से उन्हें शुरुआती संघर्ष से निपटने में बहुत ज्यादा मदद मिली.
यह वीडियो पांड्या की विनम्रता को दर्शाता है, जिसमें हार्दिक संघर्ष के दिनों को याद कर रहे हैं. साथ ही, वह टेनिस-बॉल सेलेक्टर की भूमिका को भी स्वीकार करते हैं, जिसने उनकी क्षमता में भरोसा जताया. जिस सेलेक्टर का पांड्या ने शुक्रिया अदा किया, उन्होंने टीम इंडिया के ऑलराउंडर के खेल के प्रति जुनून को बरकरार रखने में अहम भूमिका निभाई.
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