हरभजन सिंह के ज्यादा एग्रेसिव होने पर कुंबले हमेशा उन्हें शांत करते थे (फाइल फोटो : AFP)
नई दिल्ली:
एक समय टीम इंडिया में अनिल कुंबले और हरभजन सिंह की स्पिन दुकड़ी का बोलबाला था। खासतौर पर भारतीय विकेट पर जब यह अलग-अलग छोर से मोर्चा संभालते थे, तो बल्लेबाजों का टिकना मुश्किल हो जाता था। लंबे समय तक साथ खेलने के कारण भला भज्जी से अधिक कुंबले को कौन समझ सकता है। अब जब कुंबले टीम इंडिया के कोच नियुक्त किए गए हैं तो उनकी टिप्प्णी आना स्वाभाविक था। हरभजन का मानना है कि टेस्ट कप्तान विराट कोहली को इस लेग स्पिनर के रूप में एक आदर्श मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक मिलेगा और ये दोनों मिलकर भारतीय क्रिकेट को नए स्तर पर ले जाएंगे। भज्जी ने यह भी कहा कि बल्लेबाजों का तोड़ निकालने में कुंबले का कोई सानी नहीं है। वह रणनीति बनाने में माहिर हैं।
हेडन ने किया परेशान, तो बनाई खास रणनीति
हरभजन ने कुंबले की रणनीतिक समझ का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने किस तरह से 2004 -05 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में मैथ्यू हेडन का तोड़ निकाला और इसका मुख्य श्रेय कुंबले की रणनीति को जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘2001 की सीरीज के दौरान हेडन ने 549 रन बनाए थे। वह यहां तक कि ऑफ स्टंप से बाहर की गेंद को भी स्वीप कर देते थे। 2004-05 की सीरीज के दौरान भले ही हम 1-2 से हार गए, लेकिन हमने हेडन की गुत्थी सुलझा दी और उसने 250 से कम (आठ पारियों में 244 रन) रन बनाए। वह अनिल भाई थे जिन्होंने मुझे बताया था कि हेडन को किन क्षेत्र में गेंदबाजी करनी है। मैंने उसे तीन बार तथा अनिल भाई और मुरली कार्तिक ने एक एक बार आउट किया।’’
साबित होंगे विराट के आदर्श मित्र
हरभजन ने पीटीआई से कहा, ‘‘अनिल कुंबले हमेशा टेस्ट क्रिकेट में भारत के सर्वकालिक महान मैच विजेता बने रहेंगे और वह इस टीम में भी जीत की भूख जगाएंगे। विराट को उनसे काफी कुछ सीखने को मिलेगा। विराट को ड्रॉ में विश्वास नहीं है और अनिल भाई भी ऐसा नहीं चाहते। वह विराट के आदर्श मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक होंगे।’’
खिलाड़ी सीखेंगे टेस्ट जीतने की कला
कुंबले के साथ लगभग एक दशक तक खेलने वाले हरभजन ने सीधे शब्दों में कहा कि कुंबले टीम में क्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अविश्वसनीय कार्यप्रणाली और अनुशासन। इससे भी बढ़कर विरोधी बल्लेबाजों के खिलाफ उनकी कुशल रणनीति बनाने की क्षमता। मेरा मानना है कि अनिल भाई के साथ खिलाड़ी चौथे और पांचवें दिन टेस्ट मैच जीतने की कला सीखेंगे। वह इस गलतफहमी को बदल देंगे कि भारतीय स्पिनरों को घरेलू सरजमीं पर टेस्ट मैच जीतने के लिए अनुकूल विकेट चाहिए।’’
कोचिंग की डिग्री मायने नहीं रखती
हरभजन का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग डिग्री बहुत मायने नहीं रखती है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताइये कि कोच की भूमिका क्या होती है? इस स्तर पर उसकी भूमिका रणनीति तैयार करने में कप्तान की मदद करना होता है। मुंबई इंडियन्स में वह मुझसे और लसिथ मलिंगा से बात करते थे, क्योंकि वह गेंदबाजी विभाग के अगुआ थे। हम उन्हें बताते थे कि हम क्या रणनीति बना रहे हैं और वह हमें फीडबैक देते थे। जब आपको वह फीडबैक मिलता था तब आपको पता चलता था कि उन्होंने अपना होमवर्क अच्छी तरह से किया था।’’
उनकी बुदि्धमता कमाल की
यह पूछे जाने पर कि कुंबले के साथ दूसरे छोर से सैकड़ों ओवर करने के बाद वह उन्हें कैसा गेंदबाज मानते हैं जिनके नाम पर 619 टेस्ट विकेट दर्ज हैं जबकि उनके पास शेन वॉर्न जैसी घातक गुगली और प्रभावशाली लेग ब्रेक नहीं थी? तो हरभजन ने जवाब दिया, ‘‘वह औसत बुद्धिमता से ऊपर थे। आप शब्दकोष में बुद्धिमता शब्द की जगह अनिल कुंबले को रख सकते हैं। एक गेंदबाज के रूप में उनकी सबसे बड़ी योग्यता गेंद के सिलाई वाले हिस्से को टप्पा करवाना था। वह 100 में से 95 बार ऐसा कर सकते थे। ऐसे में सपाट पिचों पर भी अनिल भाई को उछाल मिलती थी। मुझे नहीं लगता कि लेंथ के मामले में कोई अन्य भारतीय गेंदबाज में उनकी तरह निरतंरता थी।’’
हेडन ने किया परेशान, तो बनाई खास रणनीति
हरभजन ने कुंबले की रणनीतिक समझ का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने किस तरह से 2004 -05 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में मैथ्यू हेडन का तोड़ निकाला और इसका मुख्य श्रेय कुंबले की रणनीति को जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘2001 की सीरीज के दौरान हेडन ने 549 रन बनाए थे। वह यहां तक कि ऑफ स्टंप से बाहर की गेंद को भी स्वीप कर देते थे। 2004-05 की सीरीज के दौरान भले ही हम 1-2 से हार गए, लेकिन हमने हेडन की गुत्थी सुलझा दी और उसने 250 से कम (आठ पारियों में 244 रन) रन बनाए। वह अनिल भाई थे जिन्होंने मुझे बताया था कि हेडन को किन क्षेत्र में गेंदबाजी करनी है। मैंने उसे तीन बार तथा अनिल भाई और मुरली कार्तिक ने एक एक बार आउट किया।’’
साबित होंगे विराट के आदर्श मित्र
हरभजन ने पीटीआई से कहा, ‘‘अनिल कुंबले हमेशा टेस्ट क्रिकेट में भारत के सर्वकालिक महान मैच विजेता बने रहेंगे और वह इस टीम में भी जीत की भूख जगाएंगे। विराट को उनसे काफी कुछ सीखने को मिलेगा। विराट को ड्रॉ में विश्वास नहीं है और अनिल भाई भी ऐसा नहीं चाहते। वह विराट के आदर्श मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक होंगे।’’
खिलाड़ी सीखेंगे टेस्ट जीतने की कला
कुंबले के साथ लगभग एक दशक तक खेलने वाले हरभजन ने सीधे शब्दों में कहा कि कुंबले टीम में क्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अविश्वसनीय कार्यप्रणाली और अनुशासन। इससे भी बढ़कर विरोधी बल्लेबाजों के खिलाफ उनकी कुशल रणनीति बनाने की क्षमता। मेरा मानना है कि अनिल भाई के साथ खिलाड़ी चौथे और पांचवें दिन टेस्ट मैच जीतने की कला सीखेंगे। वह इस गलतफहमी को बदल देंगे कि भारतीय स्पिनरों को घरेलू सरजमीं पर टेस्ट मैच जीतने के लिए अनुकूल विकेट चाहिए।’’
कोचिंग की डिग्री मायने नहीं रखती
हरभजन का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग डिग्री बहुत मायने नहीं रखती है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताइये कि कोच की भूमिका क्या होती है? इस स्तर पर उसकी भूमिका रणनीति तैयार करने में कप्तान की मदद करना होता है। मुंबई इंडियन्स में वह मुझसे और लसिथ मलिंगा से बात करते थे, क्योंकि वह गेंदबाजी विभाग के अगुआ थे। हम उन्हें बताते थे कि हम क्या रणनीति बना रहे हैं और वह हमें फीडबैक देते थे। जब आपको वह फीडबैक मिलता था तब आपको पता चलता था कि उन्होंने अपना होमवर्क अच्छी तरह से किया था।’’
उनकी बुदि्धमता कमाल की
यह पूछे जाने पर कि कुंबले के साथ दूसरे छोर से सैकड़ों ओवर करने के बाद वह उन्हें कैसा गेंदबाज मानते हैं जिनके नाम पर 619 टेस्ट विकेट दर्ज हैं जबकि उनके पास शेन वॉर्न जैसी घातक गुगली और प्रभावशाली लेग ब्रेक नहीं थी? तो हरभजन ने जवाब दिया, ‘‘वह औसत बुद्धिमता से ऊपर थे। आप शब्दकोष में बुद्धिमता शब्द की जगह अनिल कुंबले को रख सकते हैं। एक गेंदबाज के रूप में उनकी सबसे बड़ी योग्यता गेंद के सिलाई वाले हिस्से को टप्पा करवाना था। वह 100 में से 95 बार ऐसा कर सकते थे। ऐसे में सपाट पिचों पर भी अनिल भाई को उछाल मिलती थी। मुझे नहीं लगता कि लेंथ के मामले में कोई अन्य भारतीय गेंदबाज में उनकी तरह निरतंरता थी।’’
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