नई दिल्ली:
अपने जमाने के दिग्गज ऑलराउंडरों कपिल देव और इमरान खान सहित छह पूर्व कप्तानों ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच जब मैच होते हैं तो खिलाड़ियों पर बहुत अधिक दबाव होता है लेकिन इनको महायुद्ध का नाम नहीं दिया जा सकता।
इन कप्तानों ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में चर्चा के दौरान कहा कि इन दोनों देशों के बीच आगामी शृंखला में जो भी टीम दबाव बेहतर तरीके से झेलेगी उसके जीतने की संभावना अधिक है।
इस चर्चा में भारत के तीन पूर्व कप्तानों कपिल, मोहम्मद अजहरूद्दीन और सौरव गांगुली तथा पाकिस्तान के पूर्व कप्तानों वसीम अकरम और वकार यूनिस ने भाग लिया। इस अवसर पर दर्शक दीर्घा में मौजूद इमरान ने भी कुछ सवालों के जवाब दिए।
कपिल ने कहा कि जब वह पहली बार 1978 में पाकिस्तान दौरे पर गए थे तो तब दोनों देशों के बीच मैच युद्ध जैसे लगे थे लेकिन अब हालात बदल गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अब जब महायुद्ध कहा जाता है तो दुख होता है। हमारे समय में ऐसा होता था जबकि हम सोचते थे कि इनकी जान निकाल देनी है लेकिन जब सौरव (गांगुली) की अगुवाई में भारतीय टीम (2004 में) पाकिस्तान दौरे पर गई थी तो तब माहौल एकदम बदला हुआ था।’’
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान ने कहा कि दोनों देशों के लोग परिपक्व हो गए हैं और केवल चार-पांच प्रतिशत लोग निहित स्वार्थों के लिए इसे जंग का रूप देते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब सौरव की टीम भारत आई तो हमारे देश के लोगों ने बड़े सभ्य तरीके से हार को स्वीकार किया था। अब लोगों में परिपक्वता आ चुकी है।’’
पूर्व भारतीय कप्तान गांगुली ने कहा कि दोनों देशों के बीच खेलने पर दबाव काफी होता है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले ज्यादा मैच नहीं होते थे। खिलाड़ियों पर दबाव होता था लेकिन जंग जैसी बात मैंने नहीं देखी। हां इतना जरूर कहूंगा कि पाकिस्तान के खिलाफ जीतकर बहुत अच्छा लगता था।’’
अजहरूद्दीन ने कहा कि यदि दोनों टीमों के बीच लगातार मैच होते रहते हैं तो फिर जंग जैसा शब्द खुद ही विलुप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मैं पाकिस्तान के खिलाफ खेला तो स्थिति बहुत तनावपूर्ण होती थी। लेकिन मुझे बहुत खुशी है कि दोनों देशों के बीच फिर से शृंखला शुरू हो रही है। सीरीज बंद नहीं होनी चाहिए। लगातार खेलने से माहौल सुधरेगा।’’
पूर्व पाकिस्तानी कप्तान अकरम ने कहा कि यदि खिलाड़ी दबाव भूलना भी चाहे तो दर्शक, क्रिकेट प्रेमी और मीडिया ऐसा नहीं करने देता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेाग कहते हैं कि एशेज में बहुत दबाव होता है लेकिन भारत पाकिस्तान के मैचों में जितना दबाव होता उतना किसी अन्य के साथ खेलने में नहीं होता है। हर खिलाड़ी इन मैचों में अच्छा प्रदर्शन करना चाहता है।’’
अकरम के पूर्व साथी यूनिस ने माना कि दोनों देशों के बीच बहुत कम क्रिकेट होने से स्थिति नाजुक बन जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझता कि इससे बढ़िया क्रिकेट दुनिया में नहीं खेली जाती लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ वषरें में बहुत कम क्रिकेट खेली गई। उम्मीद है कि अब ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि दोनों देश बराबर एक दूसरे के खिलाफ खेलते रहें।’’
उन्होंने कहा कि दबाव मीडिया की तरफ से अधिक बनता है। इस संदर्भ में उन्होंने भारत और पाकिस्तान के पिछले साल मोहाली में खेले गए विश्व कप सेमीफाइनल का जिक्र किया। वकार ने कहा, ‘‘मैं तब कोच था और मैच से चार दिन पहले इतना अधिक दबाव बना दिया गया था कि लड़के आपस में बात नहीं कर रहे थे।’’
इन कप्तानों ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में चर्चा के दौरान कहा कि इन दोनों देशों के बीच आगामी शृंखला में जो भी टीम दबाव बेहतर तरीके से झेलेगी उसके जीतने की संभावना अधिक है।
इस चर्चा में भारत के तीन पूर्व कप्तानों कपिल, मोहम्मद अजहरूद्दीन और सौरव गांगुली तथा पाकिस्तान के पूर्व कप्तानों वसीम अकरम और वकार यूनिस ने भाग लिया। इस अवसर पर दर्शक दीर्घा में मौजूद इमरान ने भी कुछ सवालों के जवाब दिए।
कपिल ने कहा कि जब वह पहली बार 1978 में पाकिस्तान दौरे पर गए थे तो तब दोनों देशों के बीच मैच युद्ध जैसे लगे थे लेकिन अब हालात बदल गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अब जब महायुद्ध कहा जाता है तो दुख होता है। हमारे समय में ऐसा होता था जबकि हम सोचते थे कि इनकी जान निकाल देनी है लेकिन जब सौरव (गांगुली) की अगुवाई में भारतीय टीम (2004 में) पाकिस्तान दौरे पर गई थी तो तब माहौल एकदम बदला हुआ था।’’
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान ने कहा कि दोनों देशों के लोग परिपक्व हो गए हैं और केवल चार-पांच प्रतिशत लोग निहित स्वार्थों के लिए इसे जंग का रूप देते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब सौरव की टीम भारत आई तो हमारे देश के लोगों ने बड़े सभ्य तरीके से हार को स्वीकार किया था। अब लोगों में परिपक्वता आ चुकी है।’’
पूर्व भारतीय कप्तान गांगुली ने कहा कि दोनों देशों के बीच खेलने पर दबाव काफी होता है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले ज्यादा मैच नहीं होते थे। खिलाड़ियों पर दबाव होता था लेकिन जंग जैसी बात मैंने नहीं देखी। हां इतना जरूर कहूंगा कि पाकिस्तान के खिलाफ जीतकर बहुत अच्छा लगता था।’’
अजहरूद्दीन ने कहा कि यदि दोनों टीमों के बीच लगातार मैच होते रहते हैं तो फिर जंग जैसा शब्द खुद ही विलुप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मैं पाकिस्तान के खिलाफ खेला तो स्थिति बहुत तनावपूर्ण होती थी। लेकिन मुझे बहुत खुशी है कि दोनों देशों के बीच फिर से शृंखला शुरू हो रही है। सीरीज बंद नहीं होनी चाहिए। लगातार खेलने से माहौल सुधरेगा।’’
पूर्व पाकिस्तानी कप्तान अकरम ने कहा कि यदि खिलाड़ी दबाव भूलना भी चाहे तो दर्शक, क्रिकेट प्रेमी और मीडिया ऐसा नहीं करने देता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेाग कहते हैं कि एशेज में बहुत दबाव होता है लेकिन भारत पाकिस्तान के मैचों में जितना दबाव होता उतना किसी अन्य के साथ खेलने में नहीं होता है। हर खिलाड़ी इन मैचों में अच्छा प्रदर्शन करना चाहता है।’’
अकरम के पूर्व साथी यूनिस ने माना कि दोनों देशों के बीच बहुत कम क्रिकेट होने से स्थिति नाजुक बन जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझता कि इससे बढ़िया क्रिकेट दुनिया में नहीं खेली जाती लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ वषरें में बहुत कम क्रिकेट खेली गई। उम्मीद है कि अब ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि दोनों देश बराबर एक दूसरे के खिलाफ खेलते रहें।’’
उन्होंने कहा कि दबाव मीडिया की तरफ से अधिक बनता है। इस संदर्भ में उन्होंने भारत और पाकिस्तान के पिछले साल मोहाली में खेले गए विश्व कप सेमीफाइनल का जिक्र किया। वकार ने कहा, ‘‘मैं तब कोच था और मैच से चार दिन पहले इतना अधिक दबाव बना दिया गया था कि लड़के आपस में बात नहीं कर रहे थे।’’
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