सुरेश रैना लंबे समय से आउट ऑफ फॉर्म चल रहे हैं (फाइल फोटो)
साल 2015 में मिल रही लगातार हार के बाद अब इंडिया के वनडे स्क्वाड को बदलने का समय आ गया है। वर्ल्ड कप से पहले ऑस्ट्रेलिया में हुई त्रिकोणीय सीरीज से हार का जो सिलिसिला शुरू हुआ है, वह रुकने का नाम नहीं ले रहा। इस दौर में तो बांग्लादेश जैसी 7वीं रैकिंग वाली टीम ने भी हमसे सीरीज जीत ली। ऐसे में अब चयनकर्ताओं को बिना किसी खास प्रदर्शन के टीम में कुंडली मारकर बैठे लगातार फ्लॉप हो रहे प्लेयर्स को बाहर का रास्ता दिखाना होगा।
कई खिलाड़ी कर रहे इंतजार
घरेलू क्रिकेट में कई खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद टीम में नहीं आ पा रहे हैं, क्योंकि कई ऐसे खिलाड़ी है, जो फरफॉर्म नहीं करने के बावजूद टीम में जमे हुए हैं। चयनकर्ताओं को किसी की पसंद विशेष का ध्यान रखकर प्रदर्शन को तवज्जो देनी चाहिए। टीम इंडिया की मुख्य स्ट्रेंथ बैटिंग और बॉलिंग पर फोकस किया जाना चाहिए। घरेलू स्तर पर मयंक अग्रवाल, मनीष पांडे, संजू सैमसन और गुरकीरत सिंह जैसे खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करके सीनियर टीम का दरवाजा खटखटा रहे हैं।
चयनकर्ताओं ने पहले भी ऐसा किया है। यहां तक कि उन्होंने युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे नामी खिलाड़ियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन इसमें धोनी का हाथ माना जाता रहा है। अब समय चयनकर्ताओं के खुद फैसला लेने का है। इस भरोसे पर मौका नहीं दिया जाना चाहिए कि संबंधित खिलाड़ी कहीं अगले मैच में परफॉर्म न कर जाएं।
ये हैं प्रदर्शन के बिना टीम में जमे हुए खिलाड़ी
सुरेश रैना : एक समय मिडिल ऑर्डर में टीम इंडिया की जान रहे रैना लंबे समय से परफॉर्म नहीं कर रहे हैं, लेकिन धोनी के खास होने के चलते टीम में बने हुए हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक मैच में उन्होंने फिफ्टी जरूर बनाई, लेकिन अन्य 4 मैचों में वे बिल्कुल ही फेल रहे। शॉर्ट पिच गेंद उनकी ऐसी कमजोरी बन गई है, जिससे वे उबर नहीं पा रहे हैं। अब बहुत हो चुका उनकी जगह किसी अन्य को मौका देना जरूरी है, क्योंकि 5वें नंबर पर स्ट्रोक प्लेयर का होना बेहद जरूरी है। ताकि स्लॉग ओवरों में तेजी से रन नहीं बना पाने की कमी को दूर किया जा सके।
मोहित शर्मा : लाइन-लेंथ का गेंदबाज माने जाने वाले इस मीडियम पेसर का हाल भी भुवी जैसा ही है। धोनी की पसंद के कारण लंबे समय से टीम में बने रहने के बावजूद मोहित प्रभावित नहीं कर सके। पिछले 10 मैचों में वे मात्र एक बार ही 3 विकेट ले पाए हैं, वह भी जिंबाब्वे के खिलाफ। इस बीच उनकी गेंदों पर खूब रन बने हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वर्तमान सीरीज में तो उनका हाल भुवी से भी बुरा रहा। भुवी की पिटाई तो हुई, लेकिन उन्हें दो मैचों में 3-3 विकेट मिले थे।
अक्षर पटेल : कैप्टन एमएस धोनी ने कहा था कि पटेल को बैटिंग ऑलराउंडर के रूप में शामिल किया गया है, जो रवींद्र जडेजा की जगह भरेंगे। पहले तो अक्षर ने बॉलिंग और बैटिंग दोनों में निराश किया था, लेकिन दक्षिण अफ्रीका दौरे के कुछ मैचों में स्पिनर फ्रेंडली पिच पर विकेट लेने में सफल रहे। फिर भी उन्हें 7वें नंबर पर बैटिंग को मजबूती देने के लिए टीम में रखा गया था। इसमें वे बुरी तरह विफल रहे। पटेल ने 22 वनडे में कुल 91 रन बनाए हैं, जिसमें 17 रन उनका बेस्ट स्कोर रहा। गेंदबाजी में उन्होंने 22 मैच में 28 विकेट लिए हैं।
भुवनेश्वर कुमार : इनकी महारत स्विंग बॉलिंग में रही है, लेकिन चोट के बाद वापसी करने के बाद तो जैसे उनकी स्विंग नदारद ही हो गई है। ऐसे में उनकी रफ्तार इतनी नहीं है कि वे स्विंग के बिना भी बल्लेबाजों परेशान कर सकें। खासतौर से बल्लेबाजी के लिए अनुकूल विकेट पर तो बिल्कुल भी नहीं। कुछ ऐसा ही हम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मुंबई वनडे में देख चुके हैं, जिसमें उन्होंने रन देने का शतक बना दिया। हालांकि वे समय-समय पर विकेट झटकते हैं, लेकिन इस बीच इतने रन लुटा देते हैं कि उसका कोई मतलब नहीं रह जाता। हमें कम रन देकर विकेट लेने वाला तेज गेंदबाज चाहिए।
स्टुअर्ट बिन्नी : चयनकर्ता रोजर बिन्नी के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी को ऑलराउंडर के रूप में शामिल किया गया था। बॉलिंग में तो उन्हें कुछ विकेट मिल भी गए, लेकिन बैटिंग में वे बुरी तरह फ्लॉप रहे। बस जिंबाब्वे के खिलाफ उन्होंने 77 रन की एक पारी खेली थी।
विराट और धोनी का प्रदर्शन भी ठीक नहीं
एमएस धोनी कप्तान और खिलाड़ी दोनों ही रूप में छवि के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। हालांकि उन्होंने रन बनाए हैं, लेकिन उनकी बैटिंग में अब वह दमखम नहीं दिखता, जो पहले था। तेज गेंदबाजों की गेंदों पर वे बड़ी हिट नहीं लगा पा रहे हैं। रबाडा, मॉर्कल और स्टेन ने उनकी खूब खबर ली है। इसके साथ ही वे सीरीज पर सीरीज हार रहे हैं। इससे टीम का मोरल नीचे जा रहा है। वर्ल्ड कप के बाद तो हम बांग्लादेश जैसी छोटी टीम के खिलाफ भी 1-2 से हार गए। ऐसे में धोनी के बारे में भी चयनकर्ताओं को सोचना होगा।
वनडे कप्तानी के दावेदार विराट कोहली का प्रदर्शन भी वनडे में उम्मीद के अनुरूप नहीं है। हालांकि टेस्ट में उन्होंने अच्छा परफॉर्म किया है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा सीरीज में उन्होंने एक शतक लगाया है, लेकिन बाकी मैचों में वे संघर्ष ही करते रहे। एक मैच में उन्होंने जीवनदान के सहारे 77 रन बनाए थे, लेकिन उनका स्ट्राइक रेट ठीक नहीं रहा। अब यह अलग बात है कि वे इस समय टीम इंडिया के स्तंभ हैं और संभव है कि नेतृत्व मिलने पर उनके प्रदर्शन में टेस्ट की तरह ही वनडे में भी निखार आ जाए।
कई खिलाड़ी कर रहे इंतजार
घरेलू क्रिकेट में कई खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद टीम में नहीं आ पा रहे हैं, क्योंकि कई ऐसे खिलाड़ी है, जो फरफॉर्म नहीं करने के बावजूद टीम में जमे हुए हैं। चयनकर्ताओं को किसी की पसंद विशेष का ध्यान रखकर प्रदर्शन को तवज्जो देनी चाहिए। टीम इंडिया की मुख्य स्ट्रेंथ बैटिंग और बॉलिंग पर फोकस किया जाना चाहिए। घरेलू स्तर पर मयंक अग्रवाल, मनीष पांडे, संजू सैमसन और गुरकीरत सिंह जैसे खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करके सीनियर टीम का दरवाजा खटखटा रहे हैं।
चयनकर्ताओं ने पहले भी ऐसा किया है। यहां तक कि उन्होंने युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे नामी खिलाड़ियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन इसमें धोनी का हाथ माना जाता रहा है। अब समय चयनकर्ताओं के खुद फैसला लेने का है। इस भरोसे पर मौका नहीं दिया जाना चाहिए कि संबंधित खिलाड़ी कहीं अगले मैच में परफॉर्म न कर जाएं।
ये हैं प्रदर्शन के बिना टीम में जमे हुए खिलाड़ी
सुरेश रैना : एक समय मिडिल ऑर्डर में टीम इंडिया की जान रहे रैना लंबे समय से परफॉर्म नहीं कर रहे हैं, लेकिन धोनी के खास होने के चलते टीम में बने हुए हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक मैच में उन्होंने फिफ्टी जरूर बनाई, लेकिन अन्य 4 मैचों में वे बिल्कुल ही फेल रहे। शॉर्ट पिच गेंद उनकी ऐसी कमजोरी बन गई है, जिससे वे उबर नहीं पा रहे हैं। अब बहुत हो चुका उनकी जगह किसी अन्य को मौका देना जरूरी है, क्योंकि 5वें नंबर पर स्ट्रोक प्लेयर का होना बेहद जरूरी है। ताकि स्लॉग ओवरों में तेजी से रन नहीं बना पाने की कमी को दूर किया जा सके।
मोहित शर्मा : लाइन-लेंथ का गेंदबाज माने जाने वाले इस मीडियम पेसर का हाल भी भुवी जैसा ही है। धोनी की पसंद के कारण लंबे समय से टीम में बने रहने के बावजूद मोहित प्रभावित नहीं कर सके। पिछले 10 मैचों में वे मात्र एक बार ही 3 विकेट ले पाए हैं, वह भी जिंबाब्वे के खिलाफ। इस बीच उनकी गेंदों पर खूब रन बने हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वर्तमान सीरीज में तो उनका हाल भुवी से भी बुरा रहा। भुवी की पिटाई तो हुई, लेकिन उन्हें दो मैचों में 3-3 विकेट मिले थे।
अक्षर पटेल : कैप्टन एमएस धोनी ने कहा था कि पटेल को बैटिंग ऑलराउंडर के रूप में शामिल किया गया है, जो रवींद्र जडेजा की जगह भरेंगे। पहले तो अक्षर ने बॉलिंग और बैटिंग दोनों में निराश किया था, लेकिन दक्षिण अफ्रीका दौरे के कुछ मैचों में स्पिनर फ्रेंडली पिच पर विकेट लेने में सफल रहे। फिर भी उन्हें 7वें नंबर पर बैटिंग को मजबूती देने के लिए टीम में रखा गया था। इसमें वे बुरी तरह विफल रहे। पटेल ने 22 वनडे में कुल 91 रन बनाए हैं, जिसमें 17 रन उनका बेस्ट स्कोर रहा। गेंदबाजी में उन्होंने 22 मैच में 28 विकेट लिए हैं।
भुवनेश्वर कुमार : इनकी महारत स्विंग बॉलिंग में रही है, लेकिन चोट के बाद वापसी करने के बाद तो जैसे उनकी स्विंग नदारद ही हो गई है। ऐसे में उनकी रफ्तार इतनी नहीं है कि वे स्विंग के बिना भी बल्लेबाजों परेशान कर सकें। खासतौर से बल्लेबाजी के लिए अनुकूल विकेट पर तो बिल्कुल भी नहीं। कुछ ऐसा ही हम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मुंबई वनडे में देख चुके हैं, जिसमें उन्होंने रन देने का शतक बना दिया। हालांकि वे समय-समय पर विकेट झटकते हैं, लेकिन इस बीच इतने रन लुटा देते हैं कि उसका कोई मतलब नहीं रह जाता। हमें कम रन देकर विकेट लेने वाला तेज गेंदबाज चाहिए।
स्टुअर्ट बिन्नी : चयनकर्ता रोजर बिन्नी के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी को ऑलराउंडर के रूप में शामिल किया गया था। बॉलिंग में तो उन्हें कुछ विकेट मिल भी गए, लेकिन बैटिंग में वे बुरी तरह फ्लॉप रहे। बस जिंबाब्वे के खिलाफ उन्होंने 77 रन की एक पारी खेली थी।
विराट और धोनी का प्रदर्शन भी ठीक नहीं
एमएस धोनी कप्तान और खिलाड़ी दोनों ही रूप में छवि के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। हालांकि उन्होंने रन बनाए हैं, लेकिन उनकी बैटिंग में अब वह दमखम नहीं दिखता, जो पहले था। तेज गेंदबाजों की गेंदों पर वे बड़ी हिट नहीं लगा पा रहे हैं। रबाडा, मॉर्कल और स्टेन ने उनकी खूब खबर ली है। इसके साथ ही वे सीरीज पर सीरीज हार रहे हैं। इससे टीम का मोरल नीचे जा रहा है। वर्ल्ड कप के बाद तो हम बांग्लादेश जैसी छोटी टीम के खिलाफ भी 1-2 से हार गए। ऐसे में धोनी के बारे में भी चयनकर्ताओं को सोचना होगा।
वनडे कप्तानी के दावेदार विराट कोहली का प्रदर्शन भी वनडे में उम्मीद के अनुरूप नहीं है। हालांकि टेस्ट में उन्होंने अच्छा परफॉर्म किया है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा सीरीज में उन्होंने एक शतक लगाया है, लेकिन बाकी मैचों में वे संघर्ष ही करते रहे। एक मैच में उन्होंने जीवनदान के सहारे 77 रन बनाए थे, लेकिन उनका स्ट्राइक रेट ठीक नहीं रहा। अब यह अलग बात है कि वे इस समय टीम इंडिया के स्तंभ हैं और संभव है कि नेतृत्व मिलने पर उनके प्रदर्शन में टेस्ट की तरह ही वनडे में भी निखार आ जाए।
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