
कोच चुनने वाली समिति में सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकरऔर वीवीएस लक्ष्मण शामिल थे (फाइल फोटो)
- प्रसन्ना बोले, समिति ने नाम का ऐलान करने में ज्यादा समय लिया
- सीएसी को कोचिंग स्टाफ में अतिरिक्त नामों को बाहर रखना था
- मैं नहीं जानता संजय बांगर बैटिंग कोच बने रहेंगे या नहीं
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प्रसन्ना ने कहा, "इस ड्रामे की कोई जरूरत नहीं थी. शास्त्री हमेशा से पहली पसंद थे." इस स्पिन दिग्गज ने कहा, "मैं सीएसी से निराश हूं. वह तीनों महान खिलाड़ी हैं उन्होंने कोच के नाम का ऐलान करने के लिए ज्यादा समय ले लिया. एक आम राय बनानी चाहिए थी. जो मैं पढ़ रहा हूं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह तीनों एक फैसले पर नहीं पहुंचे और यह सब अंतिम समय पर हुआ." सोमवार को कोच पद के लिए इंटरव्यू हुए थे. उस दिन गांगुली ने कहा था कि सीएसी को कोच के नाम का ऐलान करने के लिए कुछ दिनों का समय चाहिए क्योंकि वह कप्तान विराट कोहली से बात करने के बाद यह फैसला लेना चाहते हैं. गांगुली ने कहा था कि "कोहली को भी समझने की जरूरत है कि कोच किस तरह काम करता है."
प्रसन्ना ने कहा कि सीएसी को कोचिंग स्टाफ में अतिरिक्त नामों को बाहर रखना चाहिए था इससे शास्त्री टीम मैनेजर बनकर रह गए हैं और कोच सिर्फ नाम है. उन्होंने कहा, "उनका काम टीम प्रबंधन का होगा. कोच सिर्फ एक शब्द है. यह सिर्फ टीम में एक पद है. मेरी नजर में कोच की जरूरत नहीं थी." उन्होंने कहा, "सीएसी जहीर और राहुल को और बेहतर पद दे सकती थी. मैं नहीं जानता कि संजय बांगर बल्लेबाजी कोच बने रहेंगे या नहीं. जो काम अंत में उन्होंने किया है वो काम बीसीसीआई भी कर सकती थी. फिर सीएसी का क्या जरूरत ?" प्रसन्ना ने कहा कि कप्तान को कोच चुनने का अधिकार होना चाहिए क्योंकि अंत में टीम का नेतृत्व उसी को करना है. उन्होंने कहा, "टीम किस तरह खेलेगी, कप्तान पर इस बात की जिम्मेदारी होती है. वह इसके लिए जिम्मेदार होता है. मैदान पर वही फैसले लेता है, इसलिए उसकी बात सुननी चाहिए."
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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