
इस साल बीसीसाआई ने दलीप ट्रॉफी के पुराने फॉर्मेट से किनारा करते हुए नए तरीके से आयोजित किया था. पिछले साल तक यह टूर्नामेंट क्षेत्रीय आधार पर होता रहा था, लेकिन इस साल इसके लिए चार टीमें; भारत ए, बी, सी डी की भागीदारी से टूर्नामेंट का आयोजन किया गया, लेकिन अगले साल दलीप ट्रॉफी पुराने फॉर्मेट में लौट सकती है. आम तौर पर दलीप ट्रॉफी में छह टीमें पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, सेंट्रल और नॉर्थ-ईस्ट टीमें हिस्सा लेती रही हैं. इन टीमों का चयन क्षेत्र में आने वाली रणजी ट्रॉफी में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर होता है. और अगले साल इसी क्षेत्रीय आधार पर फिर से दलीप ट्रॉफी का आयोजन हो सकता है.
इस साल हुए दलीप ट्रॉफी में रोहित, विराट और बुमराह सहित कुछ को छोड़कर ज्यादातर खिलाड़ियों ने बहुत ही जोर-शोर से हिस्सा लिया. हर खिलाड़ी दलीप ट्रॉफी मैचों के जरिए सेलेक्टरों को प्रभावित करने का पूरा प्रयास किया. खासकर ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले पेसरों ने जबर्दस्त छाप छोड़ी. आकाश दीप पहले राउंड की असाधारण प्रदर्शन के बाद ही टीम इंडिया में चले गए, तो टूर्नामेंट खत्म होते-होते कई खिलाड़ियों ने गजब की छाप छोड़ी, लेकिन इसके बावजूद कई राज्य इकाइयों को यह फॉर्मेट पसंद नहीं आया
बीसीसीआई की वार्षिक आम बैठक में एक राज्य के अधिकारी ने कहा, "इस साल नए फॉर्मेट में आयोजित हुए टूर्नामेंट में खिलाड़ियों को सही तरह से प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला.पारंपरिक रूप से क्षेत्रीय आधार पर आयोजित होने वाला टूर्नामेंट खिलाड़ियों को कहीं ज्यादा अवसर प्रदान करता है. और हमने यह बात एजीएम में मुखरता के साथ उठाई."
इस वजह से पैदा हुआ था विवाद
दरअसल सेलेक्टरों के चार टीमें चुनने के बाद तब विवाद हुआ, जब रिंकू सिंह जैसे खिलाड़ी को सेलक्टर्स एक भी टीम में जगह प्रदान नहीं कर सके थे. वैसे रिंकू ही नहीं, बल्कि अजिंक्य रहाणए, अभिषेक शर्मा, वेंकटेश अय्यर, पृथ्वी शॉ और संजू सैमसन भी ऐसे खिलाड़ी रहे, जिन्हें चारों में से किसी एक टीम में जगह नहीं मिली थी. खिलाड़ियों में खासा रोष था और उन्होंने इसकी शिकायत राज्य एसोसिएशनों से की थी.
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