अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान गुरुवार को सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेक ऑफ करने के कुछ ही देर बाद क्रैश हो गया. एयरक्राफ्ट बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, 230 पैसेंजर्स और 12 क्रू मेंबर्स के साथ था यानी इस पर कुल 242 लोग सवार थे. फ्लाइट नंबर AI171 की क्षमता 300 से ज्यादा लोगों की है. बोइंग यह एयरक्राफ्ट पिछले काफी समय से विवादों में है और इसे लेकर कई बार सुरक्षा विशेषज्ञों की तरफ से चिंताएं जताई जा चुकी हैं.
भारत के पास कुल कितने बोइंग
एयर इंडिया के पास 27 B787-8 हैं. वाइड-बॉडी कैटेगरी में एयर इंडिया के पास अब 6 A350, 19 B777-300 ER, 5 B777-200 LR, 7 B787-9 और 27 B787-8 हैं. नैरो-बॉडी कैटेगरी में 6 A319, 94 A320 नियो, 4 A320 सीईओ, 13 A321 सीईओ और 10 A321 नियो हैं. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर को कंपनी एक स्टेट-ऑफ-द आर्ट एयरक्राफ्ट बताती है जिसे एफीशियंसी, आराम और पर्यावरण के अनुकूल प्रदर्शन के लिए डिजाइन किया गया है. साल 2011 में पेश किया गया, 787-8 बोइंग की ड्रीमलाइनर सीरीज का पहला मॉडल है और इंटर-कॉन्टिनेंटल फ्लाइट्स के दुनिया भर की एयरलाइंस की तरफ से बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है.
एयरक्राफ्ट की खासियतें
इस एयरक्राफ्ट में आमतौर पर 242 से 290 यात्रियों के बैठने की जगह होती है. इस वजह से इसे लंबी दूरी के रास्तों या फ्लाइट के लिए एयरलाइन कंपनियां तरजीह देती हैं. यह एयरक्राफ्ट 13,530 किलोमीटर तक बिना रुके उड़ान भर सकता है जिससे दूर के शहरों के बीच सीधा संपर्क संभव है. कंपनी का कहना है उसने इसे लेटेस्ट एवियोनिक्स, फ्लाई-बाय-वायर कंट्रोल और हाई सिक्योरिटी सिस्टम से लैस किया है. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एडवांस्ड नेविगेशन और सिक्योरिटी सिस्टम लैस है. साथ ही सिंथेटिक विजन सिस्टम (एसवीएस) इलाके और रास्ते में आने वाली मुश्किलों का 3डी विजन मुहैया कराता है.
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के लॉन्च होने के बाद से करीब 14 सालों के अंदर कंपनी ने 1,000 एयरक्राफ्ट डिलीवर किए हैं. कंपनी की वेबसाइट पर इसे 'अब तक का सबसे ज्यादा बिकने वाला पैसेंजर वाइड-बॉडी' बताया गया है. कंपनी की मानें तो अब तक इस एयरक्राफ्ट की मदद से एक अरब से ज्यादा यात्रियों को ले जाया गया है.
हर बार जांच से गुजरा एयरक्राफ्ट
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर मॉडल को हाल के कुछ सालों में बार-बार जांच का सामना करना पड़ा है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार हाइड्रोलिक लीक और फ्लैप की खराबी के कारण रजिस्ट्रेशन कोड N819AN वाले ड्रीमलाइनर के बार-बार डायवर्जन का डॉक्यूमेंटेशन भी किया गया था. इस वजह से इस साल की शुरुआत में सिर्फ 25 दिनों के अंदर ही कई फ्लाइट्स को कैंसिल किया गया था.
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को नेक्स्ट जनरेशन के एयरक्राफ्ट के तौर पर लॉन्च किया गया था. कंपनी की तरफ से कहा गया कि फ्यूल एफीशियंसी और पैसेंजर की सुविधा को ध्यान में रखकर इसे बनाया गया है. साथ ही पारंपरिक एल्यूमीनियम की जगह मिक्स्ड मैटेरियल को प्रयोग किया गया है. लेकिन पिछले कुछ सालों में इसकी सिक्योरिटी, मैन्युफैक्चरिंग और क्वालिटी कंट्रोल को लेकर चिंताएं जताई गई हैं.
व्हिसलब्लोअर ने दी थी चेतावनी
बोइंग इंजीनियर और व्हिसलब्लोअर सैम सालेहपुर ने न्यूयॉर्क टाइम्स और सीएनएन जैसे बड़े अमेरिकी मीडिया ऑर्गेनाइजेशंस के साथ इंटरव्यू में आरोप लगाया कि कंपनी ने 777 और 787 ड्रीमलाइनर मॉडल दोनों को मैन्युफैक्चर करने में शॉर्टकट अपनाया है. उन्होंने चेतावनी भी दी कि इस तरह के समझौते इन एयरक्राफ्ट की उम्र बढ़ने के साथ खतरनाक स्थितियां पैदा कर सकते हैं.
वहीं बोइंग के फॉर्मर क्वालिटी मैनेजर जॉन बार्नेट ने आरोप लगाया कि 787 एयरक्राफ्ट में करीब 25 प्रतिशत इमरजेंसी ऑक्सीजन सिस्टम केबिन डिप्रेशराइजेशन के दौरान फेल हो सकती हैं. बाद में एफएए जांच में नॉन-कनफर्मिंग पार्ट्स की पहचान की गई जिससे बार्नेट के दावों की पुष्टि हुई. हालांकि बोइंग ने इस जोखिम स्तर को मानने से इनकार कर दिया था. फिर भी एफएए ने उसे इसमें सुधार करने के लिए कहा था.
'मरने की इच्छा पर ही सफर'
साल 2014 में अल जजीरा की तरफ से हुई एक इनवेस्टिगेशन में बोइंग स्टाफ का फुटेज शामिल था. इसमें उनसे पूछा गया कि क्या वह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर पर उड़ान भरना पसंद करेंगे? इस पर स्टाफ मेंबर ने जवाब दिया, 'सिर्फ तभी तब मेरी मरने की इच्छा हो.' कुछ वर्कर्स को तो यह कहते हुए रिकॉर्ड किया गया कि फैक्ट्री में नशीली दवाओं का प्रयोग और मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं आम थीं. इससे इसके ऑपरेशनल निरीक्षण पर सवालिश निशान लगे.
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