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This Article is From Mar 01, 2012

बीसीसीआई के समर्थन से और मजबूत हुए धोनी

ब्रिसबेन: त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में भारतीय टीम के प्रवेश को लेकर अनिश्चितता पर से पर्दा शुक्रवार को उठेगा लेकिन राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर के साथ जो किया, उसका असर प्रत्यक्ष यहां देखने को मिल रहा है।

सहवाग को एशिया कप के लिये टीम में नहीं चुना गया जबकि न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे श्रृंखला में 5-0 से मिली जीत में भारत की कप्तानी करने वाले गंभीर की जगह विराट कोहली को उपकप्तान बना दिया गया। टीम को यहां मीडिया से दूर रखा गया है और टीम ने अभ्यास तक नहीं किया। टीम प्रबंधन टीम के भीतर दिख रहे मतभेदों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।

टीम सूत्रों ने बताया कि यह स्पष्ट है कि दिल्ली के लड़कों गंभीर और सहवाग को कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से सार्वजनिक तौर पर मतभेद जताने की सजा भुगतनी पड़ी है। सहवाग ने धोनी के उस बयान पर सवाल उठाया था कि उनके जैसे सीनियर फील्डिंग में धीमे हैं जबकि गंभीर ने मीडिया से कहा था कि भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच आखिरी ओवर से पहले ही जीत लेना चाहिये था जिसमें धोनी ने विजयी रन बनाये थे।

धोनी ने सहवाग और गंभीर के बयान को सकारात्मक नहीं लिया। उसने यह भी सुनिश्चित किया कि खराब प्रदर्शन के बावजूद उनके करीबी सुरेश रैना और रविंदर जडेजा जैसे खिलाड़ी बाहर ना होने पाये। रिपोर्ट के अनुसार सहवाग ने पिछले सप्ताह धोनी के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करने से इनकार कर दिया था हालांकि कोई इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं है।

सहवाग को फिटनेस मुद्दे पर एशिया कप से अधिकारिक रूप से आराम दिया गया था। अगर भारतीय टीम त्रिकोणीय श्रृंखला के बेस्ट आफ थ्री फाइनल्स के लिये क्वालीफाई कर जाती है तो वह आस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच खेलने के लिये तैयार हैं। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कल ऑस्ट्रेलियाई टीम त्रिकोणीय श्रृंखला के कल होने वाले अंतिम लीग मैच में श्रीलंका को हरा देती है या नहीं। जिन्हें लगता है कि सहवाग का कैरियर खत्म हो गया तो उनका इशारा इस बात को लेकर भी है कि अगर वह फिट नहीं थे तो उन्हें अब तक स्वदेश आ जाना चाहिए था। अगर सहवाग की खराब फार्म मुद्दा था तो फिर सचिन तेंदुलकर को एशिया कप की टीम में शामिल करने की जरूरत नहीं थी।

धोनी को बीसीसीआई को पूरा समर्थन प्राप्त है और यह इस बात से भी साफ हो जाता है कि भारतीय टीम के उनकी कप्तानी में पिछले साल जून से लगातार इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में मिली आठ शिकस्त के बावजूद भी उनका दबदबा बढ़ा ही है।

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