पाकिस्तान की गेंदबाजी के सामने नहीं टिक पाए विराट सेना के वीर...
नई दिल्ली:
चैंपियंस ट्रॉफी के ग्रुप मैच में टीम इंडिया के हाथों मिली हार के बाद सरफराज अहमद की पाकिस्तानी टीम ने सही समय पर अपने खेल के स्तर को शीर्ष पर पहुंचाया. पाकिस्तान ने आज यहां प्रबल दावेदार टीम इंडिया को 180 रन के बड़े अंतर से हराकर कमाल कर दिया. जिस टीम की क्रिकेट समीक्षक फाइनल क्या सेमीफाइनल तक में पहुंचने की उम्मीद नहीं लगा रहे थे, उसने पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर अपने जीवट से हर किसी का दिल जीत लिया. मैच में पाकिस्तान से पहले 50 ओवर में चार विकेट पर 338 रन बनाए और फिर गेंदबाजों के बेहतरीन प्रदर्शन के बूते टीम इंडिया को 30.3 ओवर में 158 रन पर ढेर कर दिया. मैच में विराट ब्रिगेड का प्रदर्शन बुझा-बुझा रहा और हार्दिक पांड्या की तूफानी बल्लेबाजी को छोड़ दे तो टीम ने लगभग बिना संघर्ष के हार स्वीकार कर ली. टीम की हार के कारण...
जसप्रीत बुमराह की नो बॉल पर गिरा वह विकेट
ओवल में आज टीम इंडिया का दिन नहीं था. पाकिस्तानी पारी के शुरुआती क्षणों में ही जसप्रीत बुमराह ने पाकिस्तानी ओपनर फखर जमां को विकेट के पीछे कैच करा दिया था. लेकिन यह गेंद नो बॉल थी. बुमराह की ओर से की गई यह चूक टीम इंडिया को बेहद भारी पड़ी और जमां ने 114 रन की बेहतरीन पारी खेलते हुए पाकिस्तान को 338 के स्कोर तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई. टीम इंडिया को यदि फखर का विकेट जल्द मिल जाता तो मैच की तस्वीर ही दूसरी हो सकती थी.
मोहम्मद आमिर का वह बेहतरीन स्पैल
पाकिस्तान टीम के 338 रन के विशाल स्कोर के जवाब में टीम इंडिया को धमाकेदार शुरुआत की जरूरत थी लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आमिर ने उसे एक के बाद एक लगातार ऐसे झटके लिए कि पारी आकार लेने के पहले ही बिखरती नजर आई. आमिर ने पहले ओवर में रोहित शर्मा, तीसरे ओवर में विराट कोहली और नौवें ओवर में शिखर धवन को आउट करके टीम को ऐसी स्थिति में ला दिया जहां से जीत बेहद दूर चली गई थी.
भारतीय शीर्ष बल्लेबाजों की नाकामी
बैटिंग को टीम इंडिया की बड़ी ताकत माना जाता है लेकिन पाकिस्तान की गेंदबाजी ने इसमें बेहतरीन तरीके से सेंध लगा दी. इसका पूरा श्रेय मो. आमिर को जाता है जिन्होंने रोहित, कप्तान विराट कोहली, शिखर धवन को जल्दी-जल्दी आउट करके भारतीय बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी. अन्य गेंदबाजों ने भी इसमें बराबरी से सहयोग दिया. स्पिनर शादाब ने युवराज को पेवेलियन लौटाया तो धोनी भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए. भारतीय पारी को हार्दिक पांड्या ने एकाकी संघर्ष करते हुए 100 रन के पार पहुंचाया लेकिन उन्हें भी जडेजा के साथ रनों से दौड़ में गफलत के कारण रन आउट होना पड़ा.
कोहली का कप्तानी में खराब दिन
पहले तो रवींद्र जडेजा, आर.अश्विन और जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज कप्तान कोहली की उम्मीद पर खरे उतरे. एक और बात यह, कोहली ने कप्तानी में कल्पनाशीलता नहीं दिखाते हुए अपनी मुश्किलें और बढ़ा ली. जब जडेजा और अश्विन की जोरदार धुलाई हो रही थी तब उन्होंने लेग स्पिनर युवराज सिंह को गेंदबाजी देने का जोखिम नहीं लिया. वर्ल्डकप 2011 के मैन ऑफ द टूर्नामेंट युवराज अपनी गेंदबाजी से टीम को सफलता दिला सकते थे. कम से कम उन्हें गेंदबाजी का मौका तो दिया ही जा सकता था लेकिन कोहली ने ऐसा नहीं किया. बांग्लादेश के खिलाफ मैच की दिशा बदलने वाले केदार जाधव को भी वे काफी देर बाद आक्रमण पर लाए. तब तक बहुत देर हो चुकी थी. पाकिस्तान टीम ने मैच को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया जहां से टीम इंडिया के लिए वापसी करना बेहद मुश्किल हो गया था. भारतीयों के लिए वाकई आज फील्ड में खराब दिन था. जसप्रीत बुमराह ने जहां तीन नो बॉल कीं वहीं, खास मौकों पर फील्डर भी विकेट पर निशाना लगाने से चूकते रहे.
जसप्रीत बुमराह की नो बॉल पर गिरा वह विकेट
ओवल में आज टीम इंडिया का दिन नहीं था. पाकिस्तानी पारी के शुरुआती क्षणों में ही जसप्रीत बुमराह ने पाकिस्तानी ओपनर फखर जमां को विकेट के पीछे कैच करा दिया था. लेकिन यह गेंद नो बॉल थी. बुमराह की ओर से की गई यह चूक टीम इंडिया को बेहद भारी पड़ी और जमां ने 114 रन की बेहतरीन पारी खेलते हुए पाकिस्तान को 338 के स्कोर तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई. टीम इंडिया को यदि फखर का विकेट जल्द मिल जाता तो मैच की तस्वीर ही दूसरी हो सकती थी.
मोहम्मद आमिर का वह बेहतरीन स्पैल
पाकिस्तान टीम के 338 रन के विशाल स्कोर के जवाब में टीम इंडिया को धमाकेदार शुरुआत की जरूरत थी लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आमिर ने उसे एक के बाद एक लगातार ऐसे झटके लिए कि पारी आकार लेने के पहले ही बिखरती नजर आई. आमिर ने पहले ओवर में रोहित शर्मा, तीसरे ओवर में विराट कोहली और नौवें ओवर में शिखर धवन को आउट करके टीम को ऐसी स्थिति में ला दिया जहां से जीत बेहद दूर चली गई थी.
भारतीय शीर्ष बल्लेबाजों की नाकामी
बैटिंग को टीम इंडिया की बड़ी ताकत माना जाता है लेकिन पाकिस्तान की गेंदबाजी ने इसमें बेहतरीन तरीके से सेंध लगा दी. इसका पूरा श्रेय मो. आमिर को जाता है जिन्होंने रोहित, कप्तान विराट कोहली, शिखर धवन को जल्दी-जल्दी आउट करके भारतीय बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी. अन्य गेंदबाजों ने भी इसमें बराबरी से सहयोग दिया. स्पिनर शादाब ने युवराज को पेवेलियन लौटाया तो धोनी भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए. भारतीय पारी को हार्दिक पांड्या ने एकाकी संघर्ष करते हुए 100 रन के पार पहुंचाया लेकिन उन्हें भी जडेजा के साथ रनों से दौड़ में गफलत के कारण रन आउट होना पड़ा.
कोहली का कप्तानी में खराब दिन
पहले तो रवींद्र जडेजा, आर.अश्विन और जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज कप्तान कोहली की उम्मीद पर खरे उतरे. एक और बात यह, कोहली ने कप्तानी में कल्पनाशीलता नहीं दिखाते हुए अपनी मुश्किलें और बढ़ा ली. जब जडेजा और अश्विन की जोरदार धुलाई हो रही थी तब उन्होंने लेग स्पिनर युवराज सिंह को गेंदबाजी देने का जोखिम नहीं लिया. वर्ल्डकप 2011 के मैन ऑफ द टूर्नामेंट युवराज अपनी गेंदबाजी से टीम को सफलता दिला सकते थे. कम से कम उन्हें गेंदबाजी का मौका तो दिया ही जा सकता था लेकिन कोहली ने ऐसा नहीं किया. बांग्लादेश के खिलाफ मैच की दिशा बदलने वाले केदार जाधव को भी वे काफी देर बाद आक्रमण पर लाए. तब तक बहुत देर हो चुकी थी. पाकिस्तान टीम ने मैच को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया जहां से टीम इंडिया के लिए वापसी करना बेहद मुश्किल हो गया था. भारतीयों के लिए वाकई आज फील्ड में खराब दिन था. जसप्रीत बुमराह ने जहां तीन नो बॉल कीं वहीं, खास मौकों पर फील्डर भी विकेट पर निशाना लगाने से चूकते रहे.
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