प्रतीकात्मक फोटो
कोलकाता:
लंबे समय से मान्यता के लिए संघर्ष कर रहे बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) ने अब जस्टिस लोढ़ा कमेटी के सामने यह मामला उठाया है। सीएबी ने मंगलवार को जस्टिस आरएम लोढ़ा की कमेटी को पत्र लिखा। गौरतलब है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के छठे संस्करण में हुए स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी की जांच करने वाली जस्टिस लोढ़ा कमेटी बीसीसीआई की कार्यप्रणाली में सुधार संबंधी अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश करने वाली है। सीएबी द्वारा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सामने मान्यता हासिल करने के लिए समय-समय पर मांग की जाती रही है, लेकिन बीसीसीआई की ओर से उसे मान्यता हासिल नहीं हुई।
सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने बताया, "लोढ़ा कमेटी अगले साल 4 जनवरी को पेश करने वाली अपनी रिपोर्ट में बीसीसीआई के संविधान और उसकी कार्यप्रणाली में कई बदलाव का सुझाव दे सकती है, इसलिए मैंने कमेटी को लिखकर सीएबी को मान्यता प्रदान करने का मामला उठाया है।"
वर्मा ने कहा, "पिछले 14 वर्षों से बिहार के युवा प्रतिभाशाली क्रिकेट खिलाड़ियों को बीसीसीआई आगे बढ़ने का मौका नहीं दे रही, जो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। अपने नियमों में बिना किसी बदलाव के बीसीसीआई ने सीएबी की सदस्यता समाप्त कर गलत किया है।"
उन्होंने कहा, "इसलिए हम आपसे बीसीसीआई के इस सौतेले व्यवहार से हमारी रक्षा के लिए उचित कार्यवाही करने का अनुरोध करते हैं।"
सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने बताया, "लोढ़ा कमेटी अगले साल 4 जनवरी को पेश करने वाली अपनी रिपोर्ट में बीसीसीआई के संविधान और उसकी कार्यप्रणाली में कई बदलाव का सुझाव दे सकती है, इसलिए मैंने कमेटी को लिखकर सीएबी को मान्यता प्रदान करने का मामला उठाया है।"
वर्मा ने कहा, "पिछले 14 वर्षों से बिहार के युवा प्रतिभाशाली क्रिकेट खिलाड़ियों को बीसीसीआई आगे बढ़ने का मौका नहीं दे रही, जो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। अपने नियमों में बिना किसी बदलाव के बीसीसीआई ने सीएबी की सदस्यता समाप्त कर गलत किया है।"
उन्होंने कहा, "इसलिए हम आपसे बीसीसीआई के इस सौतेले व्यवहार से हमारी रक्षा के लिए उचित कार्यवाही करने का अनुरोध करते हैं।"
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