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This Article is From Jul 14, 2017

अवमानना केस : पूर्व BCCI प्रमुख अनुराग ठाकुर को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने बिना शर्त माफीनामा मंजूर किया

अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को शीर्ष अदालत में नया माफ़ीनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है.

अवमानना केस :  पूर्व BCCI प्रमुख अनुराग ठाकुर को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने बिना शर्त माफीनामा मंजूर किया
सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को 14 जुलाई को कोर्ट में पेश होने कहा था (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
माफीनामे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केस बंद किया
ठाकुर ने कहा-मेरा इरादा कोर्ट की अवमानना का नहीं था
इसके लिए स्‍पष्‍ट रूप से और बिना शर्त माफी मांगता हूं
नई दिल्‍ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्‍यक्ष अनुराग ठाकुर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. ठाकुर ने गुरुवार को शीर्ष अदालत में नया माफ़ीनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है. इस माफीनामे में अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कुछ गलतफहमी और गलत सूचना की वजह से उनसे यह हुआ. उन्होंने कोर्ट के गौरव को कभी कमतर नहीं समझा.  इसके लिए वे बेहिचक बिना शर्त और स्पष्ट रूप से कोर्ट से माफी मांगते हैं. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को 14 जुलाई को कोर्ट में पेश होने कहा था. कोर्ट ने कहा था कि ठाकुर बिना शर्त माफीनामा दाखिल करें. पहले दाखिल किए गए माफीनामे को नामंजूर करते हुए कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि माफीनामे की भाषा स्पष्ट होनी चाहिए और इसमें गोलमोल नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर अनुराग ठाकुर बिना शर्त माफी मांगते है तो अदालत उन्हें माफ़ भी कर सकती है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग से कहा था कि अगर उनके खिलाफ यह साबित हो जाता है कि उन्होंने बीसीसीआई में सुधार पर अड़ंगा नहीं लगाने की झूठी शपथ ली है तो वह जेल जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में ठाकुर ने कहा 'उनका कतई भी ऐसा इरादा नहीं था. अगर इस तरह का नजरिया बन रहा है तो वह इसकेलिए बिना शर्त माफी मांगते हैं. परजरी(अदालत के समक्ष गलतबयानी करना) मामले में नोटिस जारी करने के बाद अनुराग द्वारा दाखिल इस हलफनामे में कहा गया है कि वह तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और बहुत कम उम्र से सार्वजनिक जीवन जी रहे हैं. वह अदालत का बहुत सम्मान करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अब तक ऐसा कोई काम नहीं किया जिसमें अदालत की अनदेखी की गई हो.

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